Thursday, December 10, 2015

NEED OF A CHALLENGE IN EDUCATION SYSTEM

शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरुरत 


शिक्षा व्यवस्था देश के निर्माण का सबसे प्रमुख साधन है. क्या हम शिक्षा व्यव्श्था में परिवर्तन और प्रयोग को प्रोत्साहित कर रहे हैं? दिल्ली विश्वविद्यालय में एक व्यक्ति ने कोशिश की थी  - नतीजा सबके सामने हैं. जब तक प्रयोग नहीं करेंगे तब तक यही हाल रहेगा जो आज है - यानी बेरोजगारों की लम्बी कतार - और स्वरोजगार के लिए कोई नहीं तैयार. 

जरुरी है व्यवहारिक / प्रक्टिकल ज्ञान 
आज की हमारी शिक्षा व्यवस्था में खाली शैक्षणिक व्याख्यान होते हैं और व्यवहारिक (प्रक्टिकल) ज्ञान पर बहुत कम जोर दिया जाता है. आज हर विषय की पढ़ाई मात्र से तैयारी होती है जबकि उसके व्यवहारिक प्रयोग पर बिलकुल जोर नहीं दिया जाता है. कक्षा का आकार बढ़ाया जा रहा है पर गुणवत्ता पर जोर नहीं है. शिक्षा विभाग के नए मानदंडों के अनुसार कक्ष का आकार ९०० स्क्वायर मीटर कम से कम होना चाहिए यानी एक एक कक्षा में ८०-९० विद्यार्थियों का एक साथ होना तय है. जबकि आदर्श रूप में सिर्फ १५-२५ विद्यार्थी ही होने चाहिए ताकि विस्तार से चर्चा हो सके. हर सैद्धांतिक चर्चा के बाद कम से कम २ घंटे तक उसके अभ्यास की व्यवस्था होनी चाहिए - लेकिन ऐसा नहीं है. 

सादगी और सौम्यता की जरुरत 
शिक्षा व्यवस्था विद्यार्थी में सादगी, सौम्यता और शिष्टाचार और विनम्रता के बीज बो सकता है. जरुरी है की हर शिक्षण संस्था में अनुशाशन, सादगी और सौम्यता को बल दिया जाए. 

सह शैक्षणिक गतिविधियों पर बल 
हर संस्था को सह-शैक्षणिक गतिविधियों पर बल देना चाहिए ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके. हर संभव प्रयास होना चाहिए की विद्यार्थी को उन गतिविधियों में भाग लेने का मौका मिले जो उसमे छुपे हुनर को बाहर ला सके. 

शुरू हो खुली पुस्तक की परीक्षा 
विद्यार्थी को तोता नहीं बनाना है बल्कि एक कुशल और समझदार व्यक्ति बनाना है. खुली पुस्तक परीक्षा में प्रश्न बड़े जटिल और प्रक्टिकल होते हैं और विद्यार्थी पुस्तक की मदद से उन प्रश्नों का समाधान खोजता है. ये एक सही तरीका है. विद्यार्थी प्रयास करते करते अपने विषय में दक्ष बन जाता है. 

नवाचार और जिज्ञासा को बल मिले 
हर विद्यार्थी जिज्ञासा और नवाचार का बण्डल होता है और उसको प्रोत्साहन मिले तो वो कमाल कर सकता है. लेकिन ऐसा नहीं होता है और हर कदम पर उसको हतोत्साहित किया जाता है. जरुरी है की व्यवस्था में परिवर्तन हो और नवाचारी विद्यार्थी को हर नवाचार पर पुरस्कार मिले. 

No comments:

Post a Comment