Wednesday, August 15, 2018

यु वा ये जमाना है तुम्हारा

यु वाः:  ये जमाना है तुम्हारा 

है जोश होश  जूनून जिसमे - उसको मैं क्या  नाम दूँ
है उम्मीद और यकीन फिर भी क्योंकर उसको काम दूँ 
जो एक उम्मीद है मुझे फिर भी मैं कैसे मान लूँ 
है मुझसे बेहतर लेकिन फिर भी कैसे स्वीकार लूँ 
जो रोकने से ना रुके - रुक जाए तो तूफ़ान हो 
जो कल्पना के पंख से सपनों में खोया खोया हो 
कैसे कैसे सवाल पूछे - उत्तर भी खुद ही ले आये 
हर उत्तर में फिर सवालों का जो झंझावात ले आये 
मनाने से जो न माने, डराने से तो न डरे 
तर्क की कसौटी पर जो हर बात को तोले
वक्त की आंधी से ज्यादा वक्त को भी जो बदल दे 
कल की तैयारी से कैसे आज के सूरज को देखूं 
जिसको समझने के लिए मुझ को भुलाना ही है खुद को 
तोड़ तो कल की वो राहें - भुला दो कल की कहानी 
छोड़ तो इतिहास की बातें - मिटा दो कल की वो बातें 
आज जो खुद हाथ से अपने बनाएगा जमाना 
स्वागत कर आह्लादित हो वो - विश्व का ये नव - निर्माता 



पूरी दुनिया पर आज संकट के बदल है  - अनेक परेशानियां है - लेकिन उस सबका समाधान सिर्फ युवा वर्ग ही निकाल सकते हैं क्योंकि उन सबका समाधान सिर्फ और सिर्फ नवाचार के द्वारा ही किया जा सकता है - और नवाचार आज के समय में सिर्फ युवा वर्ग ही कर सकता है. चाहे पर्यावरण संकट की बात करें, चाहे जल संकट की बात करें, या बढ़ते भ्रस्टाचार की बात करें - या बढ़ते दुराचार की बात करें. इन सभी समस्याओं का समाधान सिर्फ और सिर्फ युवाओं के जरिये ही किया जा सकता है. आज युवाओं को जोड़ने, सहभागी बनाने और भविष्य के निर्माता के रूप में स्थापित करने की जरुरत है. 

१२ अगस्त को संयुक्त राष्ट्र संगठन विश्व युवा दिवस के रूप में मनाता है. भारत में युवाओं की जनसंख्या सर्वाधिक है. युवाओं का आने वाले समय में अद्भुत योगदान होगा. युवा सृजनशील, नवाचारी, कर्मठ और जुझारू हैं. वे सपने भी देखते हैं - तो अद्भुत सक्रियता से सपनों को हासिल भी करते हैं. वे हर समस्या के समाधान तक पहुँचते हैं. आम तौर पर युवाओं को किसी भी तरह की संकीर्ण सोच या संकीर्ण मानसिकता से ऊपर पाएंगे. आप पाएंगे की आज के युवा बहुत सकारात्मक सोच ले कर बड़े हो रहे हैं. इन्हें ना तो मंजूर ही नहीं  हैं. इनके शब्दकोष में असम्भव शब्द नहीं है. ये जो ठानते हैं वो कर के दिखाते हैं. 

