Wednesday, December 31, 2014

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हर महकमे में रावण, आम आदमी कुम्भकर्ण 

भ्रस्टाचार का रावण खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. आम भारतीय  चाहे तो इसे ख़त्म कर सकते हैं, परन्तु हम सबको इंतज़ार है की वे कब जागेंगे?  

नया भारत - नयी तस्वीर 
चाहे मेक इन इंडिया हो या मंगल यान, या फिर सयुंक्त राष्ट्र में हिंदी में उद्बोधन का निर्णय, या फिर गंगा एक्शन प्लान - आज देश की एक नयी छवि उभर रही है - लोगों के सपने साकार करने का समय आ गया है. चाहे अमेरिका चाहे चीन, हर देश आज भारत को एक बड़ी शक्ति और एक बड़ी अर्थ-व्यवस्था के रूप में देख रहा है. हर बहुराष्ट्रीय कम्पनी भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य मान रही है. आज जरुरत है की हम भारतीय दूसरों के आगे झुकना छोड़ें और अपनी शर्तों पर आगे की तरक्की की राह बनाएं. आज हमारे देश की युवाओं में अपने देश के लिए कुछ नया करने की ख्वाहिश है. नवाचार और मेहनत का परिणाम सामने आ रहा है. ज्यादातर भारतीय परिश्रमी, ईमानदार, संस्कारी और सृजनशील है. देश की तरक्की और प्रगति के असली नायक भारत के आम आदमी हैं और जिस दिन वे अपनी ताकत को पहचान जाएंगे, उस दिन इस देश में असली आजादी का जश्न हर घर मनाएगा 

बढ़ता भ्रस्टाचार, बढ़ती जागरूकता 
यह सही है की भ्रस्टाचार बढ़ रहा है, लेकिन जागरूकता भी बढ़ रही है. जिस दिन आम आदमी पूरी तरह से सशक्त हो  जायेगा, भ्रस्टाचार पर अंकुश लग जाएगा. 

इ-गवर्नन्स - नए समाज की जादू की छड़ी 
इ-गवर्नन्स भ्रस्टाचार पर अंकुश लगता ही है साथ ही आम आदमी को सहूलियत भी देता है. आज इ-गवर्नेंस के कारन आप किसी भी सरकारी तंत्र की अव्यवस्था पर घर बैठे शिकायत कर सकते हैं जिस पर निश्चित समय में कार्यवाही होगी ही होगी. आज आपको अपने मूल निवासी प्रमाण पत्र या अपनी जमाबंदी के लिए घुस नहीं देनी पड़ती न ही सरकारी विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. आगे आगे देखिये इ-गवर्नन्स आपको कितनी सुविधाएँ देगा और किस प्रकार भ्रस्टाचार खत्म करेगा 

भ्रस्टाचार के खिलाफ युवा असंतोष 
अगस्त २०११ के दिन याद करिये. जब अन्ना ने भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई तब लाखों लोग, ख़ास कर  युवा वर्ग एक शांतिपूर्वक आंदोलन के लिए सड़कों पर उत्तर आये थे. युवा वर्ग को एक उम्मीद दिखी थी की भ्रस्टाचार के खिलाफ एक मजबूत व्यवस्था बनायीं जायेगी. पिछले दो दशकों में कई कानून व् व्यवस्थाएं बानी हैं जिनसे भ्रस्टाचार को रोकने में मदद मिली है जैसे सुचना का अधिकार, लोकपाल, लोकायुक्त, और केंद्रीय सतर्कता आयोग आदि के कानून इस दिशा में सकारात्कम पहल है लेकिन अभी और भी मजबूत कानून और व्यवस्थाएं चाहिए. परिवर्तन की शुरुआत हुई है लेकिन मजबूत कानून और व्यवस्थाएं अभी बाकी हैं. 

दलालों का यह देश 
मुझे किसी ने तुषार दलवी की कहानी सुनाई. ६० वर्षीय तुषार NRI हैं और उनको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से रिफंड लेना था. उन्होंने बहुत कोशिश की परन्तु जिससे भी मिले वो एक दलाल निकला. सब जगह रिश्वत की मांग. बाबू से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक सबने कहा बिना रिश्वत के यह काम नहीं होगा. तुषार ने भी ठान लिया की वो कोई रिश्वत नहीं देंगे. पांच साल तक चक्कर लगा कर जब उन्होंने हर आदमी में छिपे दलाल से तंग आ कर उन्होंने सुचना के अधिकार के तहत आवेदन किया और जो काम पांच साल में नहीं हुआ था वो काम फटाफट हो गया. यह देश अब बदल रहा है और भविष्य में दलालों का देश नहीं कर्मठ लोगों का देश बन जाएगा. 

