Wednesday, December 27, 2017

शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव

शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुछ सुझाव

इस भारत भूमि से एक समय हर क्षेत्र में नयी तकनीक ईजाद होती थी लेकिन आज हमें नई तकनीक के लिए विदेश की तरफ देखना पड़ता है जो अक्सर हमारी जरुरत के अनुसार नहीं होती है और उससे हमें और इस धरा को नुक्सान ही होता है. जैसे भारत में अधिकाँश किसानों के पास छोटे खेत हैं लेकिन विदेशों से ऐसी तकनीक आयातित की जाती है जो बड़े खेतों के लिए ही लाभदायक होती है (क्योंकि विदेशों में खेतों के आकार बड़े हैं). उसका नतीजा ये निकलता है की किसान घाटे से कभी उबर ही नहीं पाता है. आज जरुरत इस बात की है की विदेशी तकनीक की जगह हम अपनी जरुरत के अनुसार उपयुक्त तकनीक स्वयं ईजाद करें. 

भविष्य की दुनिया इस बात पर निर्भर है की हम किस प्रकार की नई तकनीक और नई पद्धतियां ईजाद करते हैं. अगर हम ऐसी तकनीक ईजाद करेंगे जो पर्यावरण के अनुकूल होगी तो निश्चित रूप से हमारे भ्रह्मांड  का भविष्य सुन्दर बन जाएगा. क्या हम क्लाइमेट चेंज को रोक पाएंगे? क्या हम लुप्त होती प्रजातियों को सुरक्षित कर पाएंगे? क्या ऐसा संभव हो पायेगा की हम समय को रोक पाएंगे? क्या ऐसा हो पायेगा की हम सोर ऊर्जा को बहुत कम लागत पर निर्माण कर पाएंगे? क्या ऐसा हो पायेगा की हम समुद्र तल से उत्खनन कर महंगे धातु आदि निकाल पाएंगे? ये सभी आप को आज बहुत महंगे और बेकार के प्रोजेक्ट लगेंगे लेकिन अगर इन क्षेत्रों में शोध जारी रहे तो ये शायद संभव हो पाएंगे.

हम चाहें या न चाहें कुछ क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ना ही पड़ेगा - जैसे सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक कार, जेनेटिकली मॉडिफाइड खाद्य, वर्षा जल संरक्षण, रक्षा उपकरण का निजी क्षेत्र में निर्माण  आदि. ये वो क्षेत्र हैं जो हमारे सामने हैं - लेकिन ये हम को तय करना है की हम इन रास्तों पर आज चलें या कल - पर चलना तो पडेगा ही. ये तो संभव ही नहीं है की हम इन से अपने आप को बचा लेवें या इन रास्तों को बंद कर देवें. यहाँ तो दो ही विकल्प हैं - या तो आज चलो या कल चलो. सरकारी शोध संस्थाएं आज इन क्षेत्रों में काम कर रही है लेकिन उनके सामने सरकार का दृष्टिकोण स्पस्ट नहीं है और फिर सरकारी कार्यतंत्र से आप सभी परिचित हैं,  इसी कारण वो अपनी शोध को वो दिशा नहीं दे पा रही है जो दी जानी आवश्यक है. शोध और नवाचार के क्षेत्र में युवा वर्ग अद्भत कार्य कर सकता है.

हम एक उम्र के बाद एक ढर्रे से सोचने के आदी  हो जाते हैं. हम उस सोच से बाहर  नहीं आ पाते हैं. छोटे बच्चे और युवा वर्ग नए ढंग से सोच सकते हैं. कई बार समस्याओं का समाधान सिर्फ नए ढंग से सोचने से ही हो जाता है. आज अनेक लोग ये वकालत कर रहे हैं की काम उम्र से ही शोध और नवाचार के लिए प्रेरित किया जाना जरुरी है. अहमदाबाद की नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, भारत सरकार का अटल टिंकरिंग लैब, और इस प्रकार के अन्य प्रकल्प विद्यार्थियों को अल्पायु से ही शोध हेतु प्रोत्साहित करने के लिए हैं. ये सभी वो माध्यम हैं जिनके द्वारा हमारे लाडले युवा वैज्ञानिक बन पाएंगे.

शोध हेतु प्रोत्साहन प्रदान करने वाली संस्थाएं उन लोगों को आर्थिक संसाधान प्रदान करती हैं जो बहुत ही उच्च शोध-कर्ता के रूप में अपने आप को स्थापित कर चुके होते हैं - लेकिन इस मामले में मैं उनसे ये अनुरोध करना चाहूंगा की अब उनको युवाओं को शोध कार्य हेतु प्रोत्साहन देना शुरू करना चाहिए. जो लोग पहले से ही शोधकर्ता हैं वो अपने पेटेंट्स से अच्छी आय कमा सकते हैं और उनके लिए शोध भी एक पेशा है - अतः उनको आर्थिक सहायता की जरुरत नहीं है. लेकिन उन युवाओं को प्रोत्साहन की जरुरत है -  जो अभी शोध के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं - ये एक शुरुआत होगी.

शोध और अनुसंधान के लिए सरकार को कुछ चुनिंदा क्षेत्र तय करने चाहिए और निजी क्षेत्र को भी उन क्षेत्रों में आगे आने के लिए आमंत्रित करना चाहिए. शोध और नवाचार कोई जन्मजात गुण नहीं हैं और ये सिखाये जा सकते हैं. अतः ये प्रयास होने चाहिए की विद्यार्थियों को शोध और नवाचार के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाए. विज्ञानं के शिक्षकों को ये जिम्मेदारी दी जानी चाहिए की वो विद्यार्थिओं को शोध और नवाचार का भी प्रशिक्षण प्रदान करें.

शोध और नवाचार निम्न पांच बातों पर निर्भर हैं: -
विद्यार्थियों को अधिक से अधिक विभिन्नता को देखने और महसूस करने का मौका मिले
विद्यार्थियों को अधिक से अधिक तकनीक को समझने का मौका मिले
विद्यार्थियों को नवाचार करने वाले लोगों से मिलने का मौका मिले
विद्यार्थियों को शोध संस्थाओं के शैक्षिक भ्रमण का मौका मिले
नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए संस्थागत सहायता और व्यवस्था हो (शिक्षण संस्थाओं में प्रश्न पूछने व्  नवाचार करने के लिए प्रोत्साहन और नवाचार के लिए मार्गदर्शन की व्यवस्था हो)

शोध और नवाचार सिर्फ व्यक्ति की अभिरुचि और जुड़ाव पर निर्भर है - अगर कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में पूरी तरह से समर्पित हो जाता है तो शोध और नवाचार आसानी से होते रहते हैं. आज की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरुरत है. अगर कोई विद्यार्थी सिर्फ भूगोल की पढ़ाई करना चाहता है तो उसको इस हेतु प्रोत्साहन और सहायता मिलनी चाहिए. इस प्रकार के बदलाव हमारी नई पीढ़ी को नवाचार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगी.

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