Thursday, April 23, 2015

ऊर्जा और जोश



जीवन के संग्राम के लिए असली विटामिन:  ऊर्जा और जोश 

जीवन में अगर हम उत्साह, जोश, और ऊर्जा से भरे रहेंगे तो जीवन हमारा है और हमको हर कार्य में सफलता मिलेगी, परन्तु यदि हम हताशा, निराशा, व् हार की मानसिकता से जिएंगे तो ये जीवन भी हमें ठुकरा देगा. आज के दिन हमें हर सांस के साथ अपने अंदर उत्साह और जोश भरने की सीख लेनी है. २२ फरवरी का दिन पूरी दुनिया में बड़ेन पावेल के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. पूरी दुनिया में स्काउट्स -गाइड्स मूवमेंट के द्वारा उत्साह और जोश से जन सेवा का पैगाम फैलाने वाले पावेल ने देखा की मिलिट्री ट्रेनिंग से लोग जोश और उत्साह से भर जाते हैं और जीवन को एक नए नजरिये से देखते हैं. उन्ही के इस नए नजरिये के लिए ही कई लोग आज के दिन को थिंकिंग डे के रूप में भी मानते हैं यानी अगर हम सभी ज़माने के प्रति अपने नजरिये को बदल लें तो दुनिया का नक्शा बदल सकता है. आज के युवाओं को पावेल के सन्देश की फिर से जरुरत है.
देश सेवा और परिश्रम को जोड़िये युवा शिविरों के द्वारा  
स्काउट्स आंदोलन की तरह ही भारत में नेशनल युथ प्रोजेक्ट है, जिसका सञ्चालन श्री सुब्बा राव करते हैं. श्री राव आज ८५ वर्ष से जयादा की उम्र के हैं लेकिन आज भी वे इतने उत्साहित और जोशीले रहते हैं की वाकई नौजवानों के लिए एक नसीहत है. जब मैं उनसे पिछले और उससे पिछले वर्ष मिला था तो मैं हैरान था ये देख कर कर की वे आज भी कितना शारीरक श्रम करते हैं. उनकी जगह हम हमारे नौजवानों को देखें तो लगता है की हमने इनको  इतना नाजुक बना दिया है की वे लोग कुछ भी नहीं कर सकते हैं (सिवाय फेसबुक और व्हाट्सप्प चलाने के). आज आम शहरी बच्चा न धूप  बर्दास्त कर सकता है, न ठण्ड-गर्म, न रूखी-सुखी खा सकता है न नल का पानी पी सकता है. न वो दौड़ लगा सकता है न वो शारीरिक श्रम कर सकता है, न वो समूह में काम कर सकता है न वो विपत्तियों को झेल सकता है. हमने उनको आराम के नाम पर कमजोरी प्रदान की है. जीवन कोई आराम भरी यात्रा नहीं है. जीवन में कदम कदम पर मुश्किलें आएँगी. जीवन में जो व्यक्ति कठोर परिश्रम और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार होगा वो ही आगे बढ़ पायेगा. 

आज दिखने में आ रहा है की महानगरों के बच्चे ऑफिस - वर्क के आलावा कोई काम ही नहीं कर सकते हैं. ऐसे बच्चे किस काम आएंगे? ऐसे बच्चों से देश का विकास नहीं हो सकता है. आज फिर से पावेल और सुब्बा राव के रास्ते पर चल कर युवाओं को उत्साह और जोश से भरने की जरुरत है ताकि वे जिंदगी की इस अद्भुत सौगात का पूरा आनंद लेवें और जीवन के हर इन्तिहाँ में सफल हों. मैं हर  विद्यालय - महाविद्यालय से अनुरोध करना चाहता हूँ की विद्यार्थियों को नेशनल युथ प्रोजेक्ट तथा स्काउट्स और गाइड्स मूवमेंट जैसे अवसरों से जोड़ें ताकि विद्यार्थियों का उत्साह और जोश बरकरार रहे और वे समाज को सुधरने और संवारने में अपनी सृजनशील दक्षता का इस्तेमाल करें.  आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता की तरह विद्यार्थियों को  गाव - गाव भ्रमण करवाने और आम लोगों से संवाद करवाने की जरुरत है ताकि वे जीवन की मुश्किलों का समाधान निकालने में दक्ष हो जाएँ और असली भारत (असली भारत अभी भी गावों और छोटे शहरों में बस्ता है) से रूबरू हों. . उत्साह और उमंग हमें फिर से एक नया जीवन देगी ताकि हम अपनी और आने वाली पीढ़ी को एक सकारात्मक कार्य में लगा सकें. 
श्री सेनगुप्ता और श्री अब्दुल कलाम आजाद को नमन 
आज के ही दिन (२२ फरवरी १८८५) को जन्मे श्री यतीन्द्र मोहन सेनगुप्ता को भी याद करना जरुरी है. वे भी जबरदस्त उत्साह और जोश के प्रतिक थे. भारत के बर्मा से विभाजन के विरोध में आवाज उठाने वाले कुछ-एक स्वाधीनता संग्रामियों में से एक श्री सेनगुप्ता ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक नयी दिशा देने का प्रयास किया. आज ही श्री अब्दुल कलाम आजाद की पुण्य तिथि भी है. श्री आजाद ने जिस समय और जिस तरह से भारत में कोमी एकता के लिए काम किया, वो सिर्फ एक दिए और तूफ़ान की लड़ाई के सामान है. 

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