Thursday, December 10, 2015

BIKANER CITY OF 1000 HAVELIES

१००० हविलियों का शहर : बीकानेर 


बीकानेर शब्द अपने साथ अद्भुत संसृतिक स्मृतियाँ ले कर आता है. पूरी दुनिया में बीकानेर ने अपनी अलग पहचान बना राखी है.पर्यटन मानचित्र पर बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत केलिए एक अलग पहचान है. बीकानेर के लोग हमेशा से स्थापत्य और आदर्श वैभव के कद्रदान रहे हैं. १५० साल पहले बानी हवेलिओं में जाइए - आज भी आपको उनमे बड़ा सुकून मिलेगा. बिना एयर-कंडीशन के भी इन अद्भुत हवेलियों में गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्मी का अहसास मिलेगा. एक अद्भुत स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत का का ऐसा जोड़ कहाँ मिलेगा. हर हवेली में अद्भुत कारीगरी और चित्रकारी से सुसज्जित दानखा (दीवान ऐ खास को यहाँ दानखा कहा जाता है), आँगन, पंखा साल (आँगन के बाद का बड़ा हाल, जहाँ सब मिल जुल कर बैठ कर बात करते हैं), ओरे, माल, और मालिया - सब अनोखा शिल्प शास्त्र है. ये हवेलियां ऐसे बनायीं गयी की बिना बिजली के भी आप इनमे बड़े सुकून से रह सकते हैं. हर हवेली में रौशनी, हवा - पानी, और सुरक्षा के  पर्याप्त बंदोबस्त हैं. आज १५० साल बाद भी आप उनके मुरीद बन जाएंगे. हर हवेली में लाल पत्थर पर चित्तरकर्षक नक्काशी मिलेगी (कई हवेलियों में संगमरमर पर भी नक्काशी है). हवेलियां चुने में बानी है जो जितना पुराण होता है उतना ही मजबूत होता जाता है (बशर्ते उसमे पानी का रिसाव न हो). ये हवेलियां किसी भी सैलानी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है. ये  हवेलियां एक संस्कृति की पहचान है. संयुक्त परिवार व्यवस्था में हवेलियां बड़े परिवार को इकठा रखने के लिए जरुरी होती थी. लोग हिल मिल कर रहते थे और आपस में हर बात खुल कर करते थे इसी लिए बड़े बड़े पंखा - साल और बड़े बड़े दांखे होते थे. पूरा बीकानेर शहर कोई भी व्यक्ति १५-२० मिनट में एक कोने से दूसरे कोने तक पैदल चल कर पार कर सकता था. इसी लिए सभी हवेलियां पास पास होती थी और उनके बीच बहुत संकरे रास्ते होते थे (जो सुरक्षा और पैदल चलने की दृस्टि से उचित भी होते थे), आम तोर पर लोग पैदल ही एक जगह से दूसरी जगह जाय करते थे इसी कारण रास्ते सांकडे, घुमावदार, और ऐसे बने होते थे जिसमे पैदल यात्री को सुविधा रहे. थोड़ी थोड़ी दूर पर कोई चौक या कोई पाटा मिल जाता था जहाँ पर लोग दो मिनट बतिया कर आगे बढ़ सकते थे. इन्हीं सब छोटी छोटी बातों से ही तो संस्कृति की अद्भुत विरासत का निर्माण हुआ था.  इन्हीं सब कारणों से अनेक विदेशी विशेषकों ने बीकानेर की हवेलिओं को अद्भुत माना. वर्ष २०११-१२ में वर्ल्ड मोन्यूमेंट फण्ड ने हवेलियों के संरक्षण केलिए बीकानेर की स्वयं सेवी संस्थाओं को भी सहयोग दिया और बीकानेर की हवेलियों को बचने और उनके संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हीं के प्रयासों से बीकानेर हेरिटेज वाक भी शुरू हुई और अन्य भी कई प्रयास शुरू हुए. लोकायन तथा अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं ने आगे आ कर इस दिशा में प्रयास भी शुरू किया. सरकारी अनदेखी के बावजूद इस अद्भुत सांस्कृतिक विरासत को बचने के लिए लोग आगे आ आ कर अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं. 

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