Wednesday, December 31, 2014

My old article :
इस जन्माष्टमी सब छोड़ कृष्ण के हो जाइए  
"द्रोपदी की लाज राखी ..."- आज कृष्ण हम सब के अंदर से आवाज कर रहा है. उठिए श्रीमान. कृष्ण के रास्ते पर आप जो भी करेंगे इस अनंत विश्व में उसकी गूंज होगी. जन्माष्टमी के पावन अवसर पर कल कृष्ण आप के अंदर छुपे आपको देख रहें होंगे.  
जरुरत है एक सारथि की 
हजारों साल पहले एक सारथि आये थे. उन्होंने अर्जुन को जीवन का रास्ता दिखाया था. जब अर्जुन दुविधा में थे तो उन्होंने उसको जीवन का मर्म समझाया था. यह कितने ताज्जुब की बात है की वर्षों तक हम कृष्ण के उस सन्देश को न समझने का प्रयास करते रहे लेकिन  आज जब वैज्ञानिक यह कह रहें हैं की दुनिया में अनगिनत तारे हैं और इस ब्रह्माण्ड का आदि या अंत खोजना लगभग असंभव है, तो हम को लीलाधर की बात याद आ रही है. आज फिर से एक ऐसा समय अ गया है की हर व्यक्ति अर्जुन की तरह किंकर्तव्यविमूढ़ नजर आ रहा है. हर व्यक्ति इंतजार कर रहा है की कोई लीलाधर आये और दुनिया को सही रास्ते पर ले जाए. हर व्यक्ति अपने आप को बोना मान रहा है और दुनिया में अपने कर्तव्य को नगण्य मान कर नजर अंदाज कर रहा है. परन्तु कृष्ण तो हमसे कुछ और चाहते हैं. 
चलिए कृष्ण से ही पूछते हैं की उसकी क्या मंशा है. 
यदा   यदा  ही  धर्मस्य 
ग्लानिर्वा  भवति    भारतः ,
अभ्युथानम्  अधर्मेस्य 
तदात्मानं  सृजामि  अहम '
आज तो कंसों का अम्बार लगा है, फिर भी वे नहीं आये हैं. अबकी बार वे आप को उनके कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहें हैं. तो तैयार हो जाइए और करिये वो सब काम जो श्री कृष्ण आप से चाहते हैं. 
श्री कृष्ण ने हमारे सामने तीन तरह के कार्य बताये हैं :  १. सात्विक २. राजसिक ३. तामसिक 
उपर्युक्त तीनों में सात्विक कार्यों को करने से हम श्री कृष्ण का ही कार्य करेंगे. तो चलिए सात्विक कार्यों के बारे में सोचें. आज के समय में सात्विक कार्यों का महत्त्व और क्षेत्र बहुत बढ़ गया है. सभी ज्ञान आधारित कार्य सात्विक कार्य हैं. तो क्यों नहीं आप ज्ञान आधारित कार्यों को अपनी प्राथमिकता देवें और ऐसे कर्क करें जो ज्ञान आधारित हों. आज पुरे विश्व में भारत का नाम इन क्षेत्रों में ज्यादा है:  - 
आधुनिक ज्ञान आधारित क्षेत्र : जैसे KPO , BPO ,  कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर, आदि 
विशेष दक्षता आधारित जैसे हैंडीक्राफ्ट, ज्वेलरी आदि 
 परंपरागत ज्ञान आधारित जैसे योग, ध्यान, प्राकृतिक चिकित्सा, व्यंजन,  आदि
व्यक्तिगत दक्षता, मानवीय सम्बन्ध व् आदर सत्कार पर आधारित जैसे कला - संस्कृति, पर्यटन, विज्ञापन, फिल्म उद्योग, आदि  
उपर्युक्त सभी क्षेत्र श्री कृष्ण के सात्विक कार्य क्षेत्र में आते हैं, अगर आप सात्विक विचारों के साथ इन कार्यों को करते हैं. तैयार हो जाइए इस खूबसूरत रणभूमि पर एक शानदार किरदार निभाने के लिए 
दुनिया में धर्म  की मदद करने के लिए अपने तरकस उढाईये  
धर्म का अर्थ यहाँ व्यापक है. धर्म का अर्थ है दुनिया की व्यवस्था. जिस दुनिया में हम रहते हैं, उस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए आज आपको फिर से तरकस उठाना पड़ेंगे. जिन लोगों ने तरकस उठा रखे हैं, उनको सलाम. अमेरिका के अल गोर ने पर्यावरण में आ रहे विनाश की चेतावनी देते हुए पर्यावरण के लिए संगठित प्रयास करने के लिए सबको झकझोर दिया है. उनकी ही तरह पूरी दुनिया में हर जगह लोग पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उड़ा रहें है. इसी महीने में ढ़ाका में बांग्लादेश डेवलपमेंट समिट हो रही है, जहाँ पर पर्यावरण-विद मिल कर चर्चा करेंगे.  हमारी यूनिवर्सिटी भी पर्यावरण को बचने के लिए हर साल c3w  नमक एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित करती है जिससे की पर्यावरण की चेतना जगाई जा सके. आज हर विद्यार्थी अपनी पढाई के साथ पर्यावरण अध्ययन का विशेष पाठ्यक्रम करता है और पर्यावरण को बचने हेतु प्रयास करता है. NCC  और NSS के केम्प के द्वारा विद्यार्थी पेड़ लगाने के लिए प्रयास करते हैं.  यही तो कृष्ण हमसे चाहते हैं. 
इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कृष्ण की राह चलिए 
श्री कृष्ण परलोक नहीं, इसी लोक में इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हमें कितने उदाहरण दे गए. आज कई लोग हैं जो कुछ नया कर के दुनिया को बेहतर बनाने में लगे हैं. अमेरिका की जानेत यवसा नमक जीव शाश्त्री ने एनीमेशन सीखा और एनीमेशन के द्वारा छोटे से छोटे जीव-खण्डों को दिखने की व्यवस्था की. उन्होंने एनीमेशन के सॉफ्टवेयर तो भी सभी वैज्ञानिकों के लिए मुफ्त में अपनी वेबसाइट पर डाल  दिया. आज आप भी चाहें तो उनका सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर सकते हैं. हनी बी नेटवर्क के संस्थापक आईआईएम के प्रोफ़ेसर अनिल गुप्ता ने भारत और विकास-शील देशों के हजारों किसानों और कारीगरों के आविष्कारों को व्यवस्थित रूप से संरक्षित करने का प्रयास किया है. जिमि वेल्स और लेर्य सेंगर ने विकिपीडिया नमक आधुनिक इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया, जिसमे पूरी दुनिया का ज्ञान भरा हुआ है और वह भी आप और हम जैसे लोगों के सम्मिलित प्रयासों से. उनके इस कार्य से अनगिनत लोग रोज लाभान्वित हो रहें हैं. डाक्टर गोविंदप्पा वेंकटस्वामी के द्वारा स्थापित अरविन्द आई हॉस्पिटल आज दुनिया में सबसे ज्यादा आँखों के आपरेशन करती है, और उनमे से एक बड़ी संख्या होती है बिना फीस के ऑपरेशन की यानि मुफ्त में इलाज. जो काम सरकार नहीं कर सकी वह डाक्टर गोविंदप्पा के अस्पताल ने कर दिखाया. लेरी पेज और सर्गेई ब्रिन के द्वारा स्थापित गूगल आज दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान का खजाना है, आप जो भी पूछना चाहते हैं, पूछिये, एक प्रश्न पूछिये, १० जवाब मिलेंगे. जयपुर रग्स के संस्थापक श्री नन्द किशोर चौधरी ने आज लगभग ४०००० कार्पेट बनाने वाले लोगों को सृजन-शील उद्यमियों में तब्दील कर दिया है जिनके द्वारा बनाये कार्पेट अपनी अनूठी सृजनशीलता के कारण आज पूरी दुनिया में सम्मान से देखे जाते हैं. कोण विश्वास कर सकता है की श्री चौधरी ने अपने घर में हैंडलूम से इस कार्य की शुरुआत की थी. आईआईएम से MBA  करने के बाद संजीव भीखचन्दानी देखा की लोग नौकरी ढूंढने में काफी समय ख़राब कर देते हैं. उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट बनायीं की आज नौकरी ढूँढना आसान हो गया है और उसके लिए आवेदन करने में  समय ही नहीं लगता. उन्होंने  नौकरी डॉट कॉम नमक कम्पनी शुरू की और हजारों लोगों के लिए नौकरी की व्यवस्था कर दी. आज लोगों ने नौकरी के लिए अख़बार देखना बंद कर दिया है - नौकरी डॉट कॉम है न. ये सभी लोग कुछ नया कर के श्री कृष्ण का ही कार्य कर रहें हैं. 
 तामसिक प्रवृत्तियाँ छोड़िये 
श्री कृष्ण हमें बता गए की तामसिक प्रवृति को छोड़ना है. आलस्य, प्रमाद आदि सभी तामसिक प्रवृतियों से बचें. श्री कृष्ण की बात मानेंगे तो ही हमें फायदा है. आज जो भी व्यक्ति तामसिक प्रवृति में लीं हो रहा है वह हार्ट अटैक, डीएबीटीस, ब्लड प्रेस्सर आदि बिमारियों से ग्रसित हो रहा है. आज जीवन में उल्लास और उमंग भरने के लिए सभी लोग सुबह उठकर मॉर्निंग वाक करने जाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में कुछ सरकारी कार्यालय आराम करने की जगह बन गए थे, आज फिर से देश के निर्माण के लिए सब विभाग मिल कर कार्य कर रहें हैं. जो विभाग आरामगृह बने, वे बंद हो जाएंगे. 
कर्मयोगी बनिए 
श्री कृष्ण कर्मयोग को सभी योगों से बेहतर बतातें हैं. कर्मयोगी बनने का अर्थ है निरपेक्ष भाव से कर्म करना. हम सभी इस दुनिया में रहते हुए ही मुक्ति पाना चाहते हैं. इसका मतलब यह नहीं है की हमको दुनिया छोड़ कर सन्यासी बनना है.  यह ही हमें इस दुनिया से मुक्त कर सकता है. कर्म योगी बनने के लिए श्री कृष्ण के बताये रास्ते पर चलना है. 
माधो बहुत सतायो
लीलाधर ने आज युवाओं के सामने इतने ज्यादा विकल्प रख दिए हैं, की वे कल तक विकल्पों के अभाव से परेशान थे, आज विकल्पों के अधिक होने से परेशान हैं. निर्णय वे कल भी नहीं लेते थे, आज भी नहीं लेते हैं. निर्णय लेने के लिए तो माधो है ही. माधो ने बहुत विकल्प रख कर निर्णय लेने की जिम्मेदारी दे कर युवाओं के सामने धर्मसंकट रख दिया है. क्या करें. जो विकल्प लेते हैं उसमे ही असमंजस. जो कार्य करते हैं उसमे दुविधा. अपने अंदर के चैतन्य भाव को प्रभु का प्रतीक मान अपने अंदर ही अपने ईश्वर को नमन करें और शुरू करिये इस महाभारत में अपने योगदान की. आप अकेले ही पर्याप्त हैं एक अच्छे कार्य के लिए. आने वाले समय में लोग बोलेंगे "ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की".

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