Saturday, June 4, 2016

टूटते परिवार - शिक्षा व् प्रशिक्षण से - जुड़ते परिवार

१५ मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है. परिवार व्यवस्था के बारे में बात करने के लिए ये दिवस एक सुनहरा मौका है.  परिवार व्यवस्था हमारी समाज व्यवस्था का महत्व्पूर्ण आधार स्तम्भ है. परिवार का मतलब है की लोग किस प्रकार एक दूसरे के लिए त्याग, समर्पण, प्रेम और अद्भाव रखते हैं. ये हमारे समाज के अस्तित्व के लिए जरुरी है. पर क्या हम परिवार व्यवस्था को मजबूत बनने के लिए कुछ कर रह हैं. 
जिस तेजी के साथ मीडिया और प्रचार तंत्र "लिवइन रिलेशनशिप" के पाठ पढ़ा रहा है और जिस तेजी से परिवार टूट रहे हैं - हम जल्द ही एक समाज विहीन भीड़ का निर्माण करने वाले हैं जहाँ पर व्यक्ति के विकास या उसके संरक्षण के लिए कोई जिम्मेदार नहीं होगा. परिवार एक सस्था के रूप में टूट रहा है क्योंकि उसको तोड़ने की साजिश हो रही है. 
परिवार नामक संस्था हमारे विकास, संरक्षण, सामजिक सुरक्षा प्रेम और अपनापन की सबसे मजबूत नींव रही है. परिवार में बच्चों को संस्कार, बड़ो को सम्मान, और युवाओं को प्रेम और अपनापन मिल जाता है. परिवार वो संस्था है जहाँ पर हर व्यक्ति खुश रह सकता है और जहाँ पर हर व्यक्ति के विकास के लिए कोई न कोई उपाय है. परिवार लोगों को जिम्मेदारी भी देता है तो उनको अनुशाशन में भी बांधता है. परिवार सामाजिक सुरक्षा का सबसे सशक्त माध्यम है. परिवार विकलांग, असहाय, मंदबुद्धि, और लाचार लोगों को भी प्रश्रय देता है तो सक्षम लोगों को और अधिक सक्षम बनाने में मदद करता है. 

विद्वानों ने पाया है की एक स्वस्थ परिवार मिलने से व्यक्ति का व्यक्तित्व सकारात्मक हो जाता है लेकिन टूटते परिवारों और परिवार में द्वेष के होने से व्यक्ति हिंसक हो जाता है. जहाँ जहाँ पर परिवार ज्यादा टूट रहे हैं वहां पर अपराध बढ़ रहे हैं. 
परिवार के विकास और पारिवारिक जीवन को सीखने के लिए कुछ जरुरी शर्तें हैं जैसे : - 
परिवार के विकास के लिए समर्पण का भाव होना जरुरी है. 
परिवार के प्रति निष्ठां, आदर, विश्वास, व् सम्मान की भावना का होना जरुरी है. 
परिवार में मिल- बाँट कर संसाधनों का उपयोग करने की प्रवृति होना जरुरी है. 
परिवार में सभी लोगों के साथ समय निकालना और सबके साथ सुख दुःख में हाथ बंटाना जरुरी है. 
उपर्युक्त शर्तें पूरी होगी तभी परिवार सफल होगा और व्यक्ति परिवार को और परिवार व्यक्ति को अपना पाएगा. लेकिन ये अपने आप नहीं हो सकता है. पारिवारिक जीवन शैली को सीखना पड़ता है. पारिवारिक व्यवस्था को सिखाने के लिए पहले परिवार वयवस्था में प्रशिक्षण की व्यवस्था थी. लेकिन आधुनिक समय में माँ बाप बच्चे को तुरंत हॉस्टल में दाल देते हैं और वो सार प्रशिक्षण स्कुल व् कॉलेज से ही अपेक्षा करते हैं. न तो स्कुल और न कॉलेज में पारिवारिक व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया जाता है. हॉस्टल में जिस प्रकार की स्वतंत्र जीवनशैली फ़ैल रही है वो परिवार व्यवस्था के लिए घातक है. आजादी के नाम पर जिस प्रकार की जीवनशैली युवा वर्ग अपना रहा है वो हमारे लिए खतरा है. हमारे सामने एक खतरनाक भविष्य है. अगर परिवार और समाज को बचाना है तो पारिवारिक जीवन शैली का प्रशिक्षण शुरू करना पड़ेगा.

एक शोध में विद्यार्थियों से उनकी  ५ प्राथमिकताओं को लिखने के लिए कहा गया. ३०० विद्यार्थियों पर हुए उस शोध में परिवार को किसी भी विद्यार्थी ने अपनी प्राथमिकता में नहीं लिखा. कक्षा प्लेग्रुप से  स्नातकोत्तर तक की लगभग १८-१९ साल की पढ़ाई में एक कोर्र्स भी परिवार व्यवस्था के सफल सञ्चालन के प्रशिक्षण के लिए नहीं है. एक तरफ देश में ऐसे लोग उभर कर सामने आ रहे हैं जो सेक्स एजुकेशन, लिव इन रिलेशनशिप,  फ्री इंटरनेट आदि की वकालत कर रहे हैं लेकिन परिवार व्यवस्था के प्रशिक्षण के लिए शिक्षा पर कोई भी नहीं बोल रहा है. मीडिया भी हॉबी क्लासेज, कुकिंग,  करियर, व् स्टार्टअप पर इतनी चर्चा कर सकता है लेकिन परिवार व्यवथा पर तो ये भी मौन है. क्या वाकई हम परिवार व्यवस्था के महत्त्व को समझ पा रहे हैं या नहीं? 

हमारे देश की संस्कृति की आधारशिला हमारी अद्भुत परिवार व्यवस्था को बचाने के लिए आप हम सबको प्रयास शुरू करना पड़ेगा और हर स्कुल और कॉलेज को परिवार व्यवस्था के विषय पर प्रशिक्षण को शुरू करना पड़ेगा. बचपन से ही परिवार व्यवस्था का प्राशिसं जरुरी  है. इससे हमारे देश, समाज, और संस्कृति को बचने में मदद मिलेगी. मैं मीडिया से भी अनुरोध करूँगा की हमारे परिवार व्यवस्था को बचने में मदद करें और "लिव इन रिलेशनशिप" जैसे सामाजिक जहर को न फैलाए. व्यक्तिगत आजादी के नामं पर विकृतियां समाज में फ़ैल रही हैं जो हमारे समाज को खत्म कर सकती है. आइये समय रहते हम कुछ ठोस प्रयास शुरू करें. 

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