Saturday, January 3, 2015

आँखे नमन  उनके लिए - जो सब को दृष्टि दे गए

“वर्ल्ड ब्रेल डे स्पेशल “

बड़ी खूबसूरत है - ये दुनिया
खूबसूरती हैहर तरफ
मगर ..... मगर .. अगर आँखे हैं
क्या करें - जब  ये रौशनी नहीं.
आपके बाद भी जिन्दा रह सकती है
आपकी आँखे
मदद करिये उनकी
जिनके पास नहीं है आँखें
काश कोई आपि आँखों से देख सके
और बदल जाए आपके बाद
किसी और की दुनिया
वक्त निकालिये और
उनको भी देखिये
जो जीते हैं ओरों के लिए

पूरी दुनिया में  जनवरी वर्ल्ड ब्रेल डे के रूप में मनाया जाता हैभारत के सन्दर्भ में अगर हम बातकरें तो हमें श्री जगदीश भाई पटेल को याद करना चाहिएश्री पटेल सिर्फ  वर्ष की उम्र में लकवे कीचपेट में  गए और विकलांग हो गएवे  तो देख पाते थे और  ही चल पाते थे (एक हाथ औरएक पाँव ही काम करता था और जब बोलते थे तो बे हकलाते थे). लेकिन उनमे सीखने और सिखानेका गजब का जज्बा थाउन्होंने  फिज़िओथेरपी का कोर्स किया और फिर पूरा जीवन अंधे लोगों कीसेवा के लिए समर्पित कर दियाउन्होंने खुद हर चीज सीख सीख कर अंधों को भी सीखने कीकोशिश कीउन्होंने १९५४ में अहमदाबाद में ब्लाइंड मेन असोसिएशन (BMA)  बनाया और अंधेलोगों को ब्रेल पुस्तकें और ऑडियो केसेट दे कर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करना शुरू कियाकईबार लोग उनसे पुस्तकें व् केसेट ले जाते और वापस भी नहीं लौटते थेलेकिन वे उनको को प्रेरितकरते और उनको लगातर प्रयास करने और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करते रहते थे.उनके ये प्रयास बहुत सफल हुएउन्होंने अंधे लोगों को जोड़ कर एक उत्पादन केंद्र बनाया जहाँ परफर्नीचर और अन्य सामान बनाया जाने लगाइससे रोजगारसृजनऔर अर्थोपार्जन शुरू हुआ.उनके संगठन के लोगों में  आत्मविश्वास बढ़ाफिर तो वे आगे बढ़ते ही चले गए.

मुझे १९९३-१९९४ में उनसे मिलने का सौभाग्य मिला थाजब में उनसे बात कर रहा था तो उन्होंनेकहा की वे अपने संगठन के सभी सदस्यों को कम्प्यूटर सिखाना चाहते हैंमुझे यह सुन कर बड़ाआश्चर्य हुआउस समय तक विंडोज नहीं शुरू हुआ था और कम्प्यूटर पर डोस कमांड को टाइप करके कम्प्यूटर चलना पड़ता थामुझे ये आस्चर्य हुआ की अंधे लोग कम्प्यूटर कैसे सीखेंगेलेकिन श्रीपटेल अपनी धुन के पक्के थेउन्होंने कम्प्यूटर प्रशिक्षण शुरू कर ही दियाकुछ वर्षों बाद उनकीसंस्था के हर व्यक्ति कम्प्यूटर में दक्ष थाकुछ व्यक्ति तो कम्प्यूटर में इतने प्रवीण हो गए की वेकम्प्यूटर पर एनिमेसन फिल्म और सॉफ्टवेयर भी बनाने लग गए थेश्री पटेल हर विकलांगव्यक्ति को यही कहते थे की आप भी सामान्य व्यक्ति की तरह हैं और वे सभी काम करिये जो दूसरेलोग करते हैंउनका स्वयं का जीवन एक प्रेरणा थाउनकी प्रेरणा से हजारों विकलांग व्यक्ति अपनेपैरों पर खड़े हो गए और एक सृजनशील उद्यमी का जीवन जीने लगे.
श्री पटेल में दो बेहतरीन खासियत थीवे अपने साथियों पर पूरा भरोसा करते थे और योग्यता कोआगे लाने का प्रयास करते थेउनकी संस्था में अधिकांश व्यक्ति अंधे थेसंस्था को आगे बढ़ने केलिए श्री पटेल ने अपने बाद में श्री भूषण पुनानी की जिम्मेदारी सौंपीश्री पुनानी ने आईआईएमअहमदाबाद से एम बी  किया और बड़ी बड़ी कंपनियों की नौकरियां ठुकरा कर श्री पटेल के साथकाम करने का निर्णय लियावाकई श्री पटेल के द्वारा स्थापित ब्लाइंड मेन एसोसिएशन (अबइसका नाम ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन (BPA) हो गया हैहम सबके लिए एक आदर्श संस्था है औरहर व्यक्ति को इस संस्था को देखने व् इससे प्रेरणा लेने का प्रयास करना चाहिए.
पूरी दुनिया में लगभग  करोड़ लोग अंधे हैं और लगभग २४ करोड़ लोग किसी  किसी रूप मेंआँखों की बीमारियों के कारण सही तरह से देख नहीं पाते हैंऐसे अधिकाँश लोग विकासशील औरपिछड़े देशों में रहते हैंआज इसका इलाज संभव है लेकिन उसके लिए लोगों में जागरूकता फैलानेकी जरुरत हैकैसी  जागरूकता की - की हर व्यक्ति को अपनी आँखें दान देनी चाहिएबीकानेर मेंडॉक्टर श्री विजय बोथरा जी व् उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मंजू बोथरा जी ने इस हेतु अलोकिक प्रयासकिया और उनके अद्भुत प्रयासों से सैकड़ों लोगों को दृष्टि मिलीउनकी संस्था रतन नेत्र ज्योतिसंस्थान का कार्य वंदनीय  हैदक्षिणी भारत में नारायण आई हॉस्पिटल ने कमाल का कार्य किया है.जो भी मरीज गरीब होते हैं वे वहां पर निशुल्क इलाज करवा सकते हैंयह अस्पताल हर वर्ष लाखोंलोगों की मदद करती हैऐसे अद्भुत प्रयासों की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है.

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