Sunday, March 13, 2016

जरुरत है बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन की

जरुरत है बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन की 

(भारत में नेशनल गर्ल चाइल्ड डे 24 January पर विशेष ) 

बालिकाओं की स्थिति सुधारने के लिए उनको शिक्षित और स्वावलम्बी बनाना पड़ेगा. उनको इतना मजबूत बनाना पड़ेगा की कोई उनकी तरफ गलत इरादे से देख भी न सके. लेकिन उसके लिए हमें हमारे शिक्षा के ढाँचे में सुधार करना पड़ेगा. बालिकाओं की स्थिति सुधरेगी तभी सही अर्थ में विकास संभव हो पायेगा. राजस्थान में आज भी ऐसे गाव हैं जहाँ पर कई किलोमीटर तक बालिका विद्यालय (और बालिका महाविद्यालय की तो क्या बात करें)  नहीं मिलते हैं. सड़कें टूटी हुई हैं जिससे यातायात में देर बहुत लगती है. टूटी फूटी सड़कों के बीच महज २० किलोमीटर जाने में २ घंटे लग जाते हैं. ऐसे मैं कैसे बालिकाएं शिक्षा प्राप्त करें? बालिकाओं को मजबूर हो कर  स्कुल / कॉलेज से पढ़ाई छोड़नी पड़ती हैं. हर गाव और हर ढाणी में प्राथमिक विद्यालय हो और हर गाव में बालिका विद्यालय हो. इस हेतु कोई ढोस प्रयास जरुरी है. अभी तो स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग से टॉयलेट भी नहीं मिलता है. जब इन प्राथमिक उद्देश्यों के लिए बजट नहीं होता है तो समझ लेना चाहिए की सरकार की प्राथमिकताओं में परिवर्तन की जरुरत है. 
राजस्थान में विकास की डींग  हांकती सरकारों से मेरा विनम्र निवेदन है की वे धरातल पर आएं और जमीन पर विकास के काम की स्थिति को देखें. वे जब तक विकास के काम को प्राथमिकता नहीं देंगे विकास नहीं होगा. जनता ने उनको ५ साल का मौका दिया है और ५ साल में अगर वे चाहते हैं तो राजस्थान स्वर्ग बन सकता है लेकिन क्या उसके लिए वे आम आदमी की बात को सुनने के लिए तैयार हैं? क्या उनके पास कुछ करने की इच्छा शक्ति है? 

पुरे भारत में महिला शिक्षा और बालिका शिक्षा के मामले में राजस्थान सबसे पीछे हैं. पुरे भारत में महिला शिक्षा की दर सबसे कम राजस्थान राज्य में है. क्या ये गर्व करने की बात है  या नजरअंदाज करने की बात है? २००१ से २००१ में सिर्फ एक ही राज्य ऐसा था जिसमे अनपढ़ महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई - राजस्थान में अनपढ़ महिलाओं की संख्या १.२३ करोड़ से बढ़ कर १.३२ करोड़ हो गयी और महिला शिक्षा का ये हाल आज भी वाही है. क्या एक ऐसे राज्य में जहाँ की मुख्य मंत्री भी महिला हो - इस प्रकार की स्थिति को आप बर्दाश्त करेंगे? आप तुरंत पूछेंगे क्या हो रहा है अब? जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास और ग्रामीण विद्यालयों और महाविद्यालयों के विकास के लिए कोई प्रयास नहीं होंगे - बालिका शिक्षा में प्रगति नहीं हो पाएगी. आज उच्च तकनीक के बावजूद भी हम ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और सॅटॅलाइट की मदद से उच्च शिक्षा नहीं फैला सकते हैं तो ये सरकार की असफलता है. 

