Thursday, December 28, 2017

530 वर्षों की विरासत और एक आदर्श लक्ष्य


530 वर्षों की  विरासत और  एक आदर्श लक्ष्य 
(बीकानेर स्थापना के उल्लास-मय पर्व क़े उपलक्ष्य में) 


आनंद और उल्लास का ऐसा अद्भुत संजोग बनाया 
जीवन को जीने का एक तरीका आदर्श बनाया 
हर पल हर क्षण खुश रहने का 
हर पल कर क्षण खिलखिलाने  का 
मिल  जुल सब ने संकल्प बनाया 
राह चले हिल -मिल कर , सबने  दो कदम बढ़ाया 
मंजिल एक , अपनेपन का कुटुंब बनाया 
तिनका तिनका नीड बनाया 
मिल कर सबने स्वर्ग बनाया 

गगनचुम्बी इमारतों से शहर नहीं बनते -- सरकारी फरमानों से भी शहर नहीं बनते. शहर को बनाती  है वो आवाज जो लोगों को अंदर से जोड़ कर एक-दूसरे के साथ एक ऐसे रिश्ते में बाँध देती है की हर व्यक्ति एक व्यवस्था का हिस्सा बन जाता है. लोगों की आपसी समझ और संस्कृति मर्यादाओं का एक सिलसिला बना देती है जो सब को एक खूबसूरत माला में पिरो कर एक अद्भुत संयोग बना देती है. शहर यानी  शताब्दियों की सम्मिलित सोच और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संयोग. 
कोई भी शहर आदर्श शहर कब कहा  जाए ? कोई भी शहर कब एक मिसाल कहा जाए? मैं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बात नहीं कह रहा हूँ. मैं बात कह रहा हूँ एक प्राकृतिक व्यवस्था और एक आदर्श प्रणाली की. आज पूरी दुनिया के सामने ये  लक्ष्य है की २०३० तक शहरों को आदर्श शहरों में बदलने के लिए प्रयास करो - और उस में सबसे बड़ी चुनौती है की २०३० तक कार्बन विसर्जन और तापमान में कमी के लिए जो देश और शहर प्रयास कर सकें वो ही आदर्श होंगे. जो शहर गरीबों के लिए भी सहज और सुरक्षित होंगे वो ही आदर्श शहर होंगे. जो शहर दुनिया के सामने आदर्श शहर के रूप में उभर कर आएंगे वो वे ही होंगे जहाँ पर आदर्श व्यवस्थाएं और पर्यावरण अनुकूल चेतना बोध होगा. आधुनिक प्रबंध दर्शन की समझ ये कहती है की हर शहर को अपने आपको अलग और अद्भुत बनाने का प्रयास करना चाहिए न की दूसरे शहरों के जैसा ताकि वो शहर अपने आप में दुनिया में एक मिसाल बन सके. 
बीकानेर शहर की बात करें तो हम देखते हैं की कम से कम पांच  ऐसी बातें हैं जो इस शहर को हर शहर से अलग और अद्भुत बनाती है . ये वो बाते हैं जिसके लिए पूरी दुनिया हमसे सीख ले सकती है : - 
१. साहित्य और संस्कृति की विरासत :  इस शहर में साहित्य और संस्कृति की जो ललक है वो अद्भुत है. वर्षों से यहां पर मोहल्ला पुस्तकालयों का प्रचलन है. लोगों ने व्यक्तिगत साधनों से बेहतरीन पुस्तकालयों का निर्माण किया. महाराजा अनूप सिंह जी ने संस्कृत के ग्रंथों का संकलन किया. श्री अगर चंद और श्री भंवर लाल नाहटा ने अप्ब्रंश साहित्य का संकलन किया. अनेक लेखकों ने उच्च  स्तर के साहित्य का सृजन किया और श्रेष्ठ पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ. 
२. बेमिसाल सामजिक उद्यमिता और सामजिक सरोकारों का शहर : - बीकानेर के लोग सामाजिक कार्यों के लिए बढ़ चढ़ कर आगे आते हैं और शहर के विकास में अद्भुत योगदान देते हैं. आज भी शहर में अधिकाँश सामाजिक संस्थाएं (जैसे शिक्षण संस्थान, चिकित्सालय, आदि) लोगों के व्यक्तिगत योगदान से चल रही है. आज भी लोग बचत कर के समाज पर खर्च करने की मानसिकता में जीते हैं जो अपने आप में बेमिसाल है. लोगों में अपने पर उपभोग करने की जगह पर समाज पर खर्च करने की भावना है जिस के कारण यहाँ आज भी संयम, अनुशाशन और सामाजिक उद्यमिता का बेमिसाल संगम नजर आता है. 
३. तप, संयम, और संतोष की अद्भुत मानसिकता : - बीकानेर के लोग अपने संतोषी और संयमी व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. कम आय में भी ये लोग खुश  रहना जानते हैं अतः आपको इनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान ही मिलेगी. धार्मिक माहौल के कारण जप,तप, और संयम को बहुत महत्त्व दिया जाता है. 
४. प्रतिस्पर्धा विहीन मेलजोल की संस्कृति : - आज पूरी दुनिया प्रतिस्पर्धा की संस्कृति की दुष्परिणाम झेल रही है लेकिन बीकानेर के लोग आज भी प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि मेलजोल की संस्कृति को बचाये हुए हैं. आज भी आप को "खटाव राख" "ठावस राख" जैसे शब्द सुनाई देंगे तो यहाँ के लोगों में आपको मेलजोल की अद्भुत संस्कृति भी नजर आएगी. शहर में आये दिन ऐसे आयोजन होते रहते हैं जो पूरी तरह से शहर के लोगों के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम होते हैं. यहाँ कोई जल्दबाजी में नजर नहीं आता है बल्कि जो भी काम किया जाता है वो इत्मीनान से किया जाता है. आप किसी भी व्यक्ति से  कोई ठिकाना भी पूछेंगे तो वो इत्मीनान से बात कर के आपसे दोस्ती करेगा और फिर आपको आपके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था करेगा. 
५. स्वाद और अभिरुचि की पराकाष्टा : बीकानेर अपने स्वादिष्ट भोजन और व्यंजनों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. बड़े बड़े महानगरों में भी शादी ब्याह में बीकानेर के रसोइयों और कारीगरों को आमंत्रित किया जाता है क्योंकि यहां के लोगों ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है. श्रेष्ठ कार्य करने और बेहतरीन ढंग से करने की इसी मानसिकता के कारण यहाँ के लोग काम धीरे भले हि करें - पर बेहतरीन कार्य करते हैं और ये ही आज उनको पूरी दुनिया में पहचान दिला रहा है. चित्रकला और अन्य कलाओं में भी ये शहर अपनी अलग पहचान रखता है. 
 
