Thursday, May 14, 2015

दुनिया में अनूठी पहचान बनाता बीकानेर

I WROTE THIS ARTICLE IN 2012. NOW MANY THINGS HAVE CHANGED.

बीकानेर नाम आते ही आप के जहाँ में क्या तस्वीर आती है? बीकानेर के बारे में लोग क्या सोचते है। जब में रेल में यात्रा करता हु - लोग कहते हैं - जेसे ही बदबू आने लगती है - या हवा में मिटटी आने लगती है - तो लगता है बीकानेर आ गया - यह बीकानेर की एक पहचान है - परन्तु बीकानेर की बोधिक क्षेत्र में भी एक अलग पहचान है। 

शहर बनाने वाले हामी लॉग है। सिर्फ ईंटो और गारो से शहर नहीं बनते। शहर बनते है वहां के लोगो के कार्य और प्रभाव से। कई इसे शहर है जहाँ कम प्राकृतिक साधन होने के बावजूद भी उन शहर के लोगो की म्हणत के कारन उन शहरों के नाम पूरी दुनिया में है। बीकानेर भी इसे ही शहरों की लिस्ट में शामिल हैं। प्रकृति नि बीकानेर को तेज गर्मी तेज शर्दी, धुल भरी अंधिया दी, पर यहाँ के बाशिंदों ने अपने परिश्रम से इस शहर को एक नयी पहचान दी। बीकानेर शहर की इस नहीं पहचान के कारन आज आप जहाँ भी जाते है - बीकानेर का नाम लेने में आपको गोरव महसूस होता है और लोग आपको सम्मान देते है।  बीकानेर भुजिया, पापड़, नमकीन, रसगुल्ला, उन  व हस्तशिल्प के लिए हमेशा से जाना जाता रहा है। बीकानेर को हमेशा से एक समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता रहा जय। यहाँ की मीठी बोली और समृद्ध संस्कृति के कारण बीकानेर को छोटी काशी  कहा जाता रहा है। 
बीकानेर हमेशा से एक आध्यात्मिक और धार्मिक शहर के रूप में जाना गया है। लेकिन युवाओं ने बीकानेर को एक नयी  पहचान देने का प्रयास किया है। आज बीकानेर को तकनिकी क्षेत्रों में भी पहचान मिल रही है। बीकानेर के अकाउंटेंट हमेशा से प्रसिध रहे है और बड़ी बड़ी कंपनियों में आपको  लेखाकार बीकानेर के मिल जायेंगे। 

बीकानेर के युवा अपनी प्रतिभा और व्यवहार के कारन इस शहर को एक अलग पहचान देने में सफल हुए हैं। अब यह सिर्फ भुजियो के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यहाँ की प्रतिभा के लिए भी जाना जाता है बीकानेर शहर के युवा जहाँ भी गए, उन्होंने अपने कार्य से इस शहर का नाम रोशन किया है। आज जरुरत है बीकानेर की प्रतिभाओं को एक सूत्र में पिरोने की। 

आज बीकानेर में शिक्षा  व प्रगति के सभी साधन उपलब्ध हैं। एक समय था जब बीकानेर के विद्यार्थिओं को आगे की पठाई करने बाहर जाना परता था। आज चाहे इन्जिनीरिंग को पठाई हो या चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढाई, बीकानेर में ही की जा सकती है। बीकानेर में उपलाभ्द सुविधाएँ किसी भी शहर से कम नहीं हैं। आज इस शहर में सबसे श्रेष्ठ सुविधाए उपलभध है 
बीकानेर के परम्पगत कला जेसे की मीनाकारी तो पहले से ही प्रसिद्ध थी। आज का नया युवा अपने हुनर और कला से उसे नए क्षेत्रों में भी पहचान दे रहा है। रजनीश व्यास, देवेन्द्र पारख , और राजीव माथुर जेसे लोग वेबसाइट बनाने व सॉफ्टवेर डेवलपमेंट में अपने कार्य से बीकानेर को एक अलग पहचान दे रहे हैं। 
बीकानेर की हवेलियाँ अपनी अलग पहचान तो रखती ही थी,  हवाली संरक्षण अभियान के द्वारा गोपाल सिंह ने बीकानेर को एक नयी पहचान दी है। बीकानेर की पाटा संस्त्रिती और बीकानेर की पुस्तकालय संस्कृति, पूरी दुनिया में बेजोड़ हैं। बीकानेर के अर्कैविएस के द्वारा श्री महंद्र खडगावत ने बीकानेर को एक अलग पहचान दी है। बीकानेर की अर्कैविएस पूरा देश में अपने अलग पहचान रखती हैं। संगीत में मुरारी शर्मा व श्रेयांस जैन बीकानेर की प्रतिभाओं को नयी  दिशा दे रहे हैं और संदीप आचार्य और राजा  हसन जेसे कलाकार पूरी दुनिया मी अपनी पहचान बना रहे हैं (अब श्री संदीप आचार्य जी स्वर्गीय हो गए हैं, लेकिन ये लेख जब लिखा था तब वो अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया में छा रहे थे. )।  उद्योंग के क्षेत्र में कुञ्ज बिहारी गुप्ता ने सेरामिक्स के क्षेत्र में बीकानेर को एक नयी पहचान दी है।  लेखन के  क्षेत्र में नन्द किशोर आचार्य और मदन सैनी ने बीकानेर को अलग पहचान दी है।  बीकानेर यहाँ के साहित्य प्रेम के लिए जाना जा रहा है। । 

पचास साल पुराने बीकानेर की तस्वीर देखोगे तो लगेगा की वो बीकानेर ज्यादा अच्छा था - क्योंकि उसमे शहर में गन्दगी और धुवा नहीं था। लेकिन पिछले 50 वर्षों में इस शहर के लोगों ने जो तरक्की की वह भी तो देखिये।  इस शहर को इसकी गंदगी के लिए नहीं बल्कि यहाँ के लोगो के मधुर व्यव्हार के लिए जाना जाता रहा है और रहेगा। 

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