मैं केरल से तुलना नहीं करूंगा क्योंकि आप कहेंगे तुलना बराबर वालों से होनी चाहिए. पडोसी राज्यों को लेंगे तो भी हम बहुत ही पीछे हैं. गुजरात में कब से मुफ्त कन्या शिक्षा है? गुजरात में कब से शिक्षण संस्थाओं को सरकार का सम्बल मिल रहा है? चलिए बिहार से तुलना करते  हैं . बिहार में अब सिर्फ १०% स्कूलों में पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं है और वो समस्या भी अब दूर हो जायेगी. बिहार में बड़े पैमाने पर स्कूलों में सुधार का कार्यक्रम चल रहा है. विकास के इस कार्य के लिए बिहार सरकार खुल कर निजी क्षेत्र को भी आमंत्रित कर रही है ताकि सब मिल कर के विकास कर सकें. बिहार जिसमे एक समय में कन्या  शिक्षा  की सबसे सोचनीय स्थिति थी वो अब जल्द ही राजस्थान से आगे निकल जाएगा क्योंकि महिलाओं में इफेक्टिव लिटरेसी रेट अभी राजस्थान में  ४९% के लगभग है और सरकार की तरफ से जब तक कोई ढोस प्रयास नहीं होगे तो विकास की उम्मीद कम ही है. सरकारी महकमों की कार्य करने की शैली में कोई सुधार दिख नहीं रहा है लेकिन बिहार में नितीश सरकार से प्रशाशनिक सुधार की उम्मीद की जा रही है. 

बालिका शिक्षा के लिए जरुरी है की राजस्थान में सरकार अपनी नीतियां बदले. सिर्फ मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए शहर को सुसज्जित करने की नीति को त्याग कर के वास्तविक विकास और ग्रामीण विकास के लिए कोई कदम उढाये. जहाँ जहाँ मुख्यमंत्री जाएंगी वहा वहा पर सड़क बनेगी - ये तो कोई नीति नहीं होती. ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले ८-१० सालों से सड़कों के लिए कोई प्रावधान हैं नहीं हो पाया है. क्या चाहती है सरकार? बालिका शिक्षा के लिए सबसे पहले तो इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं. कितने गाँव में बालिका विद्यालय है? कितने गावों में बालिका शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं. बालिका महाविद्यालय खोलने के लिए क्या प्रोत्साहन है? 

एक फैक्ट्री खोलने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस मिलता है (अगर आप नॉन-रेजिडेंट हैं तो ) - पर क्या बालिका शिक्षा के लिए या बालिका महाविद्यालय के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस है. क्या सरकारी महकमे बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए अपने मानदंड और अपने नियम सुधार सकते हैं? क्या शिक्षा मंत्री व् शिक्षा से जुड़े अन्य अधिकारी बालिका शिक्षा के लिए जूनून रखते हैं. 

कुछ अफ़्रीकी देशों के शिक्षा मंत्रियों से मिलने का मौका मिला था उनका शिक्षा को फैलाने का जूनून देख कर मैं हैरान रह गया. काश उतना जूनून हमारे यहाँ के लोगों में हो - तो फिर राजस्थान को स्वर्ग बनाने में क्या देर लगे? अफ़्रीकी देश के एक शिक्षा मंत्री ने मुझ से कहा की वो अपने विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई करने के लिए किसी भी देश में भेजने को तैयार हैं. उसका सारा खर्च करने को तैयार हैं. वो लोग शिक्षा के क्षेत्र में अपने लोगों को आगे आने के लिए कह रहे हैं. हमारे नेता अगर उनसे कुछ सीख ले तो बहुत विकास हो सकता है. यहाँ तो मुझ जैसा शिक्षाविद कभी अपनी स्कुल या कॉलेज खोलने की सोच भी नहीं सकता है क्योंकि नेताओं की तरफ से कोई सहयोग की गुंजाइश नहीं है और वर्तमान ढाँचे में शिक्षा के क्षेत्र में लाइसेंस  राज के चलते सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना बहुत ही मुश्किल कार्य है. मुझे पता नहीं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े राज्य राजस्थान में ऐसी नीतियों का क्या कारण है? 

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