Thursday, April 23, 2015

समृद्ध भाषा अपनाईये और बच्चों को जहर से बचाइये

समृद्ध भाषा अपनाईये और बच्चों को जहर से बचाइये 


छोटी काशी के नाम से मशहूर बीकानेर में भाषा भी बड़ी ही समृद्ध रही है. यहाँ पर लोग अपने से छोटों को भी सा के सम्बोधन से बुलाते हैं. सा और जी बहुत ही आदर सूचक सम्बोधन है. पश्चिमी देशों में आदर सूचक समोधनों का प्रयोग नहीं होता है. अतः वहां आज सभ्यता का उत्कर्ष रुक सा गया है. अमेरिका में रहने वाले मेरे एक मित्र प्रोफेसर श्याम लोढ़ा ने बताया की आजकल अमेरिका में हर व्यक्ति को यह सिखाया जाता है की वह हर कर्मचारी के साथ बड़े ही मिठास से और आदर से बात करे. उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का जिक्र करते हुए यह बताया की उनको भी बहुत दिक्कत हुई जब उनकी सेक्रेटरी से उनको माफ़ी मांगनी पड़ी. चाहे मार्केटिंग का प्रभाव कहें या नए ज़माने की जरुरत, आज हर कर्मचारी को तभी नियुक्ति मिलती है जब वह सॉफ्ट स्किल में श्रेष्ठ होता है  यानी दूसरे लोगों के साथ शिष्ट्ता से पेश आता है. कुल मिला कर भाषा में सम्मान लाना आज पश्चिम के लिए भी जरुरी हो गया है. 

भारत में हमेशा से एक दूसरे को आदर और सम्मान देने की संस्कृति रही है. यहाँ जिस आदर और सम्मान की संस्कृति को हमने देखा है वो अब अपने आखिरी पड़ाव पर नजर आ रही है. आज के समय में विद्यार्थियों को इस अद्भुत संस्कृति से जोड़ना बहुत जरुरी है. पश्चिमी संस्कृति पर आधारित (ज्यादातर शिक्षण संस्थाएं पश्चिमी संस्कृति को आदर्श मान कर शिक्षण व्यवस्था को संचालित कर रही है). शिक्षण संस्थाओं में पश्चिमी भाषा के साथ साथ पश्चिमी विचारधारा, बोलचाल भी आ रहा है. बच्चे सबसे पहले तो पश्चिमी गालियां सीख रहे हैं. एक बच्चे ने जब "शिट" शब्द इस्तेमाल किया तो मैंने उससे पूछा की इसका क्या मतलब है. वह सकपका गया. ज्यादातर बच्चे पश्चिमी गालियां सीख कर अपनी बोलचाल में अपना रहे हैं. पश्चिमी फ़िल्में भी बहुत लोकप्रिय हो रहीं हैं और उनके साथ पश्चिमी गालियां हमारे घरों में आ रहीं हैं. अतः सभ्यता और संस्कृति को बचने के लिए जरुरी है की हम फिर से आपसी सम्मान पर आधारित हमारी सभ्यता और संस्कृति को फिर से स्थापित करने का प्रयास करें. 

शिक्षण संस्थाओं के लिए जरुरी है की वे अपने शिक्षकों से अनुरोध करें की वे बहुत ही आदर सूचक और समृद्ध और शुद्ध भाषा काम में लेवें और वैसी ही भाषा काम में लेने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करें. विद्यार्थी अगर सिर्फ अपनी भाषा सुधार लेंगे तो जीवन में सफलता तो पक्की है. 


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