Tuesday, December 30, 2014

विकास के चौराहे पर भारत : शुरू करें  उपभोगता देश से उद्यमशील देश की उड़ान



जीवन परिस्थितियों के साथ हमारे संगर्ष की कहानी है. आज हमारे सामने एक
से बढ़ कर एक मिसाल है जो यह साबित करती है की परिस्थितियों को बौना करना
हमारे बैश में है. जगदीश भाई पटेल ने अंधे व्यक्तियों के लिए ब्लाइंड
पीपल एसोसिएशन नमक संस्था स्थापित कर अद्भुत कार्य किया - जबकि वो स्वयं
अंधे थे. निक व्यूजीविक के न हाथ है न पाँव लेकिन उन्होंने अद्भुत सफलता
हासिल की. वे अनेको लोगों को प्रेरणात्मक उद्बोधन दे चुके है. वे अपने
जीवन में अद्भुत रूप से सफल व्यक्ति है. परिस्थियों से जूझते हुए
उन्होंने जिस तरह से सफलता हासिल की है वह कमल की है. अगर हम मजबूत इच्छा
शक्ति व प्रबल इरादे व सबकी भलाई की नियत  से किसी लक्ष्य की तरफ बढ़ते है
तो सफलता हमारे कदम चूमती है और वही होता है जो हम चाहते है.

देश को बदलना हमारे हाथ में है. आप और हम जैसे लोग ही मिल कर देश का
भविष्य बदल सकते है. परिवर्तन एक अनवरत प्रक्रिया है. हम जैसे लोग अगर
परिवर्तन के लिए कुछ नहीं करेंगे तो हमें अफ़सोस के सिवाय कुछ नहीं
मिलेगा. देश में आज फिर से ऐसे लोगों की जरुरत है जो देश तो आगे बढ़ने के
बारे में सोचें तथा परिवर्तन के लिए प्रयास करें. आज फिर से एक नए प्रयास
की जरुरत है जो इस देश तो अपने विकास पथ पर स्थापित कर सके.

भारत आज विश्व के मानचित्र पर दुनिया का तीसरा सबसे  बड़ा  देश बन कर उभर
रहा है.  क्या हमारा देश दुनिया का तीसरा श्रेष्ठतम देश है? परन्तु क्या
भारत में विकास हो रहा है? विकास का अर्थ क्या है ? क्या ज्यादा उपभोग,
या ज्यादा जीडीपी होना ही विकास का पर्याय है? क्या देश में अधिक से अधिक
उपभोग का माहोल बना कर के हम देश को विकास के मानचित्र पर स्थापित कर
सकते है? वह विकास किस काम का जिसका सम्बन्ध विदेशी माल को खरीदने की
क्षमता से हो. जिस देश में एक चौथाई जनता गरीब हो, उसे पानी, बिजली,
रोजगार व मुलभुत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता हो, उस देश के विकास को
सिर्फ GDP में आंकना उचित भी नहीं है. विकास का व्यापक अर्थ लेने की
जरुरत है. फिर से जनता को उनका हक़ देने की जरुरत है तथा विकास की
प्रक्रिया में आम जनता को शामिल करने की पहल करने की जरुरत है. अब समय आ
गया है की विकास की योजना का निर्माण योजना भवन में नहीं बल्कि आम आदमी
के मस्तिस्क में होना चाहिए. मकान  बनाने से पहले उसका नक्शा बनाते है.
मकान का नक्शा आपके दिमाग में होता है तभी आप आगे की सोछ सकते है. यही
योजना है, यही नियोजन है. कहते है की अच्छे प्लान का परिणाम हमेशा अच्छा
होता है. आज आप हम सभी प्रगति चाहते है. प्रगति के लिए जरुरी है की आप
प्रगति के बारे में सोचें. आपके दिमाग में भविष्य की जो परिकल्पना है वह
हकीकत में सामने नजर आहेगे अगर आप पुरे विश्वास से सोचेंगे. अगर पूरा देश
मिल कर इस प्रकार सोचे तो इस देश तो फिर से  सोने की चिड़िया बनाने में
समय नहीं लगेगा

