Thursday, December 10, 2015

THE FOURTH PILLAR OF DEMOCRACY


आज के समय के राम और गणतंत्र का चौथा स्तम्भ
(विश्व पत्रकारिता आजादी दिवस विशेष )


मीडिया के दोनों चहरे अब साफ़ साफ़ अलग नजर  रहे हैंएक तरफ सकारात्मक मीडिया है जो जमाने को सही दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहा हैएक तरफ ऐसे भी लोग हैं जो मीडिया का इस्तेमाल अभद्र प्रस्तुतिसेक्सनकरतकमक सोच औरगलत बातों को प्रचारित करने में कर रहा हैएक तरफ सकारात्मक मीडिया है जो समाज के विकास के लिए बेहतरीन लेख प्रस्तुत कर रहे हैंतो दूसरी तरफ ऐसे भी मीडिया हैं जो समाज में व्याप्त गंदगी को ही प्रचारित कर रहे हैंहम सब को प्रोत्साहनदेना होगा उन पत्रकारों का  जो इस भौतिकता के युग में भी आज भी सनातन आध्यात्मिक मूल्यों और भारतीय सोच को आगे ले जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

मीडिया के क्षेत्र में और भी ज्यादा प्रोत्साहन और संगठनात्मक पहल की जरुरत हैपुलित्ज़र प्राइज में पत्रकारिता के १४ क्षेत्रों में इनाम दिया जाता है जैसे फोटोग्राफीकार्टूनखोजी पत्रकारिताफीचर राइटिंग  आदिइन क्षेत्रों में प्रोत्साहन की जरुरत है.सृजनशील लेखन और सृजनशील विधाओं की तरफ युवाओं को मोड़ने की जरुरत है नहीं तो नकारात्मक मीडिआ समाज को खत्म कर सकता है.
इस दुनिया को बदलने में जितनी ताकत मीडिआ  के पास है उतनी किसी और के पास नहीं हैयह मीडिया ही है जो लोगों की सोच को बदल सकता है और लोगों को वो काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो  तो सरकार कर सकती है  कोई औरकर सकता हैयह मीडिया ही है जो लोगों में ख़ुशीआनंदहर्षरोमांचभयतनावऔर रहस्य के भाव पैदा कर सकता है और जैसे चाहे लोगों को सोचने के लिए प्रेरित कर सकता हैमीडिया की ताकत अद्भुत है.
आप सभी ने १९८३ का केविन कार्टर का सूडान की बच्ची और गिद्ध का प्रसिद्द फोटो देखा होगाउस फोटो के लिए केविन कार्टर को पुलित्ज़र पुरस्कार मिला और फिर बाद में उसने आत्महत्या कर लीउस फोटो के बाद सूडान की गरीबी पर पूरी दुनियाका ध्यान गयाउस फोटो के कारण न्यूयॉर्क टाइम्स को लोगों के हजारों फोन आते थे की क्या हुआ उस बच्ची काएक फोटो  वो बात कह सकता है और लोगों में विचार बदलने की वो ताकत है जो अन्य किसी मीडिया में नहीं है. .



पूरी दुनिया में प्रेस को आजादी को लेकर भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैफ्रीडम हाउस की रैंकिंग में फ़िनलैंड दुनिया के पहले स्थान पर और भारत ८०वे स्थान पर हैवहीँ रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के सर्वेक्षण में भारत का स्थान १३६  है (औरफ़िनलैंड प्रथम स्थान पर है). आखिर क्या है फ़िनलैंड जैसे छोटे से देश में जो हमारे देश में नहीं हैआखिर क्या है हमारे देश में जो फ़िनलैंड में नहीं हैआखिर क्यों हम इतने पिछड़े हैं?
जब हम प्रेस की आजादी की बात करते हैं तो कई बाते आती हैं: -
  • सरकारी तंत्रनियमकानूनऔर व्यवस्थाएं
  • पत्रकारों को सुरक्षा
  • पत्रकारों के लिए सुविधाएं और संसाधन
  • पत्रकारिता के लिए माहौल
  • पत्रकारिता के लिए प्रोत्साहन
  • खुलापनपारदर्शिताविचारों की विविधता का स्वागत और सोच में व्यापकता
अगर हम कानून की बात करें तो हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए प्रावधान हैसरकारी तंत्र भी प्रकाशकों को मदद करने के लिए कृतसंकल्प हैहर दूसरे दिन आपको प्रधान मंत्री जी का पुरे पेज का विज्ञापनमिल जाता है जिसका एक उद्देश्य अखबारों को मदद करना भी हैफ़िनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों की तुलना में हमारी सरकार मीडिया को काफी ज्यादा पैसे विज्ञापन और सहायता के रूप में देती हैलेकिन फिर भी फ़िनलैंड हम से आगे हैंक्यों ? फ़िनलैंडऔर भारत का फर्क देखिये :-  फ़िनलैंड की १००जनसख्या साक्षर हैहर व्यक्ति पढ़ा लिखा और समझदार हैहर व्यक्ति मीडिया की भूमिका को समझता हैहर व्यक्ति सकारात्मक मीडिया को प्रोत्साहित करता है और हर व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमालकरता है लेकिन अश्लील मीडिया और अश्लील वेबसाइट का विरोध करता हैअगर किसी व्यक्ति के बारे में कोई गलत खबर प्रकाशित हो जाती है तो मीडिया को उसको सुधरने के लिए पुनः सही खबर प्रकाशित करनी पड़ती हैफ़िनलैंड की मीडिया काअपना स्वयं का संगठन भी बड़ा मजबूत हैबिना सरकारी पहल के ही वे अपने स्तर पर सकारात्मक कदम उठा लेते हैंहम सब भी अगर सकारात्मक मीडिया का समर्थन और नकारात्कम मीडिया का जम कर विरोध करेंगे तो ही हम आगे बढ़ पाएंगे.

दुनिया में हर समय लगभग ३००० डॉलर अश्लील वेब्सीटेस पर खर्च हो रहे हैंहर सेकण्ड २८००० से ज्यादा लोग अश्लील वेबसाईट्स  को देख रहे हैं.हर सेकण्ड विकास-शील देशों के   नए युवा इस चंगुल में फंस रहे हैं.  मीडिया का रावण गरीब देशोंको डस रहा है और युवा वर्ग को बर्बाद कर रहा हैइस रावण को ख़त्म करने के लिए एक ही उपाय है - सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने वाली मीडिया को प्रोत्साहन  देवो - वो ही हमारा राम है जो हमें इस दुर्दांत रावण से बचा सकता है.

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