ऊपर वर्णित अद्भुत विशेषताओं के साथ ही इस शहर को अपने आपको बेहतर बनाये रखने के लिए अपना स्वयं का प्रयास जाती रखना पड़ेगा. इस शहर को बेमिसाल रहने के लिए अभी बहुत कुछ करना है. जैसे सूरसागर की सफाई के लिए लोगों ने मिल जुल कर आवाज उठायी वैसे ही फिर से छोटी - छोटी समस्याओं का समाधान करने के लिए आवाज उठाने की जरुरत है जैसे : - 
१. कोटगेट पर रेल के कारण लगने वाले ट्रैफिक जाम की समस्या 
२. बढ़ते प्रदुषण की समस्या और बढ़ते वाहनों के कारण यातायात की समस्या (इस का बड़ा कारण ये है की आज भी इस शहर में सिटी-बस या इस प्रकार के यातायात के लोक-वाहनों का अभाव है और सरकारी उपेक्षा के कारण आज भी यहाँ पर कोई प्रभावी पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था नहीं है - जहाँ बड़े शहरों में मेट्रो के लिए बजट है लेकिन इस शहर में "सिटी मिनी बस " तक के लिए प्रावधान नहीं किया गया है. 
३. स्वच्छ भारत अभियान को बीकानेर में फैलाने की जरुरत है - जो स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रभावी प्रयासों से ही संभव हो पायेगा. 
४. शहर की लुप्त होती सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को बचाने की कोई पर्याप्त व्यवस्था न होना 
आने वाले समय में इस अद्भुत सांस्कृतिक विरासत को महानगरों की लुभावनी बीमारियों से बचाना और नयी पीढ़ी को इस विरासत को संजो कर रखने की नसीहत देना एक बहुत बड़ी चुनौती होगा. हम लोगों को इस बात पर गर्व होना चाहिए की हमारे पास महानगरों के जैसे "माल" और  "शोरूम" भले ही नहीं हो लेकिन जो हमारे पास है वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है.

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