Monday, January 26, 2015

lets create heaven


आईये स्वर्ग बनाएं

इस दुनिया में अगर जन्नत है कही तो बस है यहीं है यहीं ...
लोक कल्याण कारी सरकार के लिए अमर्त्य सेन कितना भी कहें सरकारों की अपनी सीमाये होती है.  सरकार चाहे तो भी बहुत कुछ नहीं कर सकती क्योंकि नीति और कानून बनाने वाले लोग अक्सरजमीनी हकीकत से बहुत दूर होते हैंसरकार का मतलब बहुत कुछ सीमा तक नियम कानून औरव्यवस्थाओं से है और उनकी अनुपालना से हैलेकिन हम सब जानते हैं की आज नहीं हमेशा से हीइन सभी प्रक्रियाओं पर नकल करने की प्रवृति हावी रही हैवाही कानून बनाये गए हैं जो विदेशों(ख़ास कर कुछ विकसित देशों मेंमें चल रहे हैंज्यादातर मामलों में हमारे कानून भी उनके कानूनोंकी नक़ल मात्र होते हैं.

जब आप स्वर्ग बनाने की बात करते हैं तो फिर आप को उनलोगों को देखना पड़ेगा जो असलीस्वरज्य का मतलब जानते हैं और उसको अपनाते आये हैंइसके लिए आपको विदेश जाने कीजरुरत नहीं है  ही विदेशी संविधान की नक़ल करने की जरूरत हैइस अद्भुत देश में हजारों वर्षों सेग्राम स्वराज्य और गणतंत्र की अद्भुत परम्परा रही है जो आज भी किसी   किसी गाव - कसबे मेंमिल जायेगीजब हम उस गाव और कसबे (जो स्वराज्य असली अर्थ में अपनाता हैका आदर्शअपना कर हर गाव और हर मोहल्ले के स्तर पर स्वराज्य की शुरुआत करेंगे तो फिर एक ऐसीशुरुआत होगी जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते - यानी एक असली स्वर्ग की शुरुआत.
प्रशाशन और सरकारी तंत्र से परे भी बहुत कुछ होता है और जहाँ जहाँ भी ऐसे प्रयास होते हैं वेवंदनीय है और अनुकरणीय हैं.
स्वर्ग बनाने के लिए आज आपको अपने हाथों में अपनी कमान लेनी पड़ेगीयहाँ पर स्वर्ग बनाने केलिए आप जो भी करना चाहते है - उसके लिए शुरुआत भी आप को करनी है और लोगों को साथ भीआप को लेना हैस्वर्ग बनाने का रस्ता आसान भी नहीं हैकोई भी बड़ा मकसद कभी भी आसाननहीं होता है.

ग्राम स्वराज्य के अनूठे आंदोलन
राजसमन्द जिले के पिपलांत्री गाव के लोगो ने मिले कर अपना स्वयं का ऐसा विधान बनाया है कीहर गाव को इससे सबक लेना चाहिएजब भी किसी घर में किसी बालिका का जन्म होता है तो गाववाले मिल कर २१००० रूपये इकठे कर उस बालिके के पिता के १०००० जोड़ कर कुल ३१००० की एकएफडीआर (बैंक जमा ) करवा देते हैं और उस बालिका के पिता को यह भी लिख कर देना पड़ता है कीवह उस बालिका को पूरी पढाई करवाएगा और उसकी अवयस्क उम्र में शादी नहीं करेगाजब भीकिसी बालिका का जन्म होता है तब गाव वाले लोग मिल कर १११ पेड़ लगाते है और उन पेड़ों कोसींचते हैउस गाव में मृत्यु भोज की जगह पर एक बेहतरीन प्रणाली है - जब भी किसी की मृत्युहोती है - गाव वाले मिल कर ११ पेड़ लगाते हैइन सब परम्पराओं के कारण आज इस गाव काअपना नाम हैइस गाव को कई इनाम और सम्मान मिले हुए हैगाव के लोगों ने मिल कर एक सेबढ़ कर एक श्रेष्ठ परम्पराएँ स्थापित की हैइस प्रकार यह साबित होता है की अगर लोग चाहें तोफिर स्वर्ग बनाया जा सकता हैइस हेतु पहल गावों को ही करनी होगीहमारे देश में गावों में एक सेबढ़ कर एक बेहतरीन परम्पराएँ है और अगर हम सब मिल कर प्रयास करें तो ऐसा संभव है की हमहर गाव में एक स्वर्ग बना सकते हैं.