आज फिर से आशा व उम्मीद की किरण नजर आ रही है. हर तरफ उत्साह का माहोल
है. फिर से एक नया अध्याय रचा जा सकता है. कल तक जिसे हम अपना दुर्भाग्य
मानते थे - उसे आज हम अपनी ताकत मानने लगें है. हमारी आबादी हमारा सम्बल
बन कर सामने आई है. आज दुनिया में सबसे ज्यादा तकनिकी रूप से दक्ष लोग
भारत में है.  जरुरत है की देश के युवाओं को उद्यमिता, सृजनशीलता व
कर्मठता के प्रयासों से जोड़ें व देश में श्रेष्ठता के प्रतिमान स्तापित
करें.  जो बेरोजगार हैं उनको रोजगार व जो रोजगार में हैं उनको नवाचार के
लिए सम्बल प्रदान करें. जो शिक्षक, लेखक व साहित्यकार हैं उनको सम्मान
प्रदान करें.  आज हमारे देश में हर तरफ जोश और उत्साह नजर आ रहा है.
परन्तु यह समय आराम का नहीं है. असली तरक्की तब होगी जब प्रगति का फायदा
गरीब से गरीब लोगों को मिलेगा.

कहते है की भारतीय लोग अकेले तो असाधारण होते है लेकिन समूह में कार्य
नहीं कर पते है. कहते है की यही भारतीय लोग जब भारत छोड़ कर विदेश जाते है
- तो इनके कार्य की पूरी दुनिया तारीफ करती है लेकिन भारत में
कार्य-संस्कृति के आभाव में प्रतिभा का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है.
भारत में सरकारी तंत्र में बड़े बदलाव की जरुरत है. जरुरत है की सरकारें
भी वैसे ही कार्य करें जैसे की यह उनका स्वयं का मुल्क है. उनके कार्य
में पारदर्शिता, आम जनता के प्रति सम्मान, व लोकोपकारी कार्य करने की ललक
नजर आनि चाहिए उनके कार्य करने के तरीके में बदलाव करने की जरुरत है.
उनको अपने कार्य को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अपने कार्य प्रणाली में
निम्न बदलाव लाना पड़ेगा :   -



अ. लालफ़ीता शाही को लगाम देनी पड़ेगी व इ-गवर्नेंस को बढ़ावा देना पड़ेगा,
जहाँ जहाँ भी इ-गवर्नेंस को लागु किया गया, वहां पर विकास हुआ व
भ्रस्टाचार  कम हुआ है.

ब सरकारी कार्य प्रणाली में आमूल परिवर्तन करना पड़ेगा व समाज के संसाधनों
का बेहतर  प्रयोग हो इस हेतु प्रयास करना पड़ेगा .  केरल सरकार ने अपने
सिमित पर्यटन स्थलों को आज असीमित पार्टन संभावनाओं में बदल दिया है.
वहीँ असीमित पर्यटन सम्भावना वाला राजस्थान आज भी अपने वास्तविक स्वरुप
के लिए तरस रहा है.

स उच्च सरकारी अधिारिओं को आम जनता का हितेषी बन कर अपने विभाग के काम
करने के तरीके में बदलाव लाना पड़ेगा. उन्हें अपने महकमे में कार्य कर रहे
लोगों को स्पस्ट सन्देश देना चाहिए की सरकार लोगों के लिए है न की लोगों
का शोषण करने के लिए.

द नियंत्रण की जगह प्रोत्साहन की नीति व अधिकारिता की जगह जनभागीदारी को
बढ़ावा देने की जरुरत है. समूह में कार्य करने के प्रयासों को प्रोत्साहन
देने की जरुरत है.  नवाचार करने वालों को प्रोत्साहन देने की जरुरत है.
जो लोग अपने गाव व अपने शहर में रह कर उसके विकास के लिए प्रयास कर रहें
उनको प्रोत्साहन की जरुरत है.

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