Saturday, January 3, 2015

विद्यार्थिओं को  सौंपिये डिजिटल लाइब्रेरी

विद्यार्थी का कार्य है ज्ञानार्जन और जितने माध्यम से हम ज्ञान अर्जित कर सकें उतना ही अच्छा है. आज जमाना डिजिटल दुनिया का है. तकनीक के इस युग में नए नए विकल्प उपलब्ध हैं जो न सिर्फ हमें सुविधा देते हैं बल्कि हमारी रूचि और क्षमता के अनुसार हमें अपने मन पसंद विषय से जोड़ देते हैं.
कहते हैं की सुसंकृत समाज में  ज्ञान हर व्यक्ति के लिए निशुल्क उपलब्ध होना चाहिएयही तोसमाज का निर्माण और भावी दिशा तय करता हैमगर ऐसा नहीं होता हैज्ञान बहुत माँगा होता जारहा हैपढाई तो महंगी होती जा ही रही हैसाथ ही पुस्तकें भी महंगी होती जा रही हैपरन्तु एकऐसा विकल्प है तो तकनीक के इस युग में हमारी मदद कर सकता हैडिजिटल पुस्तकें.

आज इस बात की जरुरत है की अधिक से अधिक लेखक डिजिटल दुनिया के लिए लिखें औरबेहतरीन डिजिटल पुस्तकों को अधिक से अधिक प्रचारित किया जाएइससे विद्यार्थियों में नएजमाने के अनुसार अपने आप को तैयार करने के लिए ज्ञान और तकनीकी जानकारी भी बढ़ेगी.

डिजिटल  पुस्तकों व् लाइब्रेरीज के कई फायदे हैं: -
.  साथियों के बीच बांटनापढ़ना और उन पर टिप्पणी लिखना आसान है.
बिना किसी लागत के ये पुस्तकें आप साथ में ले जा सकते हैंऔर दूर बैठे दोस्तों को भी भेजसकते हैं
समय के साथ इनके रिवाइज्ड एडिशन निकालना आसान है. ये पर्यावरण के अनुकूल हैं.
नयी तकनीक सीखने में बच्चों का जवाब नहीं.
करीब - साल पहले मुझे मेरा एक विद्यार्थी मिलाउसने मुझे करीब ५० पुस्तकें दी - डिजिटललाइब्रेरी के रूप मेंये साड़ी पुस्तकें सॉफ्ट कॉपी के रूप में थीयानी ये पुस्तकें आप कभी भी कहीं भीले जा सकते हैं - सिर्फ एक पेन ड्राइव मेंउस विद्यार्थी की रूचि और क्षमता देख कर में हैरान थाक्योंकि हर विषय पर श्रेष्ठ पुस्तकों की उस लाइब्रेरी को बनाने में उसका हुनर साफ़ झालकता थानए ज़माने के ये विद्यार्थी ऐसे हैं जिनको डिजिटल दुनिया के बारे में बहुत जानकारी है और ये वर्ग बड़े शौक से डिजिटल पुस्तकों के पढ़ते भी हैंकम्प्यूटर या लैपटॉप पर पुस्तक पढ़ना मुझे बड़ाअजीब लगता है परन्तु नयी पीढ़ी के साथ ऐसा नहीं हैतो क्यों नहीं नयी पीढ़ी को एक ताकत दीजाए.

२०१० में न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुगाता मित्र ने तमिलनाडु के एक  (कलिकुप्पम नामक एक गाव ) पिछड़े इलाके में १० से १४ साल के बच्चों के बीच कम्प्यूटर पर जीव विज्ञानं का स्टडी मटेरियल रख दिया. ४-५ महीने के बाद वे देख कर हैरान थे की वे बच्चे उस मेटेरियल के द्वारा खुद पढाई करने लग गए थे. जिन बच्चों को अंग्रेजी और कम्प्यूटर भी नहीं आता था वे ही बच्चे कम्प्यूटर से  पढाई करने लग गए.

दुनिया में लगभग १० करोड़ ऐसे बच्चे हैं जो स्कुल नहीं जाते हैं. निकोलस नेग्रोपोंटे नामक व्यक्ति  ने इथियोपिया में ऐसे बच्चों को टेबलेट (छोटे लैपटॉप) बाँट दिए. वे बच्चे जो कभी नहीं पढ़े, वे अपने आप टेबलेट चलना सीख गए और उस टेबलेट के अधिकाँश ऐप्स का इस्तेमाल करने लग गए. निकोलस  वन लेपटोप पर चाइल्ड नामक एक प्रोजेक्ट चलते हैं जिसके तहत वे हर विद्यार्थी तक टेबलेट या लैपटॉप पहुँचाना चाहते हैं. यह एक शानदार पहल है. वाकई तकनीक की मदद से हम विद्यार्थिओं की मदद कर सकते हैं.

हर स्कुल और कॉलेज को बेहतरीन डिजिटल पुस्तकों का चयन कर उनको विद्यार्थियों में बांटना चाहिए. उनको डिजिटल पुस्तकों का निर्माण भी शुरू करना चाहिए. हर स्कुल और कॉलेज को हर वर्ष हर विषय में काम से कम एक डिजिटल  पुस्तक तो निकालनी ही चाहिए. इस प्रकार हम विद्यार्थियों को ज्ञान की इस  अद्भुत गंगा से जोड़ पाएंगे. डिजिटल पुस्तकें विद्यार्थी के अंदर पढ़ने की कुछ इच्छा पैदा करेगी कुछ जिज्ञासा भी बनेगी. फिर विद्यार्थी को कागज़ की पुस्तकें भी उपलब्ध करवानी चाहिए. आज के समय में जब स्कुल और कॉलेज अपने आप को तकनीक से जोड़ने की कोशिश कर रहें हैं तो सबसे पहले तो यही प्रयास होना चाहिए की हर स्कुल और कॉलेज अपने हर विद्यार्थी को डिजिटल पुस्तकें प्रदान करे तथा डिजिटल पुस्तकें बनाने की कला में अपने विद्यार्थियों को दक्ष करे.
इंस्पिरेशन अनलिमिटेड की पहल
बंगलौर की इंस्पिरेशन अनलिमिटेड ने दो साल पहले सिर्फ डिजिटल पत्रिका निकालनी शुरू की. आज उसकी पत्रिका के लगभग १० लाख पाठक हैं पूरी दुनिया में. वे अपने लेख ऐप्स के जरिये भी भेजते हैं. इस पुरे कार्य को युवा वर्ग ही अंजाम देते हैं. यह देख कर लगता हैं की अगर विद्यार्थियों को डिजिटल पब्लिशिंग का प्रशिक्षण दे दिया जाए तो वे कमाल कर सकते हैं..

कागजी पुस्तकों का कोइ विकल्प नहीं

डिजिटल पुस्तकें विद्यार्थी अपने टेबलेट या लैपटॉप पर पढ़ते  रहते हैं. परन्तु जो आनंद असली  पुस्तकें पढ़ने में हैं वो डिजिटल पुस्तकों को पढ़ने में कहाँ. अतः विद्यार्थी को प्रेरित किया जाना चाहिए की वे पुस्तकें पढ़ने की आदत शुरू करें. इस प्रकार विद्यार्थी अपने आप को एक सृजनशील प्रक्रिया से जोड़ पाएंगे.

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