यहाँ में कुछ ऐसे युवाओं की कहानी आपके साथ साझा कर रहा हूँ जिनको मैंने कार्य करते हुए इन वर्षों में देखा है. एक युवा की सोच थी की थ्री डी प्रिंटर के इस्तेमाल से कृत्रिम दांत, कृत्रिम अंग बनाये जा सकते हैं. उसने प्रयोग किये, सफल हुआ और फिर अपना स्टार्टअप शुरू कर दिया. आज वो अपने जैसे अनेक युवाओं को रोजगार और जीवन की एक दिशा दिखा रहा है. एक युवा की माँ का कैंसर की बिमारी से असामयिक निधन हो गया. वो एक बार के लिए टूट गया. फिर उसने कैंसर के खिलाफ जंग शुरू कर दीं. आज वो घर घर आर्गेनिक शब्जियां लगवा रहा है. हर घर की छत पर वो एक बगीचा लगता है जिसमे इतनी सब्जियां हो जाती है जो पुरे परिवार के लिए पर्याप्त हो. ये सब्जियां पूरी तरह से आर्गेनिक खेती से उगाई जाती है - यानी न कोई केमिकल - न कोई हानिकारक कीटनाशक. वो शहर शहर में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहा है. पिछले १ साल में १६ शहरों में अपनी शाखाएं शुरू कर चुका है. आगरा शहर में तो कई हेक्टेयर भूमि पर आर्गेनिक खेती करवा रहा है. एक अन्य युवा की बात करता हूँ उसको ये लगा की अनेक मरीज सिर्फ इस कारण परेशान हैं क्योंकि डॉक्टर के यहाँ पर उनको लाइन में लगना पड़ता है. उसने एक एप बनवाया जिसमे डॉक्टर और मरीज विडिओ कॉन्फ्रेंस के जरिये बात कर सकते हैं. मरीज जब चाहे डॉक्टर से सम्पर्क कर सकता है. डॉक्टर लेबोरटरी से उसकी रिपोर्ट मंगवा कर उस मरीज को सलाह दे सकता है. डॉक्टर दिल्ली में बैठा बैठा दूर किसी शहर या गांव के मरीज का इलाज कर सकता है. उसके इस एप ने अनेक डॉक्टरों को एक एक दिन में हजारों मरीजों की मदद करने की क्षमता प्रदान की है. अनेक मरीज आज उसके शुक्रगुजार हैं.  एक अन्य युवा की बात बताता हूँ - वो विदेशी सैलानियों को भारत की लुप्त हो रही संस्कृति से रूबरू करवाता है. वो गावों और दूर दराज के कस्बों में विदेशी सैलानियों को ले जाता है और उनको गावों के स्वाभाविक परिवेश में रहने और समझने का मौका देता है. उसकी कम्पनी का मकसद है लोगों को हमारी संस्कृति की जड़ों तक पहुंचाना और इसी लिए उसने अपनी कम्पनी का नाम रखा है "टू रूट्स".  एक अन्य युवा ने प्लेस्मेंट (नौकरी) में मदद प्रदान करने के लिए एक कम्पनी शुरू की है. वो कंपनियों को शिक्षण संस्थाओं में ले कर आता है. कंपनियों को बेहतरीन युवा अधिकारी उपलभ्ध करवाता है तो शिक्षण संस्थाओं को प्लेस्मेंट में मदद करता है. ऐसे अनेक युवाओं की कानियाना आज मेरे जहाँ में है जो मैं आपसे बांटना चाहता हूँ. लेकिन मेरा मकसद कहानी सुनाना नहीं बल्कि युवाओं की विशेषताओं को रेखांकित करना है. 


आज के युवा अपनी पिछली पीढ़ी से कुछ अलग हैं. इस पीढ़ी ने सुख, समृद्धि, और आशावादिता का अद्भुत समय देखा है. इस पीढ़ी ने परम्पराओं और रूढ़ियों की जगह पर परिवर्तन और विकास की गाथाएं देखि हैं. इस पीढ़ी को जिद कर के कुछ नया करना अच्छा लगता है. इस पीढ़ी को तकनीक से बहुत प्यार है तो इस पीढ़ी को तकनीक के इस्तेमाल से लोगों का भला करना भी आता है. जरुरत है इस पीढ़ी को समझ कर इसको सही तरह से मदद प्रदान करने की. 

ये वो पीढ़ी है जिसको आदेश से नहीं - जूनून से प्रेरित किया जा सकता है. अगर आप ये सोचते हैं की इस पीढ़ी को निर्देशित कर के आप अपने लक्ष्य हासिल कर लेंगे - तो आप गलत हैं. लेकिन अगर आप इस पीढ़ी को किसी जूनून से जोड़ कर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें तो ये पीढ़ी अद्भुत परिणाम दिखाएगी. इस पीढ़ी के साथ काम करने वाली हर सख्शियत और  हर व्यक्ति की  अभिप्रेरणा और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी. ये वो पीढ़ी है जो डर कर नहीं बल्कि तर्क और उद्देश्य से ही प्रेरित हो कर काम करती है. 

