Wednesday, December 31, 2014

हे भारत भाग्य विधाता - सोचिये आम भारतीय के लिए भी 

एक आम भारतीय आज भी समस्याओं से झुझ रहा है.एक आम आदमी एक बेहतर कल के सपने देख रहा है. उसके पास उम्मीद की किरण है. आज लोगों के पास  काले धन की चर्चा है और यह उम्मीद की स्विस बैंकों से भारत का पैसा वापस आएगा. लेकिन उससे ज्यादा कुछ उम्मीद रखना बेवकूफी होगा. नतीजा वाही निकलेगा जो आज तक ऐसे क्रिया कलापों से होता रहता है. 

 अमेरिका के आम आदमी की औसत आय एक आम भारतीय की औसत आय की १० गुना है. लेकिन अगर आप एक व्यक्ति के द्वारा किये जा रहे उपभोग के आंकड़ों को देखेंगे तो आप ये पाएंगे की एक आम अमेरिकन आदमी एक औसत भारतीय से ४० गुना कार्बन  डाई आक्साइड   () विसर्जन करता है और लगभग २० गुना ग्रीन हाउस गैस विसर्जित करता है. यानी एक आम अमेरिकी व्यक्ति एक आम भारतीय व्यक्ति की तुलना में  लगभग २० से ४० गुना ज्यादा पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाता है. आज पूरी दुनिया पर्यावरण संकट का सामना कर रही है. भविष्य में पर्यावरण को बचने के लिए बड़े निवेश की जरुरत है और बड़े नीतिगत निर्णय लेने पड़ेंगे. कई ऐसे देश जो समुद्र से घिरे हैं उनके अस्तित्व को खतरा है. इन सभी समस्याओं को पैदा करने में विकसित देशों का योगदान हमसे २० गुना ज्यादा है. लेकिन आज हम हर भारतीय को उसी जीवनशैली के लिए तैयार कर रहें हैं जिससे पूरी दिनिया आज ट्रस्ट है. हम भारतीय लोगों की बेहतरीन जीवनशैली को ख़त्म कर के विदेशी जीवनशैली उनको सीखा रहें हैं. 


१९९२ में UN ने एक संगोष्ठी की और एक प्रस्ताव पारित किया जिसे पृथ्वी घोषणापत्र कहा जाता है. इसमें २७ सिद्धांत दिए गए. फिर २००० में मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स पर प्रस्ताव पारित किया गया जिस में ८ लक्ष्य् रखे गए. इन सभी घोषणा पत्रों  में पहला बिंदु होता है गरीबी को हटाने और भुखमरी को मिटाने का. क्या उस दिशा में कोई काम हो रहा है. गरीबी का सीधा सम्बन्ध होता है आजीविका और जीवन शैली से. आजीविका और जीवनशैली सुधरने की लिए क्या हो रहा है. एक आम भारतीय अपनी आजीविका के लिए कृषि और उससे जुड़े हुए धंधों पर निर्भर है. आधी से ज्यादा जनसख्या आज भी मुलभुत धंधों से जुड़े हैं. लेकिन इस हेतु उन्हें कोई प्रशिक्षण या मार्गदर्शन की व्यवस्था नहीं हैं. न तो स्कुल न ही कॉलेज न ही कोई प्रशिक्षण संस्था इन लोगों हेतु कोई मदद कर रहें हैं. 

आज सरकार को फिर से अपनी मौलिक योजनावों और परियजनावों के बारे में सोचना चाहिए. एक आम आदमी की आय को बढ़ाना बड़ा आसान है अगर हम उसकी मदद कर के उस को आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान कर सकें. स्कूलों और कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो एक व्यक्ति को बेहतर रोजगार और बेहतर जीवनशैली के लिए तैयार कर सकें. जरुरत है फिर से भारतीय जीवनशैली को बढ़ावा देवें और बेहतर आयोपार्जन और ज्यादा बचत करने की संस्कृति को प्रोत्साहन देने का प्रयास करें. अभी यूगांडा ने अपने ब्यूटी कॉन्टेस्ट में लड़कियों से ये पूछा की कृषि और पशुपालन की उनकी क्या दक्षता है. इसी प्रतियोगिता में लड़कियों ने गायों को दुह कर बताया. ऐसे प्रतियोगिताएं के कारण यूगांडा के लोग फिर से कृसिहि और पशु पालन से जुड़ रहें हैं. जो हमारी ताकत है उस को बिना छोड़े अगर हम नयी तकनीक अपनाएंगे तो इसी में समझदारी होगी. 

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