Thursday, December 28, 2017

अफ़सोस: वह रावण अभी भी ज़िंदा है



अफ़सोस: वह रावण अभी भी ज़िंदा है
हम इतिहास को जीवंत रखते हैं ताकि वो हमें सही दिशा दिखा सके. हमने हजारों वर्षों से अनेक ऐतिहासिक पात्रों को अपनी संस्कृति में समेट कर रखा है ताकि उनके द्वारा हम जीवन मूल्य बचाये रख सकें. हजारों वर्षों से रावण को जलाया जा रहा है. रावण एक प्रतीक है - एक बुराई का. रावण एक बहुत ही विद्वान व्यक्ति था फिर भी उसने एक बहुत बड़ा अपराध किया , जिसके लिए उसको सजा मिली. रावण के रूप में हम उसी बुराई को जलाने की कोशिश करते हैं.


राम भारत के जन-मानस में रचे- बसे एक आदर्श पुरुष हैं. जब भारत में धर्म और सम्प्रदाय के गुट नहीं थे तब भी राम जन मानस में लोकप्रिय थे. राम और रावण दोनों अपने समय के महान  व्यक्तित्व थे लेकिन रावण को लोलुपता ने घेर लिया और वो अपराधी बन गया. फिर एक तरफ  महाबली रावण और उसकी सेना और दूसरी तरफ श्री राम - जिनके पास उनकी सच्चाई थी. जीत सचाई की ही होती है. हजारों वर्षों से राम- रावण का संघर्ष  हमें एक जीवन का अद्भुत सन्देश देता आया है.
लेकिन अफ़सोस तो ये है की लोलुपता आज भी हावी है और लोगों को पथभ्रस्ट करती रहती है. जिस प्रतीक को नस्ट कर के हम हर वर्ष खुश होते हैं उसकी बुराई आज भी हमारे समाज को नस्ट कर रही है. समाज में अपराध प्रवृति  बढ़ती ही जा रही है. जिस रावण को जलाना हम चाहते हैं वो नहीं जल रहा है. ये एक अफ़सोस की बात है की लाख कोशिश के बावजूद रावण अभी भी जिन्दा है. जहाँ आजादी के समय में देश में सालाना करीब १०००० ह्त्या के मामले होते थे वहां आज सालाना २५००० से ज्यादा ऐसे मामले होते हैं. लगभग इतने ही मामले अन्य गंभीर अपराधों (जैसे अपहरण, बलात्कार आदि) के होते हैं. अपराध के नए नए फॉर्मूले सामने रहे हैं. साइबर क्राइम की नई घिनौनी तस्वीर उभर कर रही है. इस प्रकार रोज नए नए रावण पैदा हो रहे हैं.
मुझे एक व्यक्ति ने लिखा की पहले राम और रावण अलग अलग होते थे - आज तो हर इंसान के अंदर राम और रावण का संघर्ष चलता रहता है. इंसान के अंदर दोनों शक्तियां है - संकीर्ण वृत्तियाँ हमें नीचे की तरफ धकेलती है तो हमारे अंदर ही उत्कृष्ट भी है जो हमें श्रेष्ठ कार्य करने के लिए प्रेरित करती है. मानव अपनी वृतियों का गुलाम है और संकीर्ण हित हावी हो जाएँ तो हमारे अंदर का रावण हावी हो जाता है. क्या हो समाधान? कुछ विचार मैं भी साझा करना चाहता हूँ.
रावण हर देश में हर युग में आता है और सच्चाई को स्थापित करने के लिए राम को उससे युद्ध करना ही पड़ता है. आज जरुरत है की रावण रूपी बुराई की जड़ में जाएँ और वहां पर सुधार का कार्य करें. जरुरत है की हम अपनी जड़ों को मजबूत करें. आत्मनुशाशन, संयम, और स्वविवेक बचपन से ही जागृत किये जा सकते हैं - अगर बचपन से ही ऐसे संस्कार प्रदान किये जाएँ तो फिर इंसान अंदर से इतना मजबूत हो जाएगा की कोई भी लोलुपता उस पर असर नहीं करेगी. हमारी शिक्षण संस्थाओं को अपना पूरा ध्यान संस्कार परोसने पर लगाना पड़ेगा. युवाओं को सृजनशील कार्यों, कला, साहित्य, और हुनर आधारित उद्योगों की तरफ प्रेरित करके ही हम उनकी ऊर्जा को सकारत्मकता की तरफ प्रवाहित कर सकते हैं. बेरोजगारों की लम्बी कतारें देश के लिए खतरनाक हैं और लोगों में छुपे रावण को कभी भी जगा सकती है.एक उदाहरण से अपनी बात को स्पस्ट करता हूँ. नाइजीरिया में एक समय में बहुत ज्यादा अपराध था. आतंकवादी गुट पनप रहे थे. एक समय में बोको हरम जैसे खतरनाक आतंकवादियों का जन्मदाता नाइजीरिया आज बदल रहा है. नयी सरकार ने आतंकवादियों का सफाया कर दिया है और लोगों को सकारत्मक कार्यों के लिए प्रेरित किया जा रहा है. सरकार को समझ में गया की समस्या की जड़ में बेरोजगारी और अशिक्षा है - अतः सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए जी तोड़ कर प्रयास कर रही है. लोगों में समझ पैदा कर उनको आतंकवादियों से दूर किया जा रहा है. समस्या को ऊपरी तौर पर मिटाने से समस्या फिर खड़ी हो सकती है अतः समस्या के जड़ से उसका समाधान किया जा रहा है. लोग बेरोजगार होंगे उनको बहला फुसला कर के आतंकवादी बनाया जा सकेगा. नाइजीरिया सरकार का अगला लक्ष्य भ्रस्टाचार रूपी रावण को समाप्त करने का है जिसके लिए उसने बड़े पैमाने पर डिजिटल गवर्नेंस की शुरुआत की है ताकि भ्रस्टाचार रूपी रावण को समाप्त किया जा सके.
हम सौभाग्यशाली हैं की हमारे पास सांस्कृतिक धरोहर के रूप में राम जैसे आदर्श पुरुष हैं जो हर इंसान के अंदर छुपे आदर्शों को एक अकल्पनीय ऊंचाई प्रदान करते हैं और हर व्यक्ति को अपने श्रेश्ठतम स्वरुप में स्थापित होने के लिए प्रेरित करते हैं. हमारे सबसे बड़े खजाने हमारे मन मस्तिष्क में बसे श्री राम के आदर्श हैं. लुटेरों ने सोमनाथ को लूटा - कोई बात नहीं, लुटेरों ने कोहिनूर लूटा कोई बात नहीं लेकिन कोई भी लुटेरा हमारे मन मस्तिष्क में बसे आदर्शों को लूट ले जाए. ये आदर्श ही हमें हमारे जीवन का मकसद प्रदान करते हैं और हमारे जीवन को हर झंझावात से निकाल कर अपनी दिशा में स्थापित कर देते हैं. हम अपनी हर दुविधा को छोड़ कर उन आदर्शों का स्मरण कर अपने कर्तव्य पथ को पहचान सकते हैं. आइये इस विरासत को सलाम करें.

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