Wednesday, December 27, 2017

विशेष योग्यता को सलाम

विशेष योग्यता को सलाम
(वर्ल्ड डिसेबिलिटी डे पर  विशेष लेख)

विशेष योग्य व्यक्ति या विकलांग या  दिव्यांग - ये वो व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी परिस्थितियों को चुनौती दी है. ईश्वर कुछ लोगों को परिस्थितियों से झूझने की विवशता देता है. कुछ लोगों को वो कष्ट मिलते हैं जो सोच कर ही हम सिहर जाते हैं.  जिन लोगों ने परिश्थितियों को चुनौती दी वे आज हमारे लिए एक आदर्श हैं. निक यूजीविक के हमारी तरह हाथ- पाँव नहीं है लेकिन उनका जोश और उत्साह अदम्य है - उन्होंने अपने आपको सामान्य व्यक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए अद्भुत प्रयास किये. आज वो पूरी दुनिया  के लिए एक आदर्श हैं.


आज अनेक ऐसी संस्थाएं हैं जो दिव्यांगों को इस संघर्ष में मदद प्रदान करने का काम करती हैं. अहमदाबाद का ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन दृस्टि बाधित लोगों के लिए एक वरदान है - वो उनको इतना सक्षम बना देता है की उनको किसी अन्य पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. ये संस्था श्री जगदीश भाई पटेल ने शुरू की थी. श्री पटेल स्वयं दृस्टि बाधित थे व् उनको आधे शरीर का लकवा भी था. उन्होंने अनेक लोगों के जीवन में रौशनी भर दी थी. ये संस्था अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करती है. साईट सेवर्स, नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड आदि कुछ अन्य संस्थाएं हैं जो लोगों के जीवन में रौशनी भरने के लिए अद्भुत कार्य कर रहे हैं. बीकानेर में स्व. डॉ. विजय बोथरा जी द्वारा स्थापित श्री रतन नेत्र ज्योति संस्थान ने अनेक लोगों को जीवन के पश्चात अपनी आंखें दान  देने के लिए प्रेरित कर अद्भुत कार्य  किया.

भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर लाखों लोगों को कृत्रिम अंग (जयपुर फुट) लगा चूका है और ये इस कार्य को ईश्वर की सेवा की तरह ही अंजाम देता है. यहाँ  दूर दराज से आये हुए मरीजों को निशुल्क इलाज के अलावा रहने, भोजन करने और यातायात की सुविधा भी प्रदान की जाती है. यहाँ से ठीक हुए लोगों में सुधा चंद्रन का नाम पूरी दुनिया में विख्यात है. 'जयपुर फुट' के सहारे उन्होंने भारत नाट्यम नृत्य में पूरी दुनिया में अद्भुत नाम कमाया. श्री डी आर मेहता जी (भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुरके संस्थापक )  का एक बार भयंकर एक्सीडेंट हो गया था - उस दौरान उन्होंने बहुत दर्द सहन किया और तभी उन्होंने उन लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाने का संकल्प लिया जो किसी परिस्थिति में अपने पाँव गवां  देते हैं. ठीक होते ही उन्होंने भवान महावीर विकलांग सहायता समिति की स्थापना की जो आज पूरी दुनिया में अपने केम्प आयोजित करती रहती है.

जयपुर में मणिपाल विश्वविद्यालय में मनन इस्सर नामक एक विद्यार्थी से मुलाकात हुई जो लोगों को मदद करने के लिए एक स्टार्टअप की शुरुआत करना चाहता था. मुझे उसका विचार बहुत अच्छा लगा. वो नयी तकनीक की मदद से कृत्रिम अंग और कृत्रिम दांत आदि तैयार करने के लिए मशीन और औजार आदि तैयार करना चाहता था. उसके इस काम को भगवान् महावीर विकलांग सहायता समिति ने बहुत सराहा और इस हेतु समर्थन भी प्रदान किया. उन्होंने इस क्षेत्र में अपना स्टार्टअप शुरू भी कर लिया है और आज वो अन्य युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं.

भावनगर में श्री अनंत भाई शाह ने अपनी पूरी जिंदगी ही दिव्यांगों को समर्पित कर दीं. उन्होंने एक संस्थान स्थापित किया जो पूरी तरह से निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करता है. उनकी संस्थान का नाम P.N.R. सोसाइटी है. भावनगर में मैंने श्री शाह के द्वारा स्थापित K.L.  इंस्टिट्यूट फॉर डेफ एंड डम्ब -  मूंगे - बहरे लोगों की संस्थान देखि जो वाकई अद्भुत कार्य कर रही है.. वो संस्था न सिर्फ इन लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, बल्कि इस क्षेत्र में कार्य करने वाले शिक्षकों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर रही है.


कुछ लोग जन्म से ही दिव्यांग होते हैं - कुछ लोगों को किसी दुर्घटना या आपदा के कारण इस दुखद स्थिति का सामना करना पड़ता है और कुछ अपनी गलतियों से अपने स्वास्थ्य को गवा देते हैं. आज जरूरत है की हम लोगों को इस जीवन को सुख से जीने के लिए छोटे छोटे मन्त्र समझाएं - जैसे यातायात में ध्यान रखना, नशे से दूर रहना आदि. आज भी अनेक युवा नशे की गिरफ्त में फंस कर अपने स्वास्थ्य को गवा देते हैं. उदयपुर में डॉ कैलाश अग्रवाल ने नारायण सेवा संस्थान की शुरुआत की जो हर वर्ष हजारों ऐसे लोगों की मदद करती है जो पोलियो से प्रभावित हो चुके हों. ये संस्थान नशे के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करता है.

No comments:

Post a Comment