Thursday, December 10, 2015

SOCIAL INSTITUTIONS OF BIKANER

बीकानेर की संस्थाएं व् सामजिक विकास के आयाम 

जहाँ दूसरे शहर सौभाग्यशाली होते हैं की वहां पर सरकार के द्वारा राष्ट्रीय और अन्तरास्ट्री संस्थाएं स्थापित की जाती है - वहां बीकानेर सौभाग्यशाली है की यहाँ पर सरकार और आम जनता दोनों द्वारा संस्थाएं स्थापित की गयी है और भविस्य में भी ऐसा होता रहेगा  - ऐसी कामना की जानी चाइये. बीकानेर में आजादी से पहले महाराजा गंगासिंह जी ने अनेक संस्थाओं की स्थापना की जिससे आम लोगों में शिक्षा, चेतना और बौद्धिक विकास में मदद मिली. आजादी के बाद भी थोड़ा बहुत प्रयास तो हुआ ही है और उसके लिए सरकार को धन्यवाद (हालांकि ये अपेक्षा से काफी कम है). 

जन प्रयासों में कोई कमी नहीं रही.बिना सरकारी सहयोग के भी कई संस्थाएं आगे आई हैं और आम जनता के विकास के लिए अद्भुत प्रयास कर रही है. एक दो उदाहरण से अपनी बात रखना चाहता हूँ. श्री संगीत भारती की बात करते हैं. १९५६ में स्थापित ये संस्था बीकानेर में संगीत और कला को प्रोत्साहन देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. संस्था के संस्थापक डॉ. जयचंद्र शर्मा के द्वारा संगीत के प्रचार प्रसार के लिए अप्रतिम प्रयास किये गए. संस्था के विद्यार्थियों ने भी शानदार संषताएं स्थापित की हैं. जैसे डॉ. श्रेयांस जैन ने डांस जॉन नामक संस्था स्थापित कर नृत्य के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान दिया है और भविष्य में भी वे ये योगदान देते रहेंगे. 
राजस्थानी साहित्य और कला के क्षेत्र में अभय राज कला भवन और अभय राज नाहटा ग्रंथागार एक अद्भुत संस्था बनी. बिना सरकारी सहायता के भी इस संस्था ने अद्भुत ग्रंथालय बनाया और कलाकृतियों को संकलित किया. जुबिली नागरी भण्डार जैसी संस्थाओं ने आम जनता में साहित्य, चेतना, और कला के विकास के लिए अद्भुत योगदान दिया है. शहर में आज भी सरकारी पुस्तकालयों से ज्यादा पुस्तकालय स्वयं सेवी सस्थाओं और निजी प्रयासों से स्थापित संस्थाओं के द्वारा है. ये भी एक बहुत प्रेरणा की बात है. 

उम्मीद की जानी चाहिए की इस शहर की सामाजिक सृजनशीलता और सामजिक उद्यमिता को भविष्य में नयी उड़ान मिले और इससे इस शहर का निरंतर विकास होता रहे. 

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