Tuesday, December 30, 2014


बोया पेड़ बबूल का ....

जिस जिस ने नजरअंदाज कर इंसानियत को ठोकर मारी
इतिहास है गवाह,  उस उसने अपने ही घर देखि  बर्बादी
मौन हो जा दोस्त मेरे ,आज कुछ ऐसा हुआ है
मूड के देखे कब कहाँ और किस से ये फैसला हुआ है
मारने वाले भी अपनेमरने वाले भी हैं अपने
चीत्कार कर रही इंसानियत को कोई तो एक बार सुनले
दरिंदगी और क्रूरता की सारी हदें पार करके
आज पहुंचा है मानव अपने अधो-पतन के रस्ते
आज क्यों ऐसा है की अपनों का ही है  लहू बहाते
हर तरफ एक सन्नाटा हैहर तरफ एक ख़ामोशी है.

आज पूरी दुनिया के नेताओं को यह बात समझ लेनी चाहिए की निहित स्वार्थों के चलते अगर वे आतंकवादियों औरकट्टरवादियों को प्रश्रय दे रहे हैंतो वे अपना ही घर उजाड़ने की तयारी कर रहे हैंजिस जिस देश ने आतंकवादियोंको प्रश्रय दियाउसका दुखद खामियाजा उसकी निर्दोष जनता को भुगतना पड़ा




पेशावर की अमानवीय क्रूरता
आज पूरी दुनिया हैरान है की कोई कैसे इन मासूम बच्चों की जान ले सकता हैआज पूरी दुनिया इस अमानवीयकृत्य की निंदा कर रही हैआज जरुरी है की पूरी दुनिया ये समझे की आतंकवाद के खिलाफ जंग सिर्फ भारत कीनहीं बल्कि पूरी दुनिया की जिम्मेदारी हैअगर आप जड़ में जाने की कोशिश करते हैं तो आप पाते हैं की इस दरिंदगीके पीछे कटटर वाद और आतंकवाद का घिनौना हाथ हैकोई भी आतंकवादी और दरिंदे अपने आप नहीं आये हैं.उनको किसी के सहारे से ही आगे आने का मौका मिला हैजिन लोगों ने इस भस्मासुर को  पैदा क्या है वे आज भीअपनी गलती नहीं स्वीकार रहे हैं.

गुमराह होते युवा
आज भी अनेक युवा गुमराह हो रहे हैंकट्टरवाद का जहर जिन जिन युवाओं को पिलादिया जाता हैवे अपनाऔरअपने समाज का भला बुरा नहीं सोच पाते हैंआज भी कई ऐसे देश हैं जहाँ आतंक और कटटरता फ़ैलाने वालोंको प्रश्रय दिया जा रहा हैइसी कारन जो युवा पीढ़ी विकास के रस्ते पर चलनी चाहिएवह विनाश की तरफ जा रहीहै
दो तरह के जनप्रतिनिधि और दो तरह के नज़ारे
हर देश की जनता अपने जान प्रतिनिधियों को अपने देश के सारे संसाधन यह सोच कर सम्पति है की वे उनकासदुपयोग करेंगेलेकिन आप देख सकते हैं की कई मुल्कों में ऐसा नहीं हुआ हैजनता की पसीने की कमाई कीसम्पति से ही कुछ जनप्रतिनिधियों ने इन आतंकवादियों को पनाह दी और कट्टरवाद को संरक्षण दियाइसमें उनकेअपने स्वार्थ रहे होंगे पर आज पूरी दुनिया उनके इन कृत्यों का दुष्परिणाम देख रही हैआप खुद फर्क देख सकते हैकी जिन जनप्रतिनिधियों ने विकास के लिए पैसा खर्च किया उन्होंने अपने प्रदेश में चमन ला दिया और जिन्होंनेकट्टरवाद को प्रश्रय दिया उन्होंने अपने प्रदेश को उजाड़ दियासरहद के उस पार आज हर तरफ खौफ और कट्टरताका माहौल हैसरहद के इस पार चमन हैइस चमन का कारन सिर्फ सोच में फर्क हैवार्ना तो ये साड़ी एक ही जमीनऔर एक जैसे ही लोग थेमैं यहाँ नवलगढ़ के श्री राजकुमार शर्मा का उदाहरण देना चाहता हुकई जन प्रतिनिधिसिर्फ तबादलों और मंदिर-मस्जिद की दीवारें बनाने तक ही सिमित रहते हैंलेकिन श्री शर्मा ने नवलगढ़ में एकविज्ञानं - प्रदर्शनी कक्ष (साइंस पार्कस्थापित कियाआज हर रोज २०० से ५०० विद्यार्थी इस पार्क को देख करवैज्ञानिक बनने की प्रेरणा लेते हैंये विद्यार्थी इस पार्क के द्वारा विद्यां की मुश्किल पहेलियाँ तुरंत समझ जाते हैं.इसी कारण आज नवलगढ़ जैसे छोटे से शहर से काफी बड़ी संख्या में विज्ञानं के विद्यार्थी आगे निकलते हैं और हरक्षेत्र में प्रगति करते हैंश्री शर्मा ने नवलगढ़ में गंदे पानी की सफाई के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी से एक यंत्रलगवाया और इस कारण यहाँ गंदे पानी की वैसे समस्या नहीं है जैसी की आम शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलती है.जिन जनप्रतिनिधियों ने कट्टरपंथियों को मदद देने में अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिएउनको श्री शर्मा से सीख लेनीचाहिए.




