Saturday, June 4, 2016

जैव विविधता को बचाने के लिए मिल कर करें प्रयास

२२ मई को जैव विविधता दिवस के रूप में मनाया जाता है. दुनिया के विकास के लिए जैव विविधता को पूरी दुनिया में अपनाना जरुरी है. जैव विविधता को बचने के लिए भारत को पूरी दुनिया में नेतृत्व देना है.  
भारत का पूरी दुनिया में अहिंसा, करूणा और जैव विविधता को फैलाने के लिए
बड़ा नाम है. आज भारत को पूरी दुनिया में एक नेतृत्व देना है. आज भारत को
अपने आप को पूरी दुनिया में जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए एक आदर्श
देश के रूप में स्थापित करना है. ये काम सिर्फ कानून से नहीं हो सकता है.
इसके लिए प्रबल इच्छा शक्ति और संगठित प्रयास चाहिए. १९९२ में यूनाइटेड
नेशन्स की कांफ्रेंस के बाद कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी नामक संधि शुरू
की गयी जिस पर अब तक अधिकाँश देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और इसके तहत
हर देश के ऊपर जैव विविधता को फैलाने का अंतरास्ट्रीय दबाव है. ये एक
बहुत अच्छी शुरुआत हुई है. आज अनेक अंतरास्ट्रीय संगठन जैसे वर्ल्ड
वाइल्डलाइफ फण्ड आदि इस दिशा में महत्व्पूर्ण काम कर रहे हैं. भारत के
करुणाप्रिय लोगों को भी इस दिशा में अपना वर्चस्व दिखाना चाहिए.

ऑस्ट्रेलिया की एक शोध संस्था के अनुसार हर साल ७०००० स्पीशीज (प्रजातियां)  लुप्त हो
रही है यानि रोज तकरीबन २०० प्रजातियां लुप्त हो रही हैं. ये धरती के
इतिहास की सबसे बड़ी घटना है. इतनी ज्यादा प्रजातियां धरती के इतिहास में
कभी भी लुप्त नहीं हुई है. प्रश्न है की ऐसा क्यों हो रहा है. १९०० में
मानव प्रजाति सिर्फ १.७५ खरब थी जो अब बढ़ कर के ६ खरब से भी ज्यादा हो गई
है. मानव के बढ़ते बोझ के कारण अन्य प्रजातियां लुप्त हो रही हैं. जब भी
मानव की आवश्यकता होती है तो जंगल, जल और हवा पर अपना कब्ज़ा बढ़ा दिया
जाता है. जंगल के जंगल काट दिए जाते हैं. जानवरों व् पक्षियों को नस्ट कर
दिया जाता है. जल और हवा को प्रदूषित कर दिया जाता है. प्रजातियों के बाद
प्रजातियां नष्ट हो रही है और फिर एक दिन सिर्फ इंसान बचेगा - वो भी
अकेला तो नहीं रह पाएगा. कौन जिम्मेदार है ?

क्या आप को अपने आसपास उतने चील, कौवे, गिद्ध, डोडकाग व् घघु दिखाई देते
हैं जितने पहले दिखाई देते थे? क्या आपको अपने आस पास के क्षेत्र में
उतनी वनस्पतियां दिखाई दे रही हैं जितनी पहले देखने को मिलती थी. धोड़ा
धोड़ा परिवर्तन आप भी महसूस कर रहे होंगे. ये फर्क पूरी दुनिया महसूस कर
रही है. प्रयास सबको करने पड़ेंगे.

नेतृत्व के लिए भारत ही क्यों? 
जैव विविधता के क्षेत्र में नेतृत्व के लिए भारत को आगे आना पड़ेगा क्योंकि भारत आज भी पूरी दुनिया में इस क्षेत्र में सबसे आगे है. आज भी पूरी दुनिया को जैव विविधता का पाठ पढ़ाने के लिए भारत से बेहतर देश कोई नहीं हो सकता है. विगत कुछ वर्षों में करुणा इंटरनेशनल, पेटा, व् मेनका गांधी के प्रयासों से भारत इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. जानवरों के प्रति हमारे द्रिस्टीकोण में परिवर्तन आया है. पर्यावरण के प्रति हम जिम्मेदार हो गए हैं. आज पूरी दुनिया में भारत ही एक मात्र देश है जहाँ पर कई मामलों में प्राणियों के प्रति अद्भुत करुणा और व्यापक सोच देखने को मिलती है. जितनी  गोशाला भारत में है उतने कहीं नहीं है. ये एक गर्व की बात है की भारत मेंपर्यावरण और प्राणी मात्र के प्रति अद्भुत करुणा का भाव आम व्यक्ति में पारिवारिक संस्कार से ही मिल जाता है. 

भारत ने जानवरों पर प्रयोग की हुई लिपस्टिक व् अन्य कॉस्मेटिक्स के प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध है. भारत में जानवरों पर क्रूरता प्रतिबंधित है. भारत में जंगलों को काटने के खिलाफ जन आंदोलन हुए हैं और लोग जंगलों पर पेड़ों की महिमा को समझ रहे हैं. पीपल बेल बड़ और नीम के पैड  और तुलसी के पोधे की तो पूजा की जाती है.  अलग अलग प्रांतों में अलग अलग प्रकार की वनस्पतियां उगाई जाती है. पडोसी देशों में जानवरों की बलि आदि के लिए जानवर भारत से ले जाए जाते थे लेकिन भारत सरकार ने उस पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. ये वो देश है जहाँ पर प्राणी मात्र के प्रति करुणा का भाव रखा जाता है और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव घर परिवार में संस्कारों के द्वारा सिखाया जाता है. 

आर्थिक सम्पन्नता में हम अमेरिका से पीछे हैं लेकिन जैव विविधता के क्षेत्र में अपने प्रयासों से हम पूरी दुनिया दो दिशा दिखा सकते हैं और धरती मान को बचाने के लिए जैव विविधता एक जरुरत है. 

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