जहाँ संस्कृत आम भाषा है
कर्णाटक में मत्तूर और होसहल्ली में लोग आम बोलचाल में संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करते हैं.यहाँ के लोग वर्षों पुरानी भारतीय संस्कृति को इस प्रकार संजोये हुए है जो वाकई वंदनीय हैइनगावों की इस अद्भुत परम्परा को नमन.

गाव जहाँ के कानून भारतीय कानूनों से भी ज्यादा अच्छे और मजबूत हैं.
हिमाचल प्रदेश के मलाणा  गाव के लोगों ने वर्षों से अपने बनाये हुए कानूनों का पालन किया है औरवे ऐसे कानून बनाते हैं तो हर नागरिक को समझ आते हैं और हर नागरिक दिल से उन कानूनों कापालन करता हैजैसे मलाणा में कोई भी व्यक्ति किसी जंगली जानवर को नहीं मार सकता (शिकारतो दूर की बात है). कोई भी व्यक्ति किसी हरे भरे पेड़ को नाख़ून तक नहीं चुभा सकता है - तोडनातो दूर की बात हैसिर्फ सूखे हुए पेड़ और डालियाँ की तोड़े जा सकते हैंऐसे अनेक उदाहरण है जोयह स्पस्ट करते हैं को जहा पर भी लोग मिल कर अपनी व्यवस्था स्थापित करते हैं - वह ज्यादाबेहतर ढंग से काम करती है.

अद्भुत अनोखे प्रयास
जहाँ जहाँ पर लोगों ने मिल कर नयी संगठनात्मक पहल की है वहां वहां अद्भुत अनोखे परिणामसामने आये हैंलोग चाहें तो वे कुछ भी कर सकते हैंसरकारें अपने बनाये हुए कानूनों के जाल मेंइस तरह जकड़ी रहती हैं की चाह की भी कुछ नहीं कर सकती हैं और  किसी और को कुछ करने देसकती हैंलेकिन लोग अगर चाहे तो चमत्कार कर सकते हैंइस हेतु एक माहौल बनाने की जरुरतहैंयहाँ मैं ऐसे कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूँ : -

ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन
अहमदाबाद की इस अद्भुत संस्था में काम करते हुए अंधे लोग आम लोगों से भी ज्यादा सक्षम बनगए हैं और अपने काम को इतनी सफाई से करते हैं की आप हैरान रह जाएंगेवे फर्नीचर भी बनाते हैंतो सॉफ्टवेयर भी बनाते हैं.

मिराकल कोरियर
मिरेकल कोरियर एक ऐसी कोरियर कम्पनी है जिसमे काम करने वाले लोग बहरे हैंइस कंपनी मेंसिर्फ बहरे लोग ही काम करते हैं और वे इतने शानदार ढंग से काम करते हैं की किसी को कोईपरेशानी नहीं होती है.

सारांश : -
एक सकारात्मक पहल के साथ अगर हम सभी अपने अपने स्तर पर छोटे छोटे संगठनतमक प्रयासशुरू करेंगे तो इसी भारत वर्ष को हम फिर से स्वर्ग बना सकते हैंइस हेतु हमें अद्भुत अनुशासन,कर्तव्य निष्ठांआपसी तालमेलऔर सामाजिक उद्देश्यों को प्राथमिकता देनी होगीहमे  बेहतरीनकार्य करने वाली संस्थाओं से प्रेरणा लेनी होगी और उनके साथ मिल कर प्रयास करने होंगे.


No comments:

Post a Comment