Thursday, December 28, 2017

क्या आप मुस्कुराना जानते हैं?

क्या आप मुस्कुराना जानते हैं?

मुस्कुराना और खुश रहना वैसा ही है जैसी खुशबू - आप मुस्कुरायेंगे - तो पास मैं बैठा व्यक्ति भी मुस्कुराएगा और फिर सब लोग ख़ुशी महसूस करेंगे - अपने आप चरों तरफ खुशियां फ़ैल जाएंगी. कोई बहना नहीं चाहिए - बस शुरुआत तो करिये - हर पल - हर हाल में खुश रहिये - और मुस्कुराईये.

उच्च पद और उच्च शक्ति किसी भी ब्यक्ति का मुस्कुराना छुडवा देती है. सत्ता व् उच्च पद किसी भी व्यक्ति की नैसर्गिक खूबसूरती (मुस्कराहट) को समाप्त क्र देती है. सावधान रहिये - तरक्की से साथ अपनी मुस्कराहट को बनाये रखिये.

चीन में वहां के लोग अधिकारियों के बेरुखेपन से बहुत नाराज हैं. हाल ही मैं वहां की सरकार को २० पुलिस अधिकारियों को मुस्कुराने और प्रेम से बात करने की ट्रेनिंग प्रदान करनी पड़ी (क्या इसकी जरूरत भारत में भी है?). जिम्बाब्वे में हर साल सरकार अपने अधिकारियों को मुस्कुराने और आम जनता के साथ प्रेम से बात करने की ट्रेनिंग देती है - लेकिन नतीजा वही का वही.

भारत में वर्षों की गुलामी ने दो काम ख़राब कर दिए - आम जनता में हीन  भावना भर दी और अधिकारियों की कार्यशैली ही खराब कर दी. एक बार एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में मैंने पुलिस अधिकारियों से पूछा की आप मुस्कुरा के बात क्यों नहीं करते - उन्होंने मुझे समझाया - हमारा काम तो गालियां सुनाने से ही होता है - मैं उनको ये नहीं समझा पाया की अधिकाँश लोग ईमानदार और अनुशाषित होते हैं. उनकी वर्षों की पुलिस की ट्रेनिंग को मैं सुधार नहीं सकता था.

अधिकाँश बड़े संगठन अपनी तरक्की की तैयारी करते हैं - लेकिन तरक्की अपने आप आ जाती है अगर कुछ मुलभुत बातों पर जोर दिया जाए. तरक्की के पीछे भागने की जरुरत नहीं है. जरुरत है अपनी जड़ो से जुड़ने की. लेकिन अफ़सोस ये होता है की जैसे जैसे हम तरक्की करते जाते हैं अपनी जड़ों को भूलते जाते हैं. जरुरत तो इतनी सी है की अपनी जड़ों को पहचाने और हर दिन अपने आपको इंसानियत के रंग में रंगने की कोशिश करें.

कई देशों जैसे कम्बोडिया, जापान, स्वीडन, नेथरलैंड, आदि देशों में लोग आम टूर पर बहुत प्रेम से बात करते हैं - ऐसे देशों को जन्नत कहें तो कोई galat नहीं होगा. लोगों को आपस में प्रेम से बात करने के लिए कोई मोके की तलाश नहीं होनी चाहिए - जब भी मिलिए प्रेम से मिलिए. कई वर्ष पहले एक प्रोफेस्सर जापान गए तो वहां ओद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रबंधकों को तेज आवाज में चिल्ला चिल्ला के बोलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था - उन्होंने ताजुब किया - तो जापान के अधिकारी ने बताया की ये लोग किसी को भी नहीं डाँट सकते हैं अतः कभी जरुरत पड़े तो ये डांट भी सकें इस हेतु इन को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

कई शहरों में लोग आम तौर पर हमेशा मुस्कुराते रहते हैं. गावों में तो अभी भी लोग हमेशा मुस्कुराते हुए नजर आते हैं और अपरिचित से भी मुस्कुरा के बात करते हैं. लेकिन तथाकथित कुछ विकसित शहरों में मामला गड़बड़ हो रहा है और वहां अपनों से भी मुस्कुरा के बात नहीं की जाती है. कई बार किसी व्यक्ति को याद दिलाना पड़ता है की आप नाराज क्यों हो रहे हों - तो वो ये कहता है "मैं नाराज नहीं हो रहा - ये तो मेरी बोलने की स्टाइल है" - अरे भाड़ मैं जाए ऐसी स्टाइल और ऐसे व्यवहार. जब लोगों को बात बात पर चिल्लाने और चिड़चिड़ाने की आदत हो जाए - तो समझिये कुछ हवा ही गड़बड़ हो रही है - तुरंत हवा पानी बदलने के लिए किसी गांव को जाइये ताकि फिर से हम खुश रहना और ख़ुशी से बात करना याद कर सकें.

No comments:

Post a Comment