Tuesday, December 30, 2014

फॉर्मूले रटाओ  मत : फार्मूले बनवाओ 



भारत जो पूरी दुनिया के लिए लिए गणित की पाठशाला हुआ करता था उसका आज यह हस्र हुआ है की हर दूसरा विद्यार्थी गणित से डरता है. भारत जहाँ हर व्यक्ति गणित में माहिर हुआ करता था, वहां आज हर व्यक्ति गणित से कतराता है. एक समय था जब भारत के ही लोगों ने दुनिया को ज्यामिति और शून्य की अवधारणा दी थी. आज फिर से भारत में गणित के शिक्षण और प्रशिक्षण को जोर देने की जरुरत है. 

आज अधिकाँश विद्यार्थी गणित से डर कर भाग रहे हैं. परीक्षा का परिणाम आता है तो गणित में ही सबसे ज्यादा विद्यार्थी असफल होते हैं. प्रश्न है की क्या करें? गणित में तीन मुख्य बाते हैं : - 
अ. फॉर्मूले 
आ. जोड़ बाकी - गुना भाग 
इ. मानसिक कल्पना 

उपर्युक्त तीनों बातें किसी भी व्यक्ति की जीवन में सफलता से भी जुडी है. मैं इस लेख में सिर्फ फॉर्मूले कैसे याद करवाएं उसकी बात करूँगा. 
फार्मूला क्या है? 
एक फार्मूला एक अवधारणा को एक भाषा में अभिव्यक्त करता है. जैसे की मैं यह कहना चाहता हूँ की क नामक एक संख्या की ख के मान से गुना कर के उसको ग से भाग देना है. इसी बात को में एक फॉर्मूले में प्रस्तुत कर देता हूँ. यानी यह एक भाषा है. भाषा को संक्षिप्त कर प्रस्तुत करना ही एक फार्मूला है. जब हम यह समझ जाते हैं की एक फार्मूला एक भाषा है तो फिर प्रश्न उठता है की भाषा को समझने में क्या दिक्क्त है? 
ज्यादातर फॉर्मूले विद्यार्थियों को समझ नहीं आते, वे उनको याद (रट) कर लेते हैं. जबकि फॉर्मूले एक परिकल्पना को प्रस्तुत करने का तरीका है. फॉर्मूले याद करवाने की जगह उस अवधारणा को विद्यार्थियों को समझाना है जिससे की विद्यार्थी स्वयं आवश्यक फॉर्मूले बना सके. जब हम फॉर्मूले रटने की जगह गणित की अवधारणा समझाना शुरू कर देंगे, विद्यार्थियों को फार्मूला लिखने की जरुरत नहीं रहेगी. 
फॉर्मूले समझाने की लिए यह जरुरी है की शिक्षक स्वयं फार्मूला न तो रटे न उनका उपयोग करे. शिक्षक को स्वयं उन फॉर्मूलों को समझना पड़ेगा. फॉर्मूलों को समझने की प्रक्रिया में समय ज्यादा लगेगा परन्तु फिर विद्यार्थी को उस फॉर्मूले का मर्म समझ आ जायेगा और पढ़ाई करवाने का मकसद पूरा हो पायेगा. 
क्या समस्या आती है फॉर्मूले समझाने में ? 
आज हर गणित का अध्यापक अधिक से अधिक प्रश्न करवाना चाहता है. हर किताब अधिक से अधिक संख्या में प्रश्न देती है. जिस पुस्तक में ज्यादा प्रश्न होते हैं वाही बिकती है. आज तो हालत यह है की शिक्षक भी यह कह देते हैं की जब तक १०० प्रश्न नहीं होंगे तब तक एक एक तरह के प्रश्न की तयारी नहीं हो सकती है अतः ज्यादा से ज्यादा प्रश्न करवाना की लक्ष्य होता है. यह गलत है. इस के खिलाफ बोलने वाला आज कोई नजर नहीं आ रहा है. इस अवधारणा के कारण ही सारे विद्यार्थी अधिक प्रश्न करने के बावजूद भी गणित में कमजोर रहते हैं. वे अपने आप किसी प्रश्न को हल नहीं कर पाते हैं. अगर फार्मूला नहीं है तो वे कुछ नहीं कर सकते हैं. अगर वे फार्मूला भूल गए या उनका फार्मूला पूरी तरह से वहां लागू नहीं होता है तो फिर वे असहाय हो जाते हैं. 
क्या करें सुधार के लिए
जरुरत है की कुछ गणित के अध्यापक आगे आएं और वे बिना फॉर्मूलों के पढ़ाई शुरू करवाएं. जब वे बच्चों को उनकी भाषा में अपना स्वयं का फार्मूला बनाने में दक्ष कर देंगे तब वे असल में गणित के अध्यापक बन जाएंगे. हो सकता है की शुरू में काफी समय लगे. हो सकता है की शुरू शुरू में ४० मिनट में एक सवाल ही हो. परन्तु उस एक सवाल को करवाने में शिक्षक जो समय लगाएगा वह विद्यार्थी को गणित से मुहब्बत करना सीखा देगा और गणित का भय हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगे. 

कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर निर्माताओं से अनुरोध 
आज एनिमेशन फिल्म बनाना आसान हो गया है. गणित को इससे बहुत मदद मिल सकती है. ऐसी एनिमेशन फ़िल्में बन सकती है जो एक एक अवधारणा को चित्रों के द्वारा प्रस्तुत करे जिससे की विद्यार्थी हर अवधारणा को अपने मन मस्तिष्क में सोच और समझ सके. इस से हर विद्यार्थी अपनी कल्पना से फार्मूला बनाने की स्थिति में आ जाएगा. 

स्थानीय भाषा और स्थानीय उदाहरणों का प्रयोग करें 
कई बार विद्यार्थी अंग्रेजी के भय से ट्रस्ट रहता है. गणित में अध्यापक फॉर्मूलों को अंग्रेजी में प्रस्तुत करता है और लेटिन भाषा में लिखे हिज्जों को याद करने के लिए दबाव डालता है. जरुरत है की इसकी जगह हर शिक्षक स्थानीय भाषा में स्थानीय उदाहरणों के साथ अपनी बात को प्रस्तुत करे जिससे की विद्यार्थी को वह विचार समझ में आ जाए. जिससे की उस विद्यार्थी को अपनी भाषा में उस फॉर्मूले को व्यक्त करने में दिक्क्त नहीं आजे. स्कूलों से अगर हम शुरुआत करेंगे तो आने वाले समय में हमारे विद्यार्थिओं की समस्याओं का समाधान हो पायेगा. 

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