Wednesday, February 11, 2015

बच्चों को प्रतिस्पर्धा से दूर रखिये




दुनिया की भेड़चाल  : - 
आज सारी दुनिया बच्चों को प्रतिस्पर्धा की तरफ बढ़ा रही है. आज हर माता पिता अपने बच्चों को अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहे हैं लेकिन मैं यहाँ आप को इस तरफ न जाने के लिए अनुरोध कर रहा हूँ. मैं शायद पूरी दुनिया का विरोध कर रहा हूँ लेकिन सच यही है की अगर हमें अपने बच्चों को श्रेष्ठ व्यक्ति बनाना है तो उनको प्रतिस्पर्धा से दूर रखना होगा. प्रतिस्पर्धा बच्चों में कुंठा, द्वेष, और वैमनस्य पैदा कर देती है. एक विद्यार्थी जीतता है लेकिन बाकी सभी विद्यार्थी हार की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. प्रतिस्पर्धा के स्थान पर आपसी सहयोग, समर्पण, और मेलजोल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. यही विद्यार्थी आगे चल कर प्रतिस्पर्धी विद्यार्थियों से ज्यादा अच्छा कार्य करेंगे. 

फर्स्ट आने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान और विकास के लिए हो अध्ययन 
आज हर विद्यार्थी को टॉप करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और टॉप करने के लिए ही उसको पढ़ाई करनी होती है. इसका परिणाम यह है की हर विद्यार्थी एकाकी हो रहा है और उसे अन्य विद्यार्थियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता. वह स्वयं भी अन्य विद्यार्थियों को प्रतियोगी मान कर उनका ज्यादा सहयोग नहीं करना चाहता है. आज इस मानसिकता के कारण विद्यार्थी के विकास का एक बेहतरीन मौका चला जाता है. जब विद्यार्थी बड़ा होता है तो यह पाता है की वह क्यों छोटे छोटे से मुद्दों पर अपने साथियों से कटा रहा और उसको एक भी अच्छा दोस्त नजर नहीं आता है. जरुरी है की हम इस को बदलें और एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करें जहां पर ज्ञान और विकास के लिए विद्यार्थी मिल कर सम्मिलित प्रयास करें. अध्ययन की प्रक्रिया में अध्यापक से भी ज्यादा जरुरी है विद्यार्थियों का आपसी तालमेल और एक दूसरे को सिखाने और बताने की प्रवृति. 


कोई स्कुल नहीं कर रही शुरुआत : - 
आज हर स्कुल प्रतिस्पर्धा पर आधारित व्यवस्था को ही श्रेष्ठ मान रही है और कोई भी स्कुल नयी शुरुआत नहीं कर रही है. इस हेतु तुरंत प्रयास करने की जरुरत है ताकि हम एक बेहतर कल का निर्माण कर सकें. 

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