कुछ अलग करने के लिए प्रेरित की जिये अपने लाल गोपाल को
कभी सचिन तेंदुलकर, पी टी उषा, मदर टेरेसा, बिल गेट्स, धीरू भा ई अम्बानी जैसे लोगों की जिंदग़ी पर नजर डालिये और उनकी अद्भुत सफलता का राज टटोलने की कोशिश क रिये. अपनी अद्भुत प्रतिभा से प ूरी दुनिया को अचंभित करने वाले ये लोग क्यों इतनेसफल हुए? क् या कारण था इन लोगों की अप्रतिम सफलता के पीछे?
आप हम सब आज एक सपनों की दुनिया में जी रहे हैं जो हर रोज नए न ए सपने खरीद लेते हैं. कभी कोई स्कुल का विज्ञापन आता है तो क िसी कॉलेज का विज्ञापन आता है औ र हम सोचते हैं की ये स्कुल या ये कॉलेज हमारे लाडले को अद्भुत प्रतिभा प्रदान करेगा.इस सपने को खरीदने के लिए हम लाखों का क र्ज ले लेते हैं या पूरी जिं दगी की कमाई न्योछावर कर देते ह ैं. सपने तो सपने ही होते हैं. जब हकीकत सामने आती है तो फिर ह म टूट कर रह जाते हैं.
कोई भी हमसे सपने देखने का हक न हीं छीन सकता है न कोई हम को सप ने देखने से मन कर सकता है. जिं दगी में आनंद और उल्लास भी तो इ न्ही सपनों से आता है. कई ऐसे भ ी तो हैं जिन्होंने अपने सपने प ुरे होते हुए देखा है. वो अलग क ैसे हैं. १८ साल केरितेश अग्रवा ल ने औयो रूम्स होम्स कम्पनी क ी शुरुआत की और आज सिर्फ ४ सालो ं में २२००० से ज्यादा कमरे हैं उनके पास पुरे भारत में. सचिन और बिन्नी बंसल ने जिस तरह से फ ्लिपकार्ट कम्पनी की स्थापना की वो सब कुछ तिलस्मी लगता है. कु णालबहल ने जिस तरह से स्नैपडील कम्पनी की रचना की वो भी गजब है . अंकित भाटी और भविष्य अग्रवाल की उम्र अभी ३० भी नहीं हुई है लेकिन उनकी ओला कैब्स तो पुरे भारत में जानी जाने लगी है. अमि त साहू और उनके दोस्तों ने मिल कर जस्ट राइड कम्पनीकी शुरुआत क ी और उनके ही सहपाठी बीकानेर मू ल के जितेश दुग्गड़ ने भी उनकी क म्पनी में उनका साथ दिया
सन फार्मा के दिलीप संघवी, एचसीएल के शिव नादार और एमयू सिगंमा के धीरज राजाराम ने जिस प्रकार से संपत्ति बनायीं है वो हैरत अंगेज करने वाली है. सिर्फ ५ साल में राजाराम १७६०० करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक बन गए हैं. ये सब परीकथा जैसा लगता है. पर इन्होने अपने सपने सच कर के बताये हैं. ये वो लोग हैं जिन्होंने आज ये साबित कर दिखा दिया है की सपने भी देखिये और सपने हकीकत में बदल कर के भी दिखाईये.
इन सब लोगों में कुछ बाते सामान हैं: -
इन्होने वो काम किया जिसमे इनकी रूचि थी
इन्होने जो काम किया वो बड़ी लगन से किया
इन्होने अपने जूनून को अपना कार्य बना लिया और फिर पूरी जिंदगी जूनून से काम किया
इन्होने लीक से अलग हट कर कुछ काम किया और जो काम किया तो श्रेष्ठं तरीके से किया
किसी भी पढ़ाई या डिग्री से ज्यादा जरुरी है की आप अपने लाडले की प्रतिभा को पहचाने और उसको वो काम करने का मौका देवें जो वो करना चाहता है. उसको श्रेष्ठं प्रशिक्षकों के पास ले जाएँ और मदद करें ताकि वो अपनी मंजिल पर पहुँच सके. तेंदुलकर को रमाकांत आचरेकर, पी टी उषा को नाम्बियार, मिल्खा सिंह को गुरुदेव सिंह और मेजर ध्यान चाँद को पंकज गुप्ता और बाले तिवारी नहीं मिलते तो उनको वो मुकाम नहीं मिलता जो उन्होंने हासिल किया. असल में प्रतिभा को भी तराशने वाल चाहिए. प्रतिभा को भी सलाम, प्रेरणा और प्रोत्साहन को भी सलाम, और प्रशिक्षक को भी सलाम.
आज का ज़माना युवाओं का जमाना है और युवा वर्ग कमाल कर रहा है. "सपने सुहाने लडक पन के" ये आज - कल के लड़के अपने सपने अद्भुत ढंग से तराश रहे हैं. बीकानेर के एक युवा श्री गोपाल सिंह अंतरास्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं तो बीकानेर के ही एक और युवा डॉ. श्रेयांस जैन अपनी फिल्म को प्रदर्शित करने केलिए अमेरिका में अंतरास्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में आमंत्रित किये गए हैं.
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