Thursday, December 10, 2015

THE WORLD LEADER IN YOGA - INDIA

विश्व का योग गुरु : अब खुद का करो इलाज 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस २१ जून पर विशेष 

आपने कस्तूरी मृग के बारे में सुना है? कस्तूरी मृग के पास अद्भुत खुसबू वाली नाभि होती है लेकिन उसको यह नहीं पता होता की खुसबू कहाँ से आ रही है अतः वो इधर उधर भटकता रहता है और खुसबू की जगह का पता लगाने की कोशिश करता रहता है. भारत भी ऐसा ही कस्तूरी मृग है. यह इधर उधर भटकता रहता है लेकिन अपने देश की अद्भुत सम्पदा को नहीं पहचानता है. हम भारतीय कभी जब तसल्ली से आत्ममंथन करेंगे तो अपने आप को महा-मुर्ख पाएंगे लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी. 

योग सिर्फ अमेरिका में ५.७ बिलियन डॉलर का बिज़नेस है. योग प्रशिक्षण प्रदान करने वाला (अकेला व्यक्ति)  सिर्फ अमेरिका में ४०००० डॉलर सालाना कमाता है. योग प्रशिक्षण सर्टिफिकेट देने वाली अमेरिकी संस्थाएं सालाना करोड़ों डॉलर कमेटी है. ये वो लोग हैं जिन्होंने भारतीय लोगों से योग सीखा है और आज योग सीखा सीखा कर डॉलर कमा  रहे हैं. यह एक अफ़सोस की बात है की योग की जन्म भूमि भारत में आज योग की पढ़ाई नहीं के बराबर होती है. ये एक शर्म की बात है की आज अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के विद्यार्थी योग का अध्ययन कर रहे हैं लेकिन योग के जनक हमारे देश में योग की पढ़ाई नहीं होती. पूरी दुनिया हमसे योग सीखना चाहती है पर हम न खुद सीखना चाहते हैं न दूसरों को सीखने देना चाहते हैं. योग के द्वारा हमरी युवा पीढ़ी पूरी तरह से स्वस्थ, तंदुरुस्त, सफल और सुखी बन सकती है. अगर किसी को रोजगार न मिले तो वो सिर्फ योग सीखने के लिए विदेश जा सकता है और अच्छी राशि कम सकता है. लेकिन हम तो योग को सीखना पढ़ाई का हिस्सा नहीं बनाना चाहते.  हमारे युवाओं को योग सीखने के लिए विदेश जाना पड़ा तो इससे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी. 

पूरी दुनिया में भारत के योग की जबरदस्त मांग है. पूरी दुनिया योग के पीछे भाग रही है. भारत की नक़ल करते हुए लगभग १५० देशों में योग के प्रशिक्षण केंद्र खुल गए हैं. हर जगह योग गुरुओं की कमी है. जो भी भारतीय योग गुरु बन कर विदेश में जाता है भरी नाम और पैसा कमाता है. आप बिक्रम चौधरी, भारत ठाकुर, सुनील सिंह, बी के एस अयंगर आदि के बारे में जानिये. ये वो लोग हैं जिन्होंने विदेशों में योग प्रशिक्षण के द्वारा अपनी तिजोरियां भर ली हैं. भारत में हम सिर्फ बाबा रामदेव को जानते हैं जिन्होंने योग को टीवी के द्वारा फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. योग प्रशिक्षण संस्थाओं के अनेक केंद्र पूरी दुनिया में फैले हैं. कोयंबटूर की ईशा योग संस्थान की अमेरिका में २७ शाखाएं हैं और हर शाखा में लोगों की भीड़ लगी रहती है. बी के एस अयंगर की योग  संस्था की अमेरिका में १२ क्षेत्रीय शाखाये हैं और इसके द्वारा हर वर्ष ३०० से अधिक योग प्रशिक्षक केवल अमेरिका में ही तैयार किये जा रहे हैं. हर योग प्रशिक्षक अच्छी आमदनी करता है. अमेरिका में हर स्कुल, विश्वविद्यालय, पांच सितारा होटल में ये योग प्रशिक्षक मिल जाते हैं जो वह पर आये हुवे विद्यार्थियों और  मेहमानो  को योग सीखते हैं. एक एक योग प्रशिक्षक के पास एक समय में १० से ४० तक प्रशिक्षु होते हैं और उस को आमदनी के साथ अच्छा सम्मान भी मिलता है. काश भारत में योग को पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाता तो हमारे देश के योग प्रशिक्षक के रूप में कोई भी युवा बेरोजगार नहीं रहता और स्वस्थ और सम्मानित जीवन बिताता. 

इस गुलाम देश से कहने को गुलामी तो चली गयी पर मानसिक गुलामी अभी बाकी है. आज भी हम हमारी अद्भुत कला व् विज्ञानं - योग को अपनाने में संकोच कर रहे हैं और हमारी ही अगली पीढ़ी गुलामों की तरह विदेश जा कर योग सीखने की तयारी कर रही है. प्रश्न है हम अपना उत्तरदायित्व कब पूरा करेंगे? कब हम अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. बहुत हो गया विदेशी राग बजाना - अब जरा बिस्मिल और आजाद के इस देश को फिर से जगाने और हुंकार भरने की जरूरत है आईये हम सभी मांग करे की भारत में भी स्कुल, कॉलेज, विष्वविद्यालयों में योग का प्रशिक्षण अनिवार्य हो और हर भारतीय को योग सीखने का मौका मिले. हम सब प्रयास करेंगे तो इस देश में फिर से एक अद्भुत चेतना दौड़ने लगेगी. 

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