Sunday, March 13, 2016

एक दिन मातृ भाषा के लिए

एक दिन मातृ भाषा के लिए 

विश्व मातृ भाषा दिवस विशेष 


किसी भी प्रदेश के विकास में भाषा और संस्कृति का महत्वपूर्ण  स्थान होता है. अपनी मातृ भाषा पर हम सबको गुमान होना चाहिए और मातृ भाषा के प्रचार प्रसार के लिए प्रयास होने चाहिए. लेकिन ये बात राजस्थान के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है. राजस्थानी भाषा के लिए आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है. सबसे पुरानी और समृद्ध भाषा होते हुए भी आज तक इसको तरसना पद रहा है. आज हाल ये है की राजस्थानी लोग अपनी मातृ भाषा में बोलने में कतराने लगे हैं. किसी स्कुल में राजस्थानी बोलने पर विद्यार्थी को प्रताड़ित किया जाता है. राजस्थानी बोलने वाले को हीं भावना से देखा जाता है. राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं. कुछ गिने चुने साहित्यकारों, जन-प्रतिनिधियों, राजनेताओं के प्रयासों को अपवाद माना जाए तो राजस्थानी भाषा के प्रसार प्रचार और मान्यता के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं. राजस्थानी भाषा से हमारी संस्कृति, सभ्यता और गौरव जुड़ा हुआ है. आज जरुरत है की कम से कम शैक्षणिक संस्थाओं  को तो राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार और संरक्षण के लिए पहल करनी चाहिए. 

मैं उम्मीद करता हूँ और कामना करता हूँ की आने वाले समय में कुछ शिक्षण संस्थाएं प्रयास करेंगी ताकि  राजस्थानी भाषा को विद्यार्थियों में प्रचारित करने, उसके साहित्य को पल्लवित करने और उसके संरक्षण के लिए कुछ ठोस प्रयास शुरू हों. उम्मीद है हमारे इन छोटे छोटे प्रयासों से हम वापिस राजस्थानी भाषा को उसका गौरव मई स्वरूप दे पाएं. प्रख्यात साहित्कार मेरे नानाजी श्री अगरचन्द जी नाहटा व् मामाजी श्री भंवर लाल जी नाहटा अधिक से अधिक राजस्थानी में भी पत्राचार किया करते थे और राजस्थानी को प्रचारित करने के लिए हमेशा तटपर रहते थे. आज उन जैसे लोगों की वाकई कमी नजर आर रही है. 

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