Thursday, May 14, 2015

आज के समय के राम और गणतंत्र का चौथा स्तम्भ

आज के समय के राम और गणतंत्र का चौथा स्तम्भ
(विश्व पत्रकारिता आजादी दिवस विशेष )


मीडिया के दोनों चहरे अब साफ़ साफ़ अलग नजर  रहे हैंएक तरफ सकारात्मक मीडिया हैजो जमाने को सही दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहा हैएक तरफ ऐसे भी लोग हैं जो मीडियाका इस्तेमाल अभद्र प्रस्तुतिसेक्सनकरतकमक सोच और गलत बातों को प्रचारित करने मेंकर रहा हैएक तरफ सकारात्मक मीडिया है जो समाज के विकास के लिए बेहतरीन लेखप्रस्तुत कर रहे हैंतो दूसरी तरफ ऐसे भी मीडिया हैं जो समाज में व्याप्त गंदगी को ही प्रचारितकर रहे हैंहम सब को प्रोत्साहन देना होगा उन पत्रकारों का  जो इस भौतिकता के युग में भीआज भी सनातन आध्यात्मिक मूल्यों और भारतीय सोच को आगे ले जाने के लिए प्रयास कररहे हैं.

मीडिया के क्षेत्र में और भी ज्यादा प्रोत्साहन और संगठनात्मक पहल की जरुरत हैपुलित्ज़रप्राइज में पत्रकारिता के १४ क्षेत्रों में इनाम दिया जाता है जैसे फोटोग्राफीकार्टूनखोजीपत्रकारिताफीचर राइटिंग  आदिइन क्षेत्रों में प्रोत्साहन की जरुरत हैसृजनशील लेखन औरसृजनशील विधाओं की तरफ युवाओं को मोड़ने की जरुरत है नहीं तो नकारात्मक मीडिआसमाज को खत्म कर सकता है.
इस दुनिया को बदलने में जितनी ताकत मीडिआ  के पास है उतनी किसी और के पास नहीं है.यह मीडिया ही है जो लोगों की सोच को बदल सकता है और लोगों को वो काम करने के लिएप्रेरित कर सकता है जो  तो सरकार कर सकती है  कोई और कर सकता हैयह मीडिया ही हैजो लोगों में ख़ुशीआनंदहर्षरोमांचभयतनावऔर रहस्य के भाव पैदा कर सकता है औरजैसे चाहे लोगों को सोचने के लिए प्रेरित कर सकता हैमीडिया की ताकत अद्भुत है.
आप सभी ने १९८३ का केविन कार्टर का सूडान की बच्ची और गिद्ध का प्रसिद्द फोटो देखाहोगाउस फोटो के लिए केविन कार्टर को पुलित्ज़र पुरस्कार मिला और फिर बाद में उसनेआत्महत्या कर लीउस फोटो के बाद सूडान की गरीबी पर पूरी दुनिया का ध्यान गयाउसफोटो के कारण न्यूयॉर्क टाइम्स को लोगों के हजारों फोन आते थे की क्या हुआ उस बच्ची का.एक फोटो  वो बात कह सकता है और लोगों में विचार बदलने की वो ताकत है जो अन्य किसीमीडिया में नहीं है. .



पूरी दुनिया में प्रेस को आजादी को लेकर भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैफ्रीडम हाउस कीरैंकिंग में फ़िनलैंड दुनिया के पहले स्थान पर और भारत ८०वे स्थान पर हैवहीँ रिपोर्टर्सविदाउट बॉर्डर्स के सर्वेक्षण में भारत का स्थान १३६  है (और फ़िनलैंड प्रथम स्थान पर है).आखिर क्या है फ़िनलैंड जैसे छोटे से देश में जो हमारे देश में नहीं हैआखिर क्या है हमारे देशमें जो फ़िनलैंड में नहीं हैआखिर क्यों हम इतने पिछड़े हैं?
जब हम प्रेस की आजादी की बात करते हैं तो कई बाते आती हैं: -
  • सरकारी तंत्रनियमकानूनऔर व्यवस्थाएं
  • पत्रकारों को सुरक्षा
  • पत्रकारों के लिए सुविधाएं और संसाधन
  • पत्रकारिता के लिए माहौल
  • पत्रकारिता के लिए प्रोत्साहन
  • खुलापनपारदर्शिताविचारों की विविधता का स्वागत और सोच में व्यापकता
अगर हम कानून की बात करें तो हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति कीस्वतंत्रता के लिए प्रावधान हैसरकारी तंत्र भी प्रकाशकों को मदद करने के लिए कृतसंकल्प है.हर दूसरे दिन आपको प्रधान मंत्री जी का पुरे पेज का विज्ञापन मिल जाता है जिसका एकउद्देश्य अखबारों को मदद करना भी हैफ़िनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों की तुलना में हमारीसरकार मीडिया को काफी ज्यादा पैसे विज्ञापन और सहायता के रूप में देती हैलेकिन फिर भीफ़िनलैंड हम से आगे हैंक्यों ? फ़िनलैंड और भारत का फर्क देखिये :-  फ़िनलैंड की १००%जनसख्या साक्षर हैहर व्यक्ति पढ़ा लिखा और समझदार हैहर व्यक्ति मीडिया की भूमिकाको समझता हैहर व्यक्ति सकारात्मक मीडिया को प्रोत्साहित करता है और हर व्यक्तिइंटरनेट का इस्तेमाल करता है लेकिन अश्लील मीडिया और अश्लील वेबसाइट का विरोधकरता हैअगर किसी व्यक्ति के बारे में कोई गलत खबर प्रकाशित हो जाती है तो मीडिया कोउसको सुधरने के लिए पुनः सही खबर प्रकाशित करनी पड़ती हैफ़िनलैंड की मीडिया का अपनास्वयं का संगठन भी बड़ा मजबूत हैबिना सरकारी पहल के ही वे अपने स्तर पर सकारात्मककदम उठा लेते हैंहम सब भी अगर सकारात्मक मीडिया का समर्थन और नकारात्कम मीडियाका जम कर विरोध करेंगे तो ही हम आगे बढ़ पाएंगे.

दुनिया में हर समय लगभग ३००० डॉलर अश्लील वेब्सीटेस पर खर्च हो रहे हैंहर सेकण्ड२८००० से ज्यादा लोग अश्लील वेबसाईट्स  को देख रहे हैं.हर सेकण्ड विकास-शील देशोंके   नए युवा इस चंगुल में फंस रहे हैं.  मीडिया का रावण गरीब देशों को डस रहा है और युवावर्ग को बर्बाद कर रहा हैइस रावण को ख़त्म करने के लिए एक ही उपाय है - सकारात्मक सोचको बढ़ावा देने वाली मीडिया को प्रोत्साहन  देवो - वो ही हमारा राम है जो हमें इस दुर्दांत रावणसे बचा सकता है.

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