Thursday, April 23, 2015

भारतीय पहनावे ओर भारतीय खानपान को इज्जत चाहिए.

चलिए टाई विहीन संस्कृति की ओर

(सभी अभिभावकों से करबद्ध अनुरोध) 
कपड़ों से कोई सभ्यता ओर संस्कृति नहीं बनती ओर न ही कपडे हमारे विचारों के प्रतिनिधि होते हैं. लेकिन अगर कपडे किसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हों तो फिर उनके चयन में सावधानी होनी चाहिए. आज हर माँ - बाप की ख्वाइश होती है की उनका लाडला एक अच्छी स्कुल में टाई पहन कर जाए. टाई अंग्रेजों के समय से अधिकारी वर्ग के वर्चस्व से जुडी है ओर आज भी हम इस हीं भावना के शिकार हैं. आज भी हम अपने बच्चों को वो बनता देखना चाहते हैं जो हम नहीं बन पाये ओर उनको टाई में देख कर खुश होते हैं. 

इसके दुष्परिणाम वो होते हैं जो हम नहीं सोच प् रहे हैं. टाई की इस अंधी दौड़ में शामिल हमारे बच्चे हमसे ज्यादा इज्जत उनको देते हैं जो टाई पहने हुए नजर आते हैं (विदेशी). यह एक स्वाभाविक परिणाम है - क्योंकि हम ही उनको यह सीखा रहे हैं तथा  टाई को एक बहुत ज्यादा सफल व्यक्ति की निशानी के रूप में हम ही प्रस्तुत कर रहे हैं. बाद में जब ये बच्चे बड़े हो कर साधारण वेश भूषा वाले भारतीय व्यक्ति को इज्जत न देकर विदेशी लोगों (सिर्फ इस लिए की उनके टाई पहनी हुई है) को इज्जत देने की आदत अपना लेते हैं ओर विदेशी संस्कृति ओर सभ्यता को ज्यादा तबज्जु देते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. 

हमें यह समझना चाहिए की टाई सिर्फ एक वस्त्र नहीं एक सभ्यता ओर संस्कृति का प्रतिनिधि है ओर हमें किसी भी सूरत में भारतीय सभ्यता ओर संस्कृति को हल्का नहीं आंकना चाहिए ओर जब हम ही अपनी संस्कृति को इज्जत नहीः देंगे तो ओरों से क्या अपेक्षा. आज ही यह संकल्प कर लेवें की अपने लाडलों को उन स्कूलों में भेजेंगे जहाँ पर भारतीय पहनावे ओर भारतीय खानपान को इज्जत के साथ प्रस्तुत किया जाता है ओर जहाँ रह कर हमारे लाडले हमारी अद्भुत भारतीय संस्कृति के रंग में रँगे न की टाई की संस्कृति में . 

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