Tuesday, December 30, 2014

शिक्षा में बदलाव की जरुरत

एक लम्बे समय से इस महत्त्व पूर्ण विषय पर बहस नहीं हो रही है. आज युवा
वर्ग बेरोजगारी व् कुंठा से ग्रसित हो रहा है. औद्योगिक प्रगति रुकी हुई
है. दक्ष कर्मचारियों की कमी नजर आ रही है. परन्तु इन सब समस्याओं की
जननी हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर कोई कुछ नहीं कह रहा है. मई जब भी
कोई व्यक्ति वाईस चांसलर बनता है तो उससे अनुरोध करता हु की कृपया कर के
शिक्षा व्यस्था का बदलाव करे. वे नहीं करते है. लीक पर चलने की हमारी
पुरानी आदत ऐसे तो नहीं जा सकती. कुछ प्रयोग व् कुछ बड़े बदलाव करने
पड़ेंगे  - पर करे कौन. सरकारी विश्व विद्यालय में नवाचार के लिए कोई
इंसेंटिव नहीं है. लीक पर चलने पर प्रमोशन पक्का है. नवाचार करने पर
आंदोलन, हड़ताल, विरोध, सब कुछ संभव है. लीक पर चलने पर कोई दिक्कत नहीं
है.

शिक्षा के निम्न चार उद्देश्य है: -
ऐ . विद्यार्थी में अच्छे संस्कार व जीवन मूल्यों को जगाना तथा ऊँचे
लक्ष्य अंकुरित करना
बी. विद्यार्थी को श्रेष्ठ क्षमता हासिल करने में मदद करना, आत्म विश्वास
भरना, तथा एक ऐसा माहोल देना जो उसके जीवन में नै सोच, चेतना व  तरक्की
की शुरुआत करदे
सी. विद्यार्थी को जिज्ञासु, वैज्ञानिक सोच वाला, नवाचारी, व नेतृत्व
क्षमता वाला बनाना ताकि वह एक बेहतर समाज बनाये.
ड़ी. विद्यार्थी को व्यवहारिक जीवन के लिए तैयार करना ताकि उसको अपने जीवन
में कोई परेशानी नहीं हो तथा वह सही व गलत का फर्क कर सके व गलत के खिलाफ
आवाज उठा सके.

आज की शिक्षा व्यस्था सिर्फ सैद्धांतिक शिक्षा व्यस्था है जो विद्यार्थी
को व्याहारिक जीवन के लिए तैयार नहीं करती. जरुरत है की निम्न ५ कार्य कर
के इन में बदलाव किया जाये : -

१. शिक्षा में व्यवहारिक शिक्षा जोड़ी जाये
२. विद्यार्थी को सामाजिक उद्यमियों से मिलाये  ताकि वह सामाजिक उद्यमिता
सीख सके तथा समाज के भले के लिए कुछ कार्य कर सके.
३. विद्यार्थी को उद्योगो से मिल वाये ताकि वह रोजगार के लिए अपने आप को
तैयार कर सके - या तो उद्यमी बने या नौकरी के लिए दक्षता हासिल करे.
४. विद्यार्थी को समाज के विकास में योगदान देने का मौका दीजिये ताकि वह
समाज के विकास को समर्पित हो सके. इस हेतु विद्यार्थियो के स्वैछिक समूह
बने तथा सामाजिक कार्य को शिक्षा व्यस्था का भाग माना जाये.
५. तकनीक को शिक्षा व्यस्था से जोड़ा जाये ताकि विद्यार्थी को श्रेष्ठ
शिक्षों से व सफलतम लोगो से बात करने का मौका मिले. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग
व अन्य सुविधाओं से ये काम हो सकता है.

ये कोई मुश्किल कार्य नहीं है. इनके लिए कोई विशेष संसाधन भी नहीं चाहिए.
शुरुआत करने के लिए जो पहल करने की क्षमता चाहिए वह किसी में नहीं है.
जिस दिन वह शुरुआत हो जाएगी, देश के विकास में एक मिल का पत्थर जुड़
जायेगा व हमारे युवाओं को अपनी मंजिल का रास्ता मिल जायेगे.
आज फिर से जरुरत आ गयी है की हम शिक्षा व्यस्था में सूधार के लिए कुछ पहल
करें. सरकारी ढांचे से कुछ भी उम्मीद करना ठीक नहीं होगा. निजी क्षेत्र
हर चीज को लाभ - हानि की तराजू में देखता है. अब यह शुरुआत कौन करेगा.

अख़बार व मीडिया हमेशा से सबसे शक्ति शैली व निष्पक्ष भूमिका निभाते आये
है. में आपसे अनुरोध करता हु की अगर आपको मेरी बात अच्छी लगे तो अपनी कलम
उठाइये व आप भी अपने विचार लिख कर भेजें. इस प्रकार यह एक जान आंदोलन बन
जायेगा तथा मजबूर हो कर के सरकारी तंत्र को हमारी आवाज के आगे झुकना
पड़ेगा तथा वह परिवर्तन लाना पड़ेगा जिसकी बड़ी जरुरत है.

No comments:

Post a Comment