Thursday, April 23, 2015

जंगल बचाओं, पेड़ बचाओं, पशु-पक्षी बचाओ

जंगल और जानवरों का कॉर्बेट(वो शिकारी जिसको सरकार सलाम करती है)

(१९ अप्रैल को श्री जिम कॉर्बेट की पुण्य तिथि पर विशेष)

कुमाऊं का लाडलाएक समय था जब इंसान बाघ और अन्य जंगली जानवरों से डरा करता था. एक समय था जब उन लोगों की बड़ी मांग थी जो की आदमखोर शेर और बाघ को मार सके. एक समय था जब शिकार का उद्देश्य मानव जीवन को बचाना था (न की आज की तरह एक घटिया शौक). ऐसा ही एक शिकारी था जिसको आज भी सब लोग सम्मान से याद करते हैं. वो शिकारी था जिम कॉर्बेट जिम कॉर्बेट का जन्म भारत में  नैनीताल में हुआ. उसने अपना बचपन कुमाऊं में बिताया और कुमाऊं के लोगों से जंगल और जानवरों का प्रेम प्राप्त किया. कुमाऊं के लोगों की तरह श्री कॉर्बेट भी जंगली जानवरों को उनकी आवाज से पहचान  लेते  थे.  वो सच्चे अर्थों में जंगल और जंगली जानवरों का प्रशंसक था. उसने अपने जीवन काल में जंगलों और जंगली जानवरों पर अनेक पुस्तकें लिखी और जानवरों के लिए विशेष प्रयास किये.

नरभक्षी जानवरों से जानवर-भक्षी इंसानों की तरफ : -एक समय था जब इंसान नर-भक्षी जानवरों के भय से त्रस्त रहता था. पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग रात में घरों से भहर नहीं निकलते थे. हर तरफ नर-भक्षी बाघ और अन्य जंगली जानवरों का खौफ था. हालाँकि श्री कॉर्बेट ने अपने अनुभव से यह साबित किया था की वो ही बाघ नरभक्षी बन जाते हैं जो किसी बिमारी या चोट से ग्रस्त होते हैं. बिमारी की हालत में उनको शिकार मिलना मुश्किल  हो  जाता है और वे नरभक्षी बन जाते हैं. श्री कॉर्बेट ने १२०० इंसानों को मारने वाले नरभक्षी बाघों को मौत के घाट उतार दिया था. लेकिन कॉर्बेट के ही प्रयास से भारत में नेशनल पार्क की स्थापना हुई (जिसका नाम आज जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क है). श्री कॉर्बेट ने  ३० से ज्यादा आदमखोर  बाघ और तेंदुओं का शिकार किया लेकिन  आखिर में  जंगलों और जानवरों को बचाने के लिए प्रयास किये. आज फिर से कॉर्बेट की जरुरत आ पड़ी है. आज जंगल और जानवर दोनों का जीवन खतरे में है. सरकार के प्रयासों से बाघों की जनसँख्या बढ़ रही है (सरकारी आंकड़ों के अनुसार बाघों की संख्या पिछले ५ सालों में १७०० से बढ़ कर २३०० हो गयी है) लेकिन वो बाघ क्या खाएंगे? (बाकी जानवर तो खत्म हो रहे हैं) जंगलों का ख़त्म होना और जंगली जानवरों का लगातार घटना एक चिंता का विषय है.  एक समय था जब जंगल, पेड़ और जंगली जानवर हुआ करते थे. अब वे लगातार घट रहे हैं. मैंने अपने पिताजी से कस्तूरी मृग की कहानिया सुनी थी  - अब तो कस्तूरी मृग ही नहीं बचे हैं. एक समय ऐसे घनघोर जंगल हुआ करते थे जिनमे दिन में भी अँधेरा रहता था - अब ऐसे जंगल दुर्लभ हो गए हैं. जंगलों की सुरक्षा के नाम पर फारेस्ट ऑफिसर्स आदि की नियुक्ति की जाती है जो खुद ही अक्सर शिकारियों से मिले हुए होते हैं और जंगल और जानवरों को बचाने की जगह पर उनके विनाश के कारक बन जाते हैं.

जंगलों की कीमत अनमोल से बहुमूल्य बन गयीजंगल और जंगली जानवर अनमोल हैं. लेकिन आज के ज़माने में कार्बन क्रेडिट का बड़ा फायदा है. जिस देश के पास बड़े बड़े जंगल हैं वो देश उन जंगलों को बचा कर कार्बन क्रेडिट हासिल कर सकता है और इस प्रकार जंगलों से उसको कार्बन क्रेडिट के रूप में लगातार आय प्राप्त होती रहेगी. वो देश जिनके पास बड़े बड़े जंगल हैं उनको लगातार आय प्राप्त होती रहेगी और वे देश इस प्रकार बहुत ही सफल हो जाएंगे.
इंसान का हैवानी स्वरुप जानवरों की घटी जनसँख्या के पीछे सबसे बड़ा कारण उनका शिकार है. जिम कॉर्बेट भी शिकारी थे पर उनका लक्ष्य अलग था. आज कल हर होटल जंगली जानवरों का मांस परोस रहा है. लोगों में भी इसका एक फैशन बन गया  है  इंसान का हैवान के रूप में रूपांतरण आज जानवरों के लिए सबसे ज्यादा चिंताजनक है. आज इंसान लगभग हर जानवर खाने के लिए तत्पर बैठा है. एक समय था जब वनस्पति की कमी के कारण इंसान को मांस खाना पड़ता था, परन्तु आज तो मांसाहार भी एक फैशन बन रहा है.

फैशन इंडस्ट्री का सितमफैशन इंडस्ट्री जानवरों के कंकाल, खाल, दांत, और शारीर के हिस्से फैशन के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. कोई खरगोश की खेल से पर्स बना रहा है तो कोई गेंडे व् हाथी के दांत से गहने बना रहा है तो कोई जानवरों का प्रयोग फैशन उत्पादों की लैबोरेटरी में कर रहा है.

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड (WWF)यह अफ़सोस की बात है की अहिंसा परक देश भारत को आज अहिंसा की शिक्षा के लिए वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड (WWF)  की तरफ देखना पड़ रहा है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड की तरह के अनेक स्वयं सेवी संगठन आज आगे आ रहे हैं जो लोगों को पेड़ और जंगली जानवरों को बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनके प्रयास वन्दनीय हैं. भारत के लोगों को भी इस तरफ प्रयास करना चाहिए. बिश्नोई समाज का इस तरफ विशेष योगदान है.
हग एक पेड़ हग ऐ ट्री एक प्रोग्राम है जिसके द्वारा वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फण्ड पेड़ों को बचने के लिए प्रयास कर रहा है. हम सब को इस प्रयास के साथ जुड़ना चाहिए. ये लोग भी वो काम कर रहे हैं जो हम भारतीय वर्षों से करते आ रहे हैं.
हम सबको अब यह कहना ही पड़ेगा : जंगल बचाओं, पेड़ बचाओं, पशु-पक्षी बचाओ  

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