आज के समय के राम और गणतंत्र का चौथा स्तम्भ
(विश्व पत्रकारिता आजादी दिवस विशेष )
मीडिया के दोनों चहरे अब साफ़ साफ़ अलग नजर आ रहे हैं. एक तरफ सकारात्मक मीडिया है जो जमाने को सही दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहा है, एक तरफ ऐसे भी लोग हैं जो मीडिया का इस्तेमाल अभद्र प्रस्तुति, सेक्स, नकरतकमक सोच औरगलत बातों को प्रचारित करने में कर रहा है. एक तरफ सकारात्मक मीडिया है जो समाज के विकास के लिए बेहतरीन लेख प्रस्तुत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे भी मीडिया हैं जो समाज में व्याप्त गंदगी को ही प्रचारित कर रहे हैं. हम सब को प्रोत्साहनदेना होगा उन पत्रकारों का जो इस भौतिकता के युग में भी आज भी सनातन आध्यात्मिक मूल्यों और भारतीय सोच को आगे ले जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
मीडिया के क्षेत्र में और भी ज्यादा प्रोत्साहन और संगठनात्मक पहल की जरुरत है. पुलित्ज़र प्राइज में पत्रकारिता के १४ क्षेत्रों में इनाम दिया जाता है जैसे फोटोग्राफी, कार्टून, खोजी पत्रकारिता, फीचर राइटिंग आदि. इन क्षेत्रों में प्रोत्साहन की जरुरत है.सृजनशील लेखन और सृजनशील विधाओं की तरफ युवाओं को मोड़ने की जरुरत है नहीं तो नकारात्मक मीडिआ समाज को खत्म कर सकता है.
इस दुनिया को बदलने में जितनी ताकत मीडिआ के पास है उतनी किसी और के पास नहीं है. यह मीडिया ही है जो लोगों की सोच को बदल सकता है और लोगों को वो काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है जो न तो सरकार कर सकती है न कोई औरकर सकता है. यह मीडिया ही है जो लोगों में ख़ुशी, आनंद, हर्ष, रोमांच, भय, तनाव, और रहस्य के भाव पैदा कर सकता है और जैसे चाहे लोगों को सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है. मीडिया की ताकत अद्भुत है.
आप सभी ने १९८३ का केविन कार्टर का सूडान की बच्ची और गिद्ध का प्रसिद्द फोटो देखा होगा. उस फोटो के लिए केविन कार्टर को पुलित्ज़र पुरस्कार मिला और फिर बाद में उसने आत्महत्या कर ली. उस फोटो के बाद सूडान की गरीबी पर पूरी दुनियाका ध्यान गया. उस फोटो के कारण न्यूयॉर्क टाइम्स को लोगों के हजारों फोन आते थे की क्या हुआ उस बच्ची का. एक फोटो वो बात कह सकता है और लोगों में विचार बदलने की वो ताकत है जो अन्य किसी मीडिया में नहीं है. .
पूरी दुनिया में प्रेस को आजादी को लेकर भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. फ्रीडम हाउस की रैंकिंग में फ़िनलैंड दुनिया के पहले स्थान पर और भारत ८०वे स्थान पर है. वहीँ रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के सर्वेक्षण में भारत का स्थान १३६ व है (औरफ़िनलैंड प्रथम स्थान पर है). आखिर क्या है फ़िनलैंड जैसे छोटे से देश में जो हमारे देश में नहीं है? आखिर क्या है हमारे देश में जो फ़िनलैंड में नहीं है? आखिर क्यों हम इतने पिछड़े हैं?
जब हम प्रेस की आजादी की बात करते हैं तो कई बाते आती हैं: -
- सरकारी तंत्र, नियम, कानून, और व्यवस्थाएं
- पत्रकारों को सुरक्षा
- पत्रकारों के लिए सुविधाएं और संसाधन
- पत्रकारिता के लिए माहौल
- पत्रकारिता के लिए प्रोत्साहन
- खुलापन, पारदर्शिता, विचारों की विविधता का स्वागत और सोच में व्यापकता
अगर हम कानून की बात करें तो हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए प्रावधान है. सरकारी तंत्र भी प्रकाशकों को मदद करने के लिए कृतसंकल्प है. हर दूसरे दिन आपको प्रधान मंत्री जी का पुरे पेज का विज्ञापनमिल जाता है जिसका एक उद्देश्य अखबारों को मदद करना भी है. फ़िनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों की तुलना में हमारी सरकार मीडिया को काफी ज्यादा पैसे विज्ञापन और सहायता के रूप में देती है. लेकिन फिर भी फ़िनलैंड हम से आगे हैं, क्यों ? फ़िनलैंडऔर भारत का फर्क देखिये :- फ़िनलैंड की १००% जनसख्या साक्षर है. हर व्यक्ति पढ़ा लिखा और समझदार है. हर व्यक्ति मीडिया की भूमिका को समझता है. हर व्यक्ति सकारात्मक मीडिया को प्रोत्साहित करता है और हर व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमालकरता है लेकिन अश्लील मीडिया और अश्लील वेबसाइट का विरोध करता है. अगर किसी व्यक्ति के बारे में कोई गलत खबर प्रकाशित हो जाती है तो मीडिया को उसको सुधरने के लिए पुनः सही खबर प्रकाशित करनी पड़ती है. फ़िनलैंड की मीडिया काअपना स्वयं का संगठन भी बड़ा मजबूत है. बिना सरकारी पहल के ही वे अपने स्तर पर सकारात्मक कदम उठा लेते हैं. हम सब भी अगर सकारात्मक मीडिया का समर्थन और नकारात्कम मीडिया का जम कर विरोध करेंगे तो ही हम आगे बढ़ पाएंगे.
दुनिया में हर समय लगभग ३००० डॉलर अश्लील वेब्सीटेस पर खर्च हो रहे हैं. हर सेकण्ड २८००० से ज्यादा लोग अश्लील वेबसाईट्स को देख रहे हैं.हर सेकण्ड विकास-शील देशों के २ नए युवा इस चंगुल में फंस रहे हैं. मीडिया का रावण गरीब देशोंको डस रहा है और युवा वर्ग को बर्बाद कर रहा है. इस रावण को ख़त्म करने के लिए एक ही उपाय है - सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने वाली मीडिया को प्रोत्साहन देवो - वो ही हमारा राम है जो हमें इस दुर्दांत रावण से बचा सकता है.
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