रिश्वत के तले दबी सरकारी योजनाएं 
कल तक का दबा कुचला भारतीय आम आदमी आज बदल रहा है. आज उसको अपनी आवाज की ताकत का अहसास हो रहा है. यह सब एक सोये हुए शेर के जागने जैसा ही होगा. जिस दिन यह शेर उठ जाएगा और दहाड़ मरेगा, सोचिये कितना आनंद आएगा. देश अपनी आजादी का असली जश्न मनाएगा. क्या आपने मजलूम नदाफ की कहानी सुनी है? मजलूम बिहार में रिक्शा चलने वाला एक आम आदमी है.  उसने घर बनाने के लिए इंद्रा आवास योजना में आवेदन किया. ओरों की तरह उसको भी किसी सरकारी बाबू ने ५००० रूपये की रिश्वत देने के लिए कहा. मजलूम मामूली आदमी है लेकिन जागते हुए भारत की तस्वीर है. उसने कानून का सहारा लिया. एक मामूली आदमी की जीत हुई और आज उसका मकान तैयार है - बिना किसी प्रकार की रिश्वत दिए. यह जीत है नए भारत की.  यह जीत है आम आदमी की. यह शुरुआत है एक नए ज़माने की. यह तो सिर्फ शुरुआत है. आप भी अपने कदम बढाइये और एक क्रांति की शुरुआत हो जायेगी. सैकड़ों सरकारी योजनाएं आज हमें सिर्फ लालच देती हैं लेकिन बिना रिश्वत के उनमे काम नहीं होता है. जरुरत है की आज हम आवाज उठायें की हमें कोई सरकारी सहायता नहीं चाहिए. सरकारी योजनाएं कम होगी तो फिर इनका उपयोग भी प्रभावी होने लग जाएगा और फायदा भी गरीब और जरूरतमंद लोगों को मिलने लग जाएगा.  
जरुरत नए साहस की : आज का आम आदमी यह साहस रखता है की वह खड़ा हो कर भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकता है. क्या आप ने महाराष्ट्र के कहरुला गाव की बानाबाई की कहानी सुनी है. बाना बाई के गाव के पास बना बाँध एक साल में ही टूट गया और उससे पानी रिसने लग गया था. यह भ्रस्टाचार का मामला था. जो काम गाव और शहर के पढ़े लिखे लोग नहीं कर सके, वो काम गाव की इस अनपढ़ महिला ने कर दिखाया. इस महिला ने हिमायत कर के सभी सरकारी अधिकारीयों को शिकायत की - जवाब नहीं मिलने पर मुख्य मंत्री तक तो लिखवाया. जवाब नहीं मिलने पर स्वयं कलेक्टर से जाकर पूछा "तुम्ही पैसे खाले क्या - यानी क्या आपने पैसे खाए हैं?" और इस एक प्रश्न ने क्रांति ला दी. भ्रस्ट अधिकारीयों के खिलाफ जांच शुरू हो गयी. बाना बाई के साहस को सलाम. 
हर दिन भ्रस्टाचार के खिलाफ कोई न कोई आवाज उठा रहा है और कोई न कोई भेड़िया गिरफ्त में आ रहा है. यह एक नयी आजादी की शुरुआत की तरफ एक इशारा है. जरा सोचिये की कितना आनंद आएगा जब आप अपने गाव या अपने शहर में किसी भी सरकारी कार्यालय में जाएंगे और वह वैसी ही सेवाएं मिलेगी जैसी आजकल निजी क्षेत्र में मिल रही है. आपको आपके हक़ के लिए तहसीलदार या पटवारी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. आपको आपकी आवाज की ताकत पर अभी यकीन नहीं है लेकिन यकीन रखिये आप नहीं तो बाना बाई जैसे महिलाएं ही इस देश को बदल कर रख देगी. फिर मजे करियेगा एक आजाद मुल्क में. एक ऐसे जहाँ मैं जहाँ पर कदम कदम पर रिश्वत नहीं देना पड़ेगा. 

रिश्वत मैं एक कोडी भी नहीं देने वाले ये बहादुर 
देश मैं आज एक के बाद एक कर के अनेक ऐसे युवा सामने आ रहें हैं जो रिश्वत में एक कोडी तक नहीं देने के लिए कृतसंकल्प है. ये लोग डट कर सरकारी तंत्र का मुकाबला कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं . आज इनकी देखा देखि युवा वर्ग भ्रस्टाचार के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ा हो रहा है. यहाँ तक की युवा वर्ग तो भ्रस्ट सरकारी तंत्र में नौकरी करने को भी आखरी प्राथमिकता दे रहा है. युवा वर्ग भ्रस्ट सरकारी तंत्र से बिना डरे सच्चाई की राह पर अडिग है. आपने वरुण आर्य की कहानी सुनी होगी. जोधपुर में वरुण आर्य को अपनी संस्था खोलने के लिए कितने सरकारी महकमों का विरोध झेलना पड़ा (क्योंकि उन्होंने रिश्वत देने से मन कर दिया) लेकिन जीत वरुण आर्य की ही हुई और आज किसी सरकारी महकमे में उनके सही कार्यों को रोकने का साहस नहीं है. यही असली आजादी है.  जरुरत है की ऐसी कहानियों को भी आम आदमी जाने जिससे उसमे सोया शेर जाग जाए.  इस युद्ध में आम आदमी का कोई नुक्सान नहीं होगा, जीत भी उसकी निश्तिच है और जीत के बाद जो आजादी मिलेगी उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. 

यकीं मानिए भ्रस्टाचार के रावण को समाप्त करने का समय आ गया है. जिस दिन आप हुंकार भरेंगे - ये सभी भ्रस्टाचारी घबरा जाएंगे. जैसे हनुमान जी ने लक्ष्मण जी को संजीवनी से नयी जान दे दी थी वैसे ही आज फिर से आम भारतीय को जगाने वाला चाहिए - फिर देखिये कमाल रिश्वत खोरों की रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो जाएगा और सदियों से दबा कुचला आम भारतीय असली अर्थ में आजाद हो जाएगा और भारत फिरसे सोने की चिड़िया बन जाएगा 

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