अभिभवकों और शिक्षकों का कर्तव्य: 

आज के समय में ये जरुरी है की हम युवाओं को बेहतरीन लक्ष्य के लिए प्रेरित करें. आज के युवाओं को देश के श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं और सृजनशील युवाओं के साथ मिला कर प्रेरित करने की जरुरत है. आज के युवाओं के सामने कोई भी महान आदर्श प्रस्तुत करो - वो तब तक विश्वास नहीं करेंगे जब तक आँखों से नहीं देख लेंगे - अतः इतिहास की नहीं वर्तमान की बात करो. सौभाग्य से हमारे देश में अनेक महान व्यक्ति हर काल में मौजूद रहते हैं. आज भी अनेक महान लोग लगभग हर शहर में मौजूद है. उन लोगों ने जिन्होंने जीवन मूल्यों को संजोने और श्रेष्ठ लाखों के लिए कार्य करने में अपनी जिंदगी बितादि -उनको युवाओं के साथ में रूबरू करवाइये - इससे युवाओं को जीवंत आदर्श मिलेंगे और वे भी अद्भुत लक्ष्यों के लिए कार्य शुरू कर्नेगे. आज के युवा कल के सामाजिक उद्यमी बन जाएंगे अगर हम उन को आज सामाजिक उद्यमियों से मिलवाएंगे और सकारात्मक प्रेरणा से उनको प्रेरित करेंगे. 

स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया से जोड़ने की जरुरत
आज देश में युवाओं को ध्यान में रख कर अनेक योजनाएं शुरू की गयी हैं. इन योजनाओं का लाभ गिने चुने युवा ही ले पा रहे हैं. अनेक युवाओं को इनकी जानकारी नहीं है या उनको नहीं पता की इन योजनाओं का लाभ वो कैसे लेवें. आज जरुरत है की युवाओं को इन योजनाओं के बारे में बताएं और प्रशिक्षित करें ताकि वे भी इन योजनाओं का लाभ ले सकें. हर विद्यालय - महाविद्यालय को युवाओं को इन योजनाओं से अवगत करवाना चाहिए और इन योजनाओं में भाग लेने में मदद करनी चाहिए. 

शारीरिक श्रम और खेल से जोड़ने की जरुरत
मोबाइल ने युवाओं को खेल कूद की दुनिया से अलग कर दिया है. वो दिन रात मोबाइल में खोये रहते हैं. ये हमारी भी गलती है. हमें युवाओं को शारीरिक श्रम से जोड़ना है और ऐसे खेलों से जोड़ना है जिसमे शारीरिक श्रम हो - जैसे फ़ुटबाल, बालीबाल, दौड़, कबड्डी, खो खो आदि. युवाओं को फिर से श्रम से जोड़ने के लिए पहल हमें ही करनी होगी. हर मोहल्ले से खेल और श्रम के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित करनी पड़ेगी. 

विविधता की संस्कृति से जोड़ना
आज के युवा वर्ग को विविधता की संस्कृति से जोड़ने के लिए भारत भ्रमण पर ले जाने की जरुरत है. हर शिक्षण संस्थान को चाहिए की ऐसे आयोजन हो जिसमे विद्यार्थियों को भारत की विविधता से लगाव हो और सीखने और जुड़ने का मौका मिले. सावधान रहें  - कुछ विदेशी ताकते हारे युवाओं को भर्मित कर रही है और उनको सिर्फ विदेश आने के लिए प्रेरित कर रही है - और युवा भ्रमित भी जल्दी हो जाते हैं. अगर कोई भी युवा आपको कहते मिले "भारत में क्या रखा है - मैं तो फलां देश जाऊंगा " तो तैयार हो जाएँ - ये आपकी परीक्षा की घडी है - युवाओं को देश और संस्कृति से जोड़ना आप - हम सबका कर्तव्य है. 

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