बच्चों से पूछिये क्या होना चाहिए समाधान?
पूरी दुनिया आज आतंक और क्रूरता के कृत्यों से ट्रस्ट हैक्या है समाधानबड़ों से तो बहुत पूछ लियाकोईसमाधान नजर नहीं  रहाकई लोग तो इसके समाधान के लिए अत्याधुनिक हथियारों से बमबारी करने की सलाहतक दे सकते हैंलेकिन आज आप एक बेहतर समाधान चाहते हो तो बच्चों के पास जाइयेउनसे पूछिये की उनकोक्या चाहिएगाव में पढ़ने वाले विद्यार्थी आप को बताएँगे की स्कुल में  तो भवन है  ही शौचालयलेबोरेटरी कीतो बात ही क्या करेंगावों के बच्चों को खेल-कूद का शोक भी है और उनमे प्रतिभा भी है परन्तु क्रीड़ास्कुल (स्पोर्ट्सस्कुलहै ही नहींबच्चे पुस्तकालय में पढ़ने जाते हैं  - पुस्तकालय नाम मात्र का है तो बच्चों के लायक पत्रिकाएंहैं  ही पुस्तकेंअगर आप चाहते हैं की आने वाली पीढ़ी समझदार बने और गलत राह पर  जाएतो आप हर स्कुलऔर कॉलेज में विद्यार्थियों को बेहतरीन पठन सामग्रीबेहतरीन संसाधन और सुविधाएँ प्रदान करेंएक तरफ ऐसीशानदार संस्थाए हैं जहाँ हर विद्यार्थी को रोज अख़बारपात्र-पत्रिकाएंपुस्तकेंश्रेष्ठतम तकनीकलेपटोपऔरसभी सुविधाएँ हैंऔर एक तरफ ऐसी शिक्षण संस्थाएं भी हैं जहाँ पर भवन तक नहीं बना हुआ हैसंसाधनों को आपकहाँ और कैसे खर्च करते हैं यही तय करता है की आपका भविष्य कैसे सुधरेगा.
जब जागे तब सवेरा
अगर आप आतंकियों से मुकाबला करना चाहते हो तो उसका तरीका हथियार खरीदना नहीं बल्कि बच्चों में वैज्ञानिकजागरूकता और अच्छे संस्कार पैदा करना हैये ऐसे तो हो नहीं सकता हैयह इस दुनिया की विडंबना है की यहाँहथियारों पर तो हजारों करोड़ खर्च हो जाते हैं लेकिन शिक्षा के लिए बजट नहीं होता है.


हे इस्वरहे अल्लाहये तेरे ही है बन्दे,
आज फिर से तेरी कुछ करामात दिखादे,
काश तो  नौजवानों को अमन का पाठ सिखादें
तू चाहे तो कुछ ऐसा बनादे
जिन हाथों में है बंदूकेंउन में तो पुस्तकें थम दे
सीख तेरी भूल कर जो लड़ रहे हैं 
उन गुमराहों को फिर से रास्ता दिखा दे 
विनाश का जो  फैसला लेते हैं तेरे ही नाम पर
हर कदम उनके मोड़ दे इन्स्तानियत